आइए rabies क्या है | इसका कारण लक्षण और आयुर्वेदिक इस बेहतरीन उपचार के संदर्भ में विस्तृत चर्चा करते हैं। रेबीज किसे कहते हैं |What is rabies ? रेबीज एक घातक वायरस है जो संक्रमित जानवरों की लार से लोगों में फैलता है। रेबीज वायरस आमतौर पर एक काटने के माध्यम से फैलता है। रेबीज एक ऐसा खतरनाक वायरस है जो सीधे आपकी तंत्रिका तंत्र (Nervous system) पर हमला करता है। यह केवल स्तनधारियों (The mammals) में पाया जाता है। एक बार जब किसी व्यक्ति में रेबीज के लक्षण दिखना शुरू कर देता है, तो यह बीमारी ज्यादातर आपके मौत का कारण बनती है। इस कारण से, जिस किसी को भी रेबीज के अनुबंध का खतरा हो सकता है।
वास्तव में जिस कुत्ते को ‘रैबीज’ नामक रोग हो जाए, उसे ही पागल कुत्ता कहते हैं। रैबीज का रोग एक प्रकार के वायरस के कारण होता है। यह वायरस हवा में से या किसी जंगली जानवर से कुत्ते तक पहुंचता है। कुत्ते की चमड़ी पर हुए किसी घाव द्वारा यह उसके शरीर में प्रवेश कर स्नायु तंत्र तक पहुंच जाता है। यहां इस वायरस की संख्या तेजी से बढ़ती है। इससे मस्तिष्क की कोशिकाएं बुरी तरह प्रभावित होती हैं। ‘रैबीज’ से प्रभावित कुत्ते को बुखार रहता है तथा वह सुस्त रहता है। भोजन में भी उसकी रुचि नहीं रहती। चार से छह सप्ताह में यह वायरस कुत्ते के मस्तिष्क को अपनी चपेट में ले लेता है। तब कुत्ता उत्तेजित हो जाता है। उसके मुख से झाग निकलने लगता है। इस समय वह बिना कारण किसी को भी काट सकता है। यही उसकी पागलपन की स्थिति है।
जानकारी के आधार पर बता दूं स्तनधारी सभी जानवर में रेबीज का संक्रमण होने का संभावना हो सकता है | ज्यादातर कुत्ता ,भेड़िया, गीदड़, बिल्ली, बंदर, छछूंदर ,चूहा इन जानवरों में रेबीज का संक्रमण ज्यादातर देखा जाता है| इसीलिए यह जानवर अगर आपको काटते हैं तो तुरंत रेबीज का परीक्षण कर लेनी चाहिए।
वैसे रेबीज से संक्रमित जानवरों के काटने के बाद 23 दिन तक रेबीज का लक्षण नहीं दिखता मगर जब दिखता है तो फिर प्रामाणिक तौर पर इसका कोई इलाज नहीं होता | लेकिन क्योंकि दुनिया गोल है यहां तरह तरह के लोग हमेशा अजीबोगरीब कारनामे करते रहते हैं दुनिया में असंभव नाम का कोई चीज नहीं होता बस मेहनत करके उसको ढूंढना पड़ता है | ऐसे ही हमारे गुरुजी ने भी अपने जीवन में काफी कुछ मेहनत करके जड़ी बूटियों का खोज करके रेबीज का सफल चिकित्सा ढूंढ निकाला है हालांकि सभी रोगी के ऊपर यह दवाई काम कर पाएगा ऐसा तो हम नहीं कह सकते काफी हद तक इसका सकारात्मक प्रभाव देखा गया है।
एंटी रेबीज वैक्सीन या आलर्क निरोधी वैक्सीन उस स्थिति में दिया जाता है जब किसी व्यक्ति को रेबीज से संक्रमित पागल कुत्ता आदि काट ले तो मरीज को ७२ घंटे के अंदर आलर्क निरोधी वैक्सीन लगवाना आवश्यक है| वैक्सीन न लगवाने की इस्थिति में रेबीज़ रोग होने का खतरा होता है|इस टीके की खोज लुई पास्चर नामक फ्रांसीसी वैज्ञानिक ने की।
रेबीज के लिए बहुत सारे आयुर्वेदिक डॉक्टर भी बिषहर क्लासिकल आयुर्वेदिक दवाइयों के सहयोग से रेबीज से संक्रमित रोगियों के लिए उपचार करते हैं। लेकिन बहुधा वह सब ही उनका प्रयास विफल होते देखा जाता है या कभी-कभी रोगी भी पूर्ण रूप से उन दवाइयों के प्रति समर्पित नहीं होते लेकिन संभवत विधिपूर्वक आयुर्वेदिक चिकित्सा करे तो रेबीज को हराया जा सकता है।
यदि आपके घर परिवार गली मोहल्ला में किसी को भी पागल कुत्ते के काटे जाने से रेबीज होने का संभावना दिख रहा है या उसका लक्षण दिख रहा है जानकारी के अभाव में एलोपैथिक इंजेक्शन भी नहीं लगाया गया और शरीर में रेबीज का लक्षण हावी हो रहा हो तो आप हमें जरूर 86991 75212 इस नंबर पर संपर्क करें रेबीज के हमारे इलाज से संबंधित अधिक जानकारी के लिए दिए गए लिंक में क्लिक करके वीडियो को जरुर देखें।
गुरुजी के स्वर्गवास हो जाने के बाद जिन रोगियों को मैंने खुद गुरु के बताए चिकित्सा विधि द्वारा रेबीज के रोगियों को ठीक किया है उनका audio recording करके यहां डाल दिया है।
दोस्तों जिस वनस्पति के में अभी नाम बताने जा रहा हूं | हिंदुस्तान में इसे क्या बोलते हैं मुझे नहीं मालूम मैं एक बार नेपाल में गया था और वहां के वैद्य भी इस वनस्पति का प्रयोग करते थे | उनके पास रेवीज के संक्रमित बहुत सारे लोग भी आते थे | और दवाई लेकर जाते थे उत्सुकता बस मैंने भी उनसे उस वनस्पति के नाम और निर्माण विधि को नोट किया हुआ है | आपको बता दूं डूंमरी नाम का एक पेड़ होता है यह बिहार पश्चिम बंगाल और नेपाल के साइड में बहुत मिलता है इसके पत्ते आम की तरह ही होते हैं | वहां के लोग इसको बकरे को घास देने के लिए ज्यादा प्रयोग करते हैं | रेबीज के संक्रमण से रोगी को बचाने के लिए इसी वनस्पति के पत्ते का उपयोग किया जाता है।
मैं भी जिज्ञासा बस उन वैद्य जी के द्वारा बताए तरीका से इस दवाई को बनाकर अभी तक 6 लोगों को दवाई दे चुका हूं। इस दवाई के वजह से उनमें से 2 लोग पूरी तरह से ठीक हुए हैं पर बाकी के लोग शायद ठीक नहीं हुए इसीलिए उन्होंने मुझे कोई फोन नहीं किया लेकिन जो पेशेंट ठीक हुई है वह दोबारा मेरे पास आए और कुछ गिफ्ट भी दिए हैं उन्होंने। इस दवाई के प्रति आश्वस्त होने का मेरा कारण है कि मैंने उन छह में से 2 लोगों को ठीक किया हूं | हालांकि रेबीज के संदर्भ में बताया जाता है कि रेबीज कभी ठीक ना होने वाला व्याधि है। यदि आप या आपके परिवार में कोई सदस्य इस व्याधि से पीड़ित है तो मेरे पास आना चाहिए या नहीं उसे दवाई का प्रयोग करना चाहिए या नहीं इसी के आधार पर आप खुद से अनुमान लगा लीजिए कि मेरे पास 6 में से 2 लोग इस व्याधि से ठीक हो रखे हैं।
जब किसी को कुत्ता काट लेता है तो शरीर में हालांकि तुरंत ही रेबीज का संक्रमण फैल जाता है इससे बचने के लिए तुरंत कुत्ता ने जिस जगह में कांटा है वहां पर ब्लेड से चीरा लगाकर ज्यादा से ज्यादा वहां से खून को निकाल देना चाहिए और साथ में वहां पर साबुन पानी से अच्छी तरह सफाई कर देना चाहिए यहां पर कचनार नाम के वनस्पति का राख भी प्रयोग करने का प्रचलन है मान्यता है कि यह राख उस कुत्ते की राल को नष्ट करता है लेकिन संभवत यह उसी वक्त होनी चाहिए जब कुत्ते ने काटा है जब ब्लड में मिलकर अंदर तक वह संक्रमण चले जाए तो यह उपाय काम नहीं करेगा।
रेबीज से संक्रमित जानवर जब किसी व्यक्ति को काटता है तो ज्यादातर 23 दिन में अपना असर दिखाता है। रेबीज का लक्षण उसके बाद धीरे-धीरे शरीर में बढ़ते क्रम में महसूस किया जा सकता है।
सभी तरह के कुत्ते पागल नहीं होते स्वस्थ कुत्ता काटे तो रेबीज नहीं होता लेकिन वह कुत्ता स्वस्थ है या नहीं इसके ऊपर भी जरूर ध्यान रखना चाहिए यदि वाकई में कुत्ता पागल होगा तो जरूर परीक्षण कराकर रेबीज होने की आशंका होते ही तुरंत इंजेक्शन लगाना चाहिए।
पागल कुत्ता को दूर से देखने से ही पता चल जाता है कि यह कुत्ता पागल है। ब्रेन में हुए नुकसान के कारण से वह कुत्ता चंचल प्रकृति का होगा। मुंह से लार निकालता हुआ, लंबा श्वास लेता हुआ,कभी भी एक जगह स्थिर होकर के रहने में असमर्थ अपने पुंछ को सीधा करके अपने टांग के अंदर छुपाते हुए हमेशा दौड़ता रहता है यही पागल कुत्ते का लक्षण है।
सामान्य एवं पशु चिकित्सक दोनों ही यही बताते हैं कि पूर्ण रुपसे रैबीज संक्रमित कुत्ता ज्यादा से ज्यादा 10–15 दिन तक जीवित रहते हैं। रेबीज के घाव कुत्ते को एक जगह शांति से बैठने नहीं देता रेबीज से संक्रमित कुत्ता कुछ दिन के बाद मर जाता है।
जब किसी संक्रमित जानवर के काटने पर उसकी लार में मौजूद वायरस दूसरे जीव में चले जाते हैं, तो रेबीज विकसित हो जाता है। इसके अलावा संक्रमित जानवरों के पंजे की खरोंच से भी यह वायरस फैल सकता है। रेबीज केवल स्तनधारियों को प्रभावित करने वाला रोग है जो विश्व स्तर पर कुत्तों में सबसे अधिक देखा जाता है।
अगर आपको घर में पला पालतू कुत्ता काटता है और उसमें आपने रेबीज का इंजेक्शन लगाया है तो घबराने की जरूरत नहीं है ऐसी स्थिति में आप साबुन और पानी से ध्यानपूर्वक चोट वाले हिस्से को साफ करें। अगर आपके पास एंटीबायोटिक क्रीम है तो उसे चोट पर लगाएं। अब घाव पर साफ बैंडेज लगाएं। बैंडेज को लगा रहने दें और पीडित व्यक्ति को डॉक्टर के पास लेकर जाएं।
कोई भी कुत्ता जब तक उसमें रेबीज का वायरस प्रवेश न किया हो तब तक डरने की कोई बात नहीं है। यदि आपके घर में पला हुवा पालतू कुत्ते का छोटा सा बच्चा काटता है और उसमें रेबीज का कोई संक्रमण नहीं दिखाई देता तो बहुत अधिक घबराने की जरूरत तो नहीं है लेकिन फिर भी वस्तुनिष्ठ के ऊपर ध्यान देते हुए एक बार डॉक्टर से परामर्श कर लेना अच्छी बात है।
दोस्तों कुत्तों के काटने से जब आपके शरीर में रेबीज नामक संक्रमण प्रवेश करता है तो सबसे अधिक वह मस्तिष्क के मांस पेशी को नुकसान करता है। ब्रेन के सभी नसों को कमजोर करना शुरू करता है। वह संक्रमण शरीर के जीवनीय शक्ति को नष्ट करता है। प्राणवायु को बाधित करता है। इसी कारण से जब रोगी किसी पानी को देखता है तो उस पानी में चंद्रमा या सूर्य के किरण पड़ जाने से रिफ्लेक्ट होकर आने वाला तरंग युक्त लाइट उसके ब्रेन को चकाचौंध करना शुरू कर देता है । क्योंकि ब्रेन तो पहले से ही कमजोर है ऐसी स्थिति में पानी के तरंग से कमजोर ब्रेन के कारण से वह व्यक्ति के शरीर में झनझनाहट आना शुरू हो जाता है। इसीलिए पानी को देखते ही रोगी डरना शुरू करता है।
अब यह सवाल ही बहुत महत्वपूर्ण है।बहुधा लोग बताया करते हैं कि सर कुत्ता के कटा हुआ 5 महीना हो गया, साल भर हो गया, 5 साल हो गया क्या मुझे बाद में रेबीज का लक्षण दिख सकता है। या फिर कुछ लोगों का सवाल होता है कि क्या कुत्ते के नाखून लगने से खून निकल जाए तो भी रेबीज होता है | तो मेरे जानकारी में इतनी बात है कि अगर 23 दिन से 3 महीने के अंदर रेबीज का लक्षण नहीं दिखता तो बहुत कम चांस है कि आपको आगे जाकर रेबीज का लक्षण दिखेगा । दूसरी बात नाखून लगने से रेबीज नहीं होता। रेबीज सिर्फ मुंह से निकलने वाली जो राल है उसी में रेबीज का संक्रमण होता है। कुछ लोगों का मानना है कि बहुत साल बाद भी इसका असर होता है तो मुझे लगता है कि रोगी जब इस बात को अधिक सोचता रहता है तो उस मानसिक स्थिति की वजह से अंतराल में कुछ समस्या दिखे वह अलग बात है मगर मुझे नहीं लगता कि बहुत सालों बाद रेबीज का असर होता होगा।
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