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online pulse diagnosis course | indian nadi chikitsa  | About Nadi Pariksha Course |

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About:- pulse diagnosis course:- pulse Diagnosis Nadi parikscha को आत्मज्ञान कहकर जाना जाता है। Pulse Diagnosis course सीखने के लिए आप में धैर्यता का होना बेहद जरूरी है। चंचल प्रकृति का आदमी और किसी प्रकार के रोग से ग्रस्त व्यक्ति नाड़ी परीक्षण pulse Diagnosis course को सही तरीका से नहीं सीख सकता।
Pulse Diagnosis course सीखने वाले विद्यार्थियों को बेहतर नाड़ी परीक्षण शिक्षा को प्रोत्साहित करने के लिए Ayushyogi एक विशेष pulse diagnosis course offer के साथ आपके सामने उपस्थित है।

 Pulse Diagnosis Course  Demo Video.

 Pulse Diagnosis Course 2nd Demo Video.

जन-जन में आयुर्वेद और विशेष करके लुप्त प्राय इस दुर्लभ pulse Diagnosis course विषय को प्रमोट करने और एक साधारण वर्ग जिसको स्वस्थ संबंधित साधारण जानकारी भी ना होने की वजह से आहार बिहार में होने वाली असंतुलन और रोग से ग्रसित व्यक्तियों को किंचित लाभ पहुंचाना हमारा उद्देश्य है।
आयुर्वेद ज्ञान आपको बहुत सारे आहार विहार से संबंधित गलत अवधारणाओं से बचाएगा संतुलित जीवन जीने के लिए प्रोत्साहित करेगा इस online pulse Diagnosis course में आप किन किन विषयों को सीखेंगे इसके बारे में नीचे जिक्र किया हुआ है।

Pulse Diagnosis course सीखने के लिए योग्यता ‌। Nadi Pariksha course eligibility.

गुरु शिष्य परंपरागत pulse Diagnosis course को सीखने के लिए आप में क्या योग्यता होनी चाहिए ? किसी भी प्रकार की चिकित्सा विषयों को कुछ भी ना जान्ने वाला योग्यता रहित व्यक्ति यदि नाड़ी परीक्षण सीखना चाहे तो क्या यह विषय उसको समझ में आएगा ? क्या वह आसानी से Ayurveda Nadi pariksha विषय को सीख पाएगा . ऐसे बहुत सारे सवाल लोगों के मन में घूमता रहता है। आज हम इसी विषय के ऊपर फोकस करेंगे।

Pulse Diagnosis course eligibility.

Pulse Diagnosis course को सीखने के लिए योग्यता स्वरूप कोई बहुत बड़ा आयुर्वेद की डिग्री हो यह नितांत जरूरत नहीं है। जिस तरह से Ayushyogi Online class के माध्यम से Nadi Pariksha course सहित आयुर्वेद के बहुत सारे सिद्धांतों के ऊपर practical सिखाते हैं उससे सभी अनभिज्ञ विद्यार्थी pulse Diagnosis course सीखने के बाद आयुर्वेद के उन सिद्धांतों को गुनगुनाने लगते है।
आयुर्वेद से संबंध रखने वाला नाड़ी परीक्षा विधि आत्मज्ञान का विषय है। इस नाड़ी परीक्षण विधि विषय को वही बेहतरीन समझ सकता है जिसमें तीक्ष्ण बुद्धि हो और प्राकृतिक चिकित्सा के ऊपर यकीन हो।
तो कुल मिलाकर हमारे यहां नाड़ी परीक्षण सीखने के लिए कोई खास विशेष योग्यता की जरूरत नहीं है मगर इतना जरूर है कि आप में अच्छा बुद्धि और चिंतन करने की शक्ति अच्छा होना चाहिए इतना ही पर्याप्त है इस विषय को समझने के लिए।
बाकी सिखाने वालों के ऊपर छोड़ दीजिए वैद्य द्रोणाचार्य जी विगत लंबे समय से आप जैसे आयुर्वेद प्रेमियों को online pulse diagnosis class सिखातेसिखाते हुए आ रहे हैं। उनसे आयुर्वेद और नाड़ी परीक्षण सीखने वाले उनसे बहुत जल्द प्रभावित होते हैं क्योंकि उनकी विषयों को सिखाने का सरल तरीका लोगों को अपनी और आकर्षित करता है।

Ayushyogi Online palse diagnosis course से संबंधित विशेष जानकारी। About Ayushyogi traditional Nadi Pariksha hindi course.
Ayushyogi Online diagnosis course में विषयों को कुछ इस तरह सजा कर रखा हुआ है जिसके कारण कोई भी आदमी महज कुछ ही दिनों में आयुर्वेद काय चिकित्सा से संबंधित बातों को बड़ी आसानी से समझ लेता है।

Nadi pariksha course content.

क्लास में सबसे पहले चरक संहिता के  सूत्र

हिताहितं सुखं दुःखं आयुस्तस्य हिताहितम् ।
मानं च तच्च यत्रोक्तं आयुर्वेदः स उच्यते ॥


इस श्लोक से क्लास का प्रारंभ होता है जिसका मतलब होता है आयुर्वेद व्यक्ति में हित और अहित की संभावनाओं को समझाने वाला एक ग्रंथ है।
उसके बाद
शरीरेन्द्रियसत्वात्मसंयोगो इति आयुः
यह आयुर्वेद का अति महत्वपूर्ण श्लोक से नाड़ी परीक्षण क्यों किया जाए तथा आयु का वास्तविक अर्थ क्या है।
इसके बारे में विस्तृत व्याख्यान इस छोटे से श्लोक  में विद्यमान है।
यथा विणागता तन्त्री सर्वान्न् रागान्प्रभाषते।
        तथा हस्तगता नाड़ी सर्वान्रोगान् प्रकाशते।।

फिर नाड़ी परीक्षण के ही संदर्भ में यह रावण द्वारा प्रतिपादित इस श्लोक द्वारा विद्यार्थियों को विस्तृत व्याख्यान किया जाता है।
जैसे कि जिस प्रकार से वीणा मे एक ही तार सभी प्रकार के स्वर समूह को प्रकट करने वाला होता है उसी प्रकार से रेडियल आर्टीज में स्थित नाड़ी जो हृदय के जोरदार प्रेशर से उत्पन्न बेग द्वारा रस और रक्त के माध्यम से शरीरस्थ सुख-दुख रूपी भावों को लेकर चलने वाला जीव साक्षीणी शरीरस्थ संपूर्ण व्याधि को बताने वाला होता है।
और उसी जगह हम जब अपने वात पित्त और कफ के गुणों को पहचानने वाला तर्जनी मध्यमा और अनामिका क्रमशः एक विशेष विधि से रखते हैं तो निश्चित हमें सभी प्रकार के शरीर और मन से संबंध रखने वाला रोग समझ में आता है।
करस्याङ्गुष्ठ मुले या धमनी जीवसाक्षीणी।
अंगुष्ठ मूलमधिपश्चिमभागमध्यम् नाडी प्रभंजन गतिं सततं।।

नाड़ी परीक्षा करते वक्त रोगी और वैद्य दोनों को कीन् विशेषण नियमों का पालन करना होता है और नाड़ी देखने का तरीका क्या होता है उसके बारे में नीचे दिए गए श्लोक द्वारा समझाया जाता है।
प्रात:कृतसमाचार:कृताचार:परिग्रहम्।
सुखासीन:सुखासीनं परिक्षार्थानुपाचरेत्।।

फिर यहां पहले दिन का क्लास समाप्त होकर जब दूसरे दिन क्लास शुरू करते हैं तो नीचे दिए गए श्लोक से क्लास का प्रारंभ होता है।
रोगक्रांत शरीरस्य स्थानान्यष्टौ परीक्षयेत्।
        नाड़ी(प्राणवह स्रोतस) मूत्रं(किडनी+अपान) मलं(अन्नवह स्रोतस+अपान) जिह्वां(मध्य शरीर) शव्द(उदान+प्राण)स्पर्श(व्यान+भ्राजक+श्लेषक)दृगा(आलोचक पित्त+रंजक पित्त+)कृतिम्।।जाति+सम्प्रदाय+लुलालंगडा+कमजोर+दृढ शरीर+age+स्त्री पुरूष+शरीर का लम्वाग चौडाई।

ऊपर दिए गए श्लोक का व्याख्यान करते हुए आयुर्वेद के बहुत सारे विषयों को स्पर्श करते हुए 2 दिन तक में किस को समझाया जाता है विद्यार्थी को चरक संहिता और काया चिकित्सा से संबंधित कुछ विशेष बातों को यहां से समझाया जाता है।
उसके बाद हम नाड़ी परीक्षण विधि के प्रारंभिक अवस्था में आ जाते हैं जहां रोग परीक्षण के संदर्भ में चिकित्सा षड्क्रियाकाल के विषय में 2 दिन लगा कर इसको भी अनेक सिद्धांत और उदाहरणों के साथ पढ़ाया जाता है।
चिकित्सा षड्क्रियाकाल
संचयं च प्रकोपं च प्रसरं स्थान संस्रयम्।
       व्यक्ति भेदं च यो वेत्ति दोषाणां स भवेद्भिषक्।।

यहां तक आते-आते हर विद्यार्थियों को यह समझ में आने लगता है की आयुर्वेद क्या है आयुर्वेद का मकसद क्या है आयुर्वेद को पढ़ना किस तरह से है आदि तमाम बातें समझ में आ जाती है।
उसके बाद आयुर्वेद का सबसे मुख्य बिंदु कफ पित्त वात के विषय में आगे 10 दिन तक अलग-अलग एंगल से पढ़ाया जाता है।
इसके साथ ही नाड़ी परीक्षण में कफ पित्त वात को समझने के लिए तीन अलग-अलग विधि बताया जाता है विद्यार्थी किसी भी एक विधि को समझ कर आगे बढ़ सकता है।
उसके बाद सबसे पहले सब दोसा को सिखाया जाता है उन के गुणधर्म क्या है वह शरीर के किस हिस्से में रहते हैं उनका काम क्या है सभी बातें सिखाने के बाद नाड़ी परीक्षण के माध्यम से उन सब दोसा को कहां से देखें इन बिंदुओं के ऊपर बात किया जाता है।
धातु परीक्षण
आयुर्वेद में रस रक्तादी धातुओं के ऊपर विस्तृत व्याख्यान होता है दोष ही धातुओं को खराब करते हैं और व्याधि को उत्पन्न करते हैं।
इसी कारण खराब करने वाले दोष को जानकर खराब होने वाला धातु को देखने का विधि सिखाया जाता है।
फिर 5 दिन लगा कर यह बताया जाता है कि कौन सा धातु का काम क्या है उसका शरीर में किस तरह का प्रभाव होगा और साथ में धातु के बढ़ने से तथा क्षय होने से शरीर में क्या होता है इसके ऊपर विस्तृत व्याख्यान होता है।

Organ pulse 
धातु परीक्षण विधि सीखने के बाद किन धातु द्वारा कौन सा अर्गन का निर्माण होता है इसको जानने की विधि सिखा जाता है उसके बाद फिर सभी ऑर्गन के बारे में विस्तृत व्याख्यान सहित आर्गन को नाड़ी के माध्यम से कैसे देखना है इसको सिखाया जाता है।
जैसे नवीन रक्त कणों से स्प्लीन का निर्माण होता है सबसे पहले पित्त दोष को देखकर यदि इस दोष में विकृति दिखती है तो रक्त धातु का परीक्षण किया जाता है दोनों में विकृति अगर दिखे तो स्प्लीन हो अलग से परीक्षण करने के लिए सीखा जाता है।
इसी तरह रोगी का किडनी पित्त के थैली लीवर छोटी और बड़ी आंत सहित बहुत सारे आर्गन को नाड़ी परीक्षण के बदौलत उसमें होने वाली विकृति को जांचने का तरीका सिखाया जाता है।

Pulse Diagnosis course Special practice..

इन सभी बातों को सीखते हुए हमारा समय लगभग 35 दिन तक निकल जाता है उसके बाद आगे 5 दिन तक हम अलग-अलग रोगों के आधार पर नाड़ी परीक्षण की तैयारी करते हैं जैसे अगर मिर्गी होगा तो नाड़ी कैसे दिखेगा, अगर अपने पास आमबात या संधिबात से संबंधित रोग से ग्रसित व्यक्ति आता है तो उसमें किस तरह से नाड़ी परीक्षण करके इस रोग को पहचानना होता है, कैंसर,टयूमर,माइग्रेन जैसे बहुत सारे व्याधि को अलग से नाड़ी परीक्षण द्वारा देखने का व्यवस्था सिखा जाता है।

क्या इस course और certificate के आधार पर हम चिकित्सा कर सकते हैं? Can we do Ayurvedic practice on the basis of this course and certificate?
बहुत सारे विद्यार्थी online pulse diagnosis course सीखने के बाद certificate के मांग करते हैं और बोलते हैं कि क्या इतने से हम आयुर्वेदिक चिकित्सा का प्रैक्टिस कर सकते हैं।
तो मैं आप सभी को स्पष्ट रूप से बताना चाहता हूं की यदि आप आयुर्वेदा प्रैक्टिस करना चाहते हैं तो आपको भारत सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त किस यूनिवर्सिटी से बीएएमएस का कोर्स करना पड़ेगा।
जहां तक हमारे इस pulse Diagnosis course  का सवाल है तो मैं स्पष्ट करना चाहूंगा यह एक महज आत्मज्ञान है । यह pulse Diagnosis course मल्टीपल स्किल डेवलप के तहत आपके अंदर एक विशेष योग्यता और स्किल प्रदान करेगा। जो काम बड़े-बड़े मशीन नहीं कर सकता वह काम आप एक चुटकी बजाकर कर सकते हो। श्रद्धा और अनंत प्रैक्टिस के साथ यदि आप हमारे द्वारा प्रदत्त pulse Diagnosis course सीखकर रोग परीक्षण करना प्रारंभ कर देते हैं तो आपका यह स्कील उन मशीन को भी फेल कर सकता है।
Ayushyogi द्वारा संचालित pulse Diagnosis course आपके अंदर आयुर्वेद सीखने या आयुर्वेदमय जीवन जीने के लिए प्रेरित करेगा। बाकी हमें तो ऐसा लगता है की अनंत जीवन भी आयुर्वेद विषय के लिए छोटा ही है। कोई भी पूर्ण जीवन लगा कर के भी संपूर्ण आयुर्वेद को नहीं सीख सकता इसीलिए।
अपने जीवन में जितना भी आयुर्वेद के बातों को सीख सकें उतना प्रयत्न पूर्वक आयुर्वेद सीखने का प्रयास करना चाहिए।
जहां तक सर्टिफिकेट का सवाल आता है तो इमानदारी से बता दो कि विन कॉलेज में पड़े ऐसे किसी भी प्रकार के ऑनलाइन और ऑफलाइन ट्यूशन या इसी तरह के संस्था द्वारा प्राप्त सर्टिफिकेट से आप आयुर्वेदा प्रैक्टिस नहीं कर सकते यदि आप बीएएमएस नहीं कर सकते तो दूसरे भी बहुत सारे कोर्स है जिसको करके आप सामान्य चिकित्सक के रूप में समाज में काम कर सकते हैं। हालांकि वह भी मान्यता प्राप्त चिकित्सकों का डिग्री तो नहीं है लेकिन फिर भी यदि आप किसी प्रकार के केमिकल रहित शुद्ध जड़ी बूटियों का ही प्रयोग करते हो किसी प्रकार का एलोपैथिक या आयुर्वेद के भी भष्मों का प्रयोग नहीं करते तो आप उन डिग्रियों को प्राप्त करके सामान्यतया चिकित्सा कर सकते हैं।

Pulse Diagnosis course fees.What is the Nadi pariksha course fee?

दोस्तों- में ईमानदारी से अगर कहूं तो हम आपको जिस विधि से आयुर्वेद सिखाते हैं यदि बाजार में इस तरह सिखाने वाले लोगों की फीस को देखते हैं तो वह लोग 35000 से 40000 तक विद्यार्थियों से पैसे लेते हैं। कई बार कुछ विद्यार्थी तो वहां पढ़ने के बाद दोबारा मेरे पास आकर इस कोर्स को भी कंप्लीट किये है।
Basically Ayushyogi मे pulse Diagnosis course बेहद सरल तरीका से हिंदी भाषा में ही बोलकर सिखाने के लिए जाना जाता है बहुत सारे लोग इंग्लिश भाषा को उच्च प्राथमिकता नहीं देते मात्रिभाषा से कहीं जाने वाली बहुत सारे ऐसे बातें जो बहुत जल्द ह्रदयांगम् हो जाता है।
हमारे यहां विद्यार्थियों को इतनी अच्छी विधि से सिखाने के बावजूद भी हम total package के रूप में सिर्फ 2100/-ही गुरु दक्षिणा लेते हैं। हमारे यहां प्रैक्टिकल आयुर्वेदा और एस्ट्रोलॉजिकल मेडिकल साइंस भी सिखाया जाता है।

Q- I would like to learn Ayurveda & Nadi pariksha online. Please suggest:
Ans-In order to have a better understanding about pulse detection and diagnosis Ayushyogi 
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What are the qualifications you should have to learn Guru Shishya Traditional Nadi Pariksha Course. If a person without ability, who does not know anything about any kind of medical subjects, wants to learn pulse Diagnosis will this subject be understood by him? Is that easily Ayurveda Nadi pariksha Will be able to learn the subject.

Aayush Yogi is providing the facility of online Nadi Pariksha course where any stream of people can learn this course. As we know that in modern world we have forgotten tradition of knowing disease by keeping the hand in the wrist. The disease test which cannot be done by any machine it can easily find by just putting a hand on a person wrist. As we know that in today's world the promotion of allopathic medicine marketing that we have forgotten our centuries old tradition which were used to practice is by sages. The eminent Ayurvedic vaidya of Maharashtra bhushan Mahapurush who after treating many patients during his life was sitting in an Ashram in Vrindavan after taking Sanyas to spend the later part of his life by earning well and fame which we had taught the detail pulse examination method to P.t Dronacharya ji.

From this course a various Ayurvedic Vaidya

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How can i learn nari Pariksha course.

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Can I learn Nadi Pariksha without studying Ayurveda.

If you do not know Ayurveda at all I mean you do not even know the basic knowledge of Ayurveda it is not a worry part in this course we will also cover the basic part of the Ayurveda explain all the Ayurvedic basic terminology where will understand what is Ayurveda, evolution of Ayurveda what is Prakriti, human Prakriti vaat Pitta and kapha which will be explained hindi scores before moving to Nadi Pariksha.

Which Ayurvedic principles are taught..

While doing the pulse test the first test has to first test about the birth nature and detect deformity. Earth water sky wind and fire this 5 great element which is known as Panch mahabhoot which decides the nature of person birth is decided. With the help of both the semen of father and the results of the mother when a child is form in the Mother's worm combination of body begin to form at that time which mahabhoot was working strongly and which mahabhoot was weak at that time on that basis parson Prakriti is decided. Nadi Pariksha we will see the person which mahabhoot is working strongly in and which mahabhoot is weak on the basis of Nadi Pariksha diagnosis is determined .

What is vata pitta kapha ?

According to Ayurvedic principles the combination of air and space in our body determines water dosha, pitta dosha from agni and Jal mahabhuta and kapha dosha from jal and Prithvi mahabhuta.in nadi Examination course on the basis of Ayurvedic principles how this kapha,pitta and vata are related to the panchmahabhutas how kapha Pitta vata appear in the wrist while doing Nadi examination this is all we study in this nadi pariksha course , it is explain to the student in a very interesting way practically and theoretically tell the student doubts are not cleared.

 

 

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