Nadi Pariksha course:- Ayushyogi दे रहा है Online Nadi Pariksha course की सुविधा जहां अनेक वर्ग के लोग Nadi pariksha course प्राप्त करके बहुत खुश है । कलाई में हाथ रखकर रोगों को जानने की परंपरा विलुप्त होने की कगार पर है। जो रोग परीक्षण बड़े-बड़े मशीन से नहीं हो पाता वह एक साधारण वैद्य रोगी के कलाई में हाथ रखते ही धाराप्रवाह ऐसे बताया करते हैं जैसे अपने दिव्य चक्षु से शरीर के अंदर scanning कर रहा हो। मगर एलोपैथिक के जोरदार प्रचार और आयुर्वेदिक की अनदेखी के कारण इस तरह के दुर्लभ ज्ञान नष्ट होते जा रहा है।
महाराष्ट्र के प्रख्यात आयुर्वेदीक वैद्य जिन्होंने अपने जीवन काल में अनेक रोगियों का उपचार करके धन, यश और कीर्ति अर्जन करके अपने जीवन के उत्तरार्ध को व्यतीत करने के लिए सन्यास धारण करके वृंदावन के किसी आश्रम में बैठे हुये थे।
ऐसे आयुर्वेद भुषण महापुरुष का संपर्क वैद्य पं. द्रोणाचार्य जी के साथ हुवा इन्होंने विद्यार्थी काल में ही स्वामी जी से विस्तृत नाड़ी परीक्षा विधि को सिखा हुआ था। आज स्वामी जी तो स्वर्गवास हो गए हैं ।
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लेकिन उनके बताए हुए तरीका से आज वैद्य द्रोणाचार्य जी हजारों आयुर्वेदिक वैद्य और दूसरे आयुर्वेद सीखना चाहने वाले आयुर्वेद प्रेमियों को online class के जरिए Online Nadi Pariksha course प्रदान करते हैं। यदि आप भी भारतीय परंपरागत विशेष आयुर्वेद और Practical Rare Nadi Pariksha Course. को सीखना चाहते हैं तो इस Ayushyogi Website से Online Nadi Pariksha course को Booking कर सकते हैं।
Nadi Pariksha Course को सीखने के लिए आपको बहुत अधिक आयुर्वेद पड़ा होना चाहिए ऐसी भी कोई बात नहीं है। आयुर्वेद के प्रति समर्पित भाव हो विश्वास हो और कुछ सीखने का तमन्ना हो तो आप Nadi pariksha Course को बड़ी आसानी से Practical समझ पाएंगे।
दरअसल द्रोणाचार्य जी लंबे समय से Online ही लोगों को Nadi Pariksha Course का प्रशिक्षण कराते हैं। इसीलिए उनमें नाड़ी परीक्षा कोर्स को सिखाने का ऐसा हुनर है कि कैसा भी व्यक्ति वैद्य द्रोणाचार्य जी के पास गए बगैर ही online से ही नाड़ी परीक्षा कोर्स बखूबी सीख सकता है।
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लगभग हर महीने का 5 तारीख से नाड़ी परीक्षा कोर्स का न्यू सेशन शुरू होता है। 30 दिन तक चलने वाली इस विशेष नाड़ी परीक्षा कोर्स को आप अपने घर में बैठकर ही online सीख सकते हैं।
वैद्य द्रोणाचार्य जी से practical Traditional Ayurveda Nadi Pariksha Course को यदि आप सीखना चाहते हैं तो इसके लिए आपको पूरा नाड़ी परीक्षा कोर्स हेतु 2100rs सेवा शुल्क प्रदान करना होगा। यदि आप आर्थिक रूप से परेशान हो ऐसे में आयुर्वेद और विशेष करके प्रैक्टिकल आयुर्वेदा नाड़ी परीक्षा कोर्स को सीखना चाहते हैं तो ऐसे में इसी Website में Share And Earn का Option है वहां रोज Click करें। और अपने मित्रों को व्हाट्सएप फेसबुक के जरिए वहीं से लिंक को शेयर करें हर रोज का इस तरह से शेयर करने से हर रोज आपको कुछ कुछ पैसे मिलता रहेगा महीने के अंत तक पहुंचते-पहुंचते आप इतने पैसे कमा सकते हैं जितने से आप नाड़ी परीक्षण कोर्स को प्राप्त कर सको यह भी आप सभी के लिए विशेष सुविधा प्रदान किया है आयुष योगी ने।
दोस्तों यदि आप आयुर्वेद को बिल्कुल नहीं जानते मेरा मतलब आयुर्वेद का बेसिक नॉलेज भी आप नहीं जानते तो ऐसे में Nadi Pariksha course सीखने के बावजूद भी आप हमारे इस Nadi Pariksha course से कुछ हासिल नहीं कर पाएंगे हमारे इस ऑनलाइन क्लास में बहुत सारे ऐसे भी विद्यार्थी आते हैं जिनको Basic Ayurveda Knowledge के बारे में भी नहीं पता होता है । इसीलिए इस नाड़ी परीक्षा कोर्स में हम लोग सर्वप्रथम बेसिक आयुर्वेदा के कांसेप्ट को समझते हुए Nadi Pariksha के सिद्धांतों को पढ़ेंगे।
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नाड़ी परीक्षण करते वक्त नाड़ी परीक्षक को सर्वप्रथम जन्म प्रकृति और दोष विकृति के बारे में परीक्षण करना होता है। पृथ्वी जल तेज वायु और आकाश इन महाभूतों के आधार पर किसी व्यक्ति का जन्म प्रकृति तय होता है। इंसान का जब जन्म होता है तो पिता का वीर्य और मां के रज दोनों के सहयोग से मात्री गर्भ में जब बालक का निर्माण होता है तो वहां पर इन्हीं महा भूतों का संयोग से शरीर का निर्माण होना शुरू होता है । शरीर निर्माण के क्रम में
किसी व्यक्ति के शरीर में आकाशादि कौन सा महाभूत प्रबल रूप से कार्य कर रहा था और कौन सा महाभूत उस वक्त कमजोर था प्रतिशत के आधार पर होने वाली पंचमहाभूतों की समीकरण ही उस व्यक्ति के शरीर , बल वर्ण,विचार आदि निर्धारित होते हैं। इसीलिए नाड़ी परीक्षण करते वक्त हम जन्म प्रकृति का परीक्षण करते हैं। जिसके माध्यम से हमें यह पता चलता है कि इस व्यक्ति के शरीर में कौन सा महाभूत प्रबल रूप से काम कर रहा है और कौन-कौन से महाभूत कमजोर है इसी महाभूत के आधार पर दोष विकृति भी हम नाडी़ के माध्यम से ही जान सकते हैं।
आयुर्वेदिक सिद्धांत के अनुसार हमारा शरीर मे आकाश और वायु के संयोग से वात दोष, अग्नि और जल महाभूत से पित्त दोष, तथा जल और पृथ्वी महाभूत से कफ दोष का निर्धारण होता है। हमारे इस नाड़ी परीक्षा कोर्स मैं आपको आयुर्वेदिक सिद्धांत के आधार पर इस कफ पित्त और वात का किस प्रकार से पंचमहाभूतों से संबंध होता है और नाड़ी परीक्षा करते वक्त कफ,पित्त, वात किस प्रकार से कलाइ मे दिखाई देता है और इन दोषों का शरीर में किस प्रकार से प्रभाव होता है।Ayushyogi Nadi Pariksha Class में इसके ऊपर विशेष रोचक विधि से विद्यार्थियों को समझाया जाता है।
आयुर्वेदिक ग्रंथों में सप्त धातुओं के ऊपर बहुत चर्चा किया हुआ मिलता है. क्योंकि उन ग्रंथों में संस्कृत भाषा में इसके ऊपर व्याख्यान किया हुआ रहता है और जो हिंदी में ट्रांसलेट है वह भी क्लिष्ट होता है। ऐसे में सभी साधारण वर्ग के लोग जीने आयुर्वेदिक विषयों का जिज्ञासा तो है मगर विधि पूर्वक कॉलेजों में आयुर्वेद का शिक्षा ग्रहण नहीं किया हैं ऐसे लोगों को अलग तरह से इन सिद्धांतों को समझाना पड़ता है। आपको नाड़ी परीक्षण सीखते हुए हमारे यहां इन सात धातुओं के ऊपर बेहद प्रैक्टिकल और रोचक विधि से समझाया जाता है कि कौन सा धातु किन-किन चीजों से बना हुवा है और वह किस तरह से कार्य करता है। हानी कब करता है। लाभ कब करता है। आदी बातों के ऊपर Ayush Yogi Nadi Pariksha course मैं विस्तृत चर्चा की जाती है।
समदोष: समाग्निश्च समधातुमलक्रियः।
प्रसन्न आत्मेन्द्रिय मनाः स्वस्थ इति अभिधीयते।।
दोषों का सम होना, पाचन क्रिया का उचित होना, धातु समता और मल विसर्जन उचित होना, आत्मा एवं मन का प्रसन्न होना, यह स्वस्थ होने के लक्षण हैं।
इस प्रकार से दोष धातु और मालों का सम होने की स्थिति को नाड़ी परीक्षण में कैसे समझा जा सकता है।
इसके ऊपर विस्तृत चर्चा आपको आयुष होगी नाड़ी परीक्षा कोर्स में समझने और पढ़ने को मिलेगा। हमारा जो शरीर है वह कई प्रकार के छोटे छोटे चेतनसील कोशिकाओं द्वारा संचालित होता है। सभी कोशिकाएं वैसे तो पूर्ण रूप से रक्त धातु द्वारा निर्मित होता है लेकिन कुछ कोशिकाएं दूसरी धातुओं के सहयोग से भी बना हुआ होता है।
Ayushyogi Nadi Pariksha Course में आपको इन सभी विषयों के ऊपर साधारण विधि से सीखने को मिलेगा की किस प्रकार शरीर का इन सप्त धातु द्वारा निर्माण होता है। और उस कोशिकाओं को कैसे हम नाड़ी परीक्षण के माध्यम से जान सकते हैं। जैसे लीवर,किडनी आदि ऑर्गन किन धातुओं के संयोग से बना हुआ है ।
और किस प्रकार से इन आर्गन में कमजोरी होने पर हमें नाडी़ में Specific Spike के बदौलत समझ में आती है कि यहां लीवर अच्छा है या नहीं,, लिवर में किस तरह का समस्या है .. आदि बिंदुओं के ऊपर हम Ayushyogi Nadi Pariksha Course में चर्चा करेंगे।
समय के साथ-साथ अनेक प्रकार के रोगों से पीड़ित रोगी चिकित्सक के पास आते हैं। समय के साथ-साथ और रोगों की क्वालिटी में भी परिवर्तन देखा जाता है। हालांकि आयुर्वेदिक सिद्धांत के अनुसार जिन व्याधियों को लिखा गया है उसी नाम वाला व्याधि ही विविध रूप और लक्षणों से युक्त होकर व्यक्ति को दुख देता है। हालांकि विश्व चिकित्सा संगठन जो पाश्चात्य चिकित्सा विधि से प्रभावित है वे नए-नए रोगों का नामकरण करने में एक्सपर्ट है। जैसे आयुर्वेदिक दृष्टिकोण में कफ द्वारा फुफूसावरण यानी lung को कफ द्वारा आवरण करना एक नए तरह से समाज में शरीर ने दिखाना शुरू किया तो उसे पाश्चात्य चिकित्सा विधि ने Corona नाम से संबोधन किया है। लेकिन वस्तूत Corona कफ से संबंध रखने वाला एक आवरण जनित व्याधि है ।
जो लाखों वर्ष से होता आया है यह कोई नया व्याधि नहीं है ऐसे में अगर Corona से पीड़ित व्यक्ति किसी चिकित्सक के पास आते हैं तो आपको भ्रमित होना नहीं है दिमाग में यही रखना है कि यह कफ द्वारा फेफडों मैं अत्यधिक दबाव बनाना इसका मुख्य हेतु है जब हम नाड़ी परीक्षण करेंगे तो lung में कफ का आवरण जरूर दिखेगा उपचार भी कफ सामक ही होनी चाहिए।
इसी तरह सभी प्रकार के organ में होने वाली शारीरिक उपद्रव को हम नाड़ी परीक्षण के माध्यम से जानने का विस्तृत प्रयास Ayushyogi Nadi Pariksha Course के माध्यम से करेंगे|
यदि आपका सवाल नाड़ी परीक्षा सही है या नहीं इस पर है तो यकीन मानिए हमारे यहां से हजारों लोग नाड़ी परीक्षा विधि को सफलतापूर्वक सीख चुके हैं। शायद आयुर्वेद बिल्कुल न जानने वालों के लिए हमेशा यह सवाल बना रहेगा.. क्योंकि आयुर्वेद को सिखे बगैर, सिद्धांत को जाने बगैर, Ayushyogi Nadi pariksha Course को सीखने के बावजूद भी आप सफल नाडी़ परीक्षक नहीं बन सकते।
ऐसे में Nadi Pariksha Course को सीखने के बाद भी आपके मन में यही सवाल आएगा कि क्या नाड़ी परीक्षा सटीक होता है? अन्यथा यदि आप आयुर्वेद के मूलभूत सिद्धांत को समझते हैं तो उसी सिद्धांत के आधार पर आधारित Ayushyogi नाड़ी परीक्षण Course सीखकर इसी आधार पर यदि रोग परीक्षण करते हैं तो निश्चित आपको सफलता प्राप्त होगी।
साधारण तौर पर नाड़ी परीक्षण प्राणवह स्रोतस से संबंधित गतिविधियों को समझने के लिए जाना जाता है। हालांकि नाड़ी परीक्षण सभी प्रकार के शारीरिक और मानसिक विकारों में कारगर साबित हुआ है।
रोगक्रांत शरीरस्य स्थानान्यष्टौ परीक्षयेत्।
नाड़ी परीक्षण (प्राणवह स्रोतस)के लिए जाना जाता है । इसके अलावा यदि मूत्र वह स्रोतस् से संबंधित समस्या हो तो नाड़ी परीक्षण के साथ मूत्र परीक्षण भी जरूरी होता है।
मूत्र परीक्षण(किडनी+अपान) इन दोनों के संबंध में आने वाले विकृतियों को देखने के लिए किया जाता है।
मल परीक्षण (अन्नवह स्रोतस+अपान वायु) इन दोनों में होने वाली डिसबैलेंस में किया जाता है।
जिह्वां परीक्षण (मध्य शरीर) मध्य शरीर में होने वाली व्याधि को जाने के लिए जिह्वा परीक्षण किया जाता है। इसी प्रकार।
शव्द परीक्षण (उदान+प्राण वायु)
स्पर्श परीक्षण (व्यान वायु+भ्राजक पित्त +श्लेषक कफ)दृग परीक्षण(आलोचक पित्त +रंजक पित्त+)
आकृति परीक्षण जाति+सम्प्रदाय+लुलालंगडा+कमजोर+दृढ शरीर+age+स्त्री पुरूष+शरीर का लम्वाग चौडाई आदि विषयों को रोगी के शरीर में ढूंढना होता है इन सभी सिद्धांतों को यदि नाड़ी परीक्षण के साथ जोड़कर रोग परीक्षण करें तो निश्चित आप एक बेहतरीन नाड़ी परीक्षक बनकर उभरेंगे।
नाड़ी परीक्षण सीखने से आपको बहुत फायदा होने वाला है सबसे पहले तो यदि आप का प्रेक्टिस बहुत अच्छा हो तो आपको कोई भी प्राइवेट हॉस्पिटल वाले अपने पास रख सकते हैं। क्योंकि नाड़ी परीक्षण सभी प्रकार के रोग परीक्षण करने के लिए एक सफल और कम लागत में किया जाने वाला व्यवस्था है। आप के पास यदि कोई लाइसेंस नहीं भी है मगर एक सफल नाडी़ परीक्षक हो तो कहीं भी छोटा सा ऑफिस बनाकर रोग परीक्षण करने के लिए बोर्ड रख सकते हैं।
आप खुद समझदार हो लोग आपके पास कितनी संख्या में आ सकते हैं क्योंकि दुनिया में तरह-तरह के व्याधि को लेकर लोग घूम रहे हैं अभी तक उनको यही मालूम नहीं होता कि उनके शरीर में Basically हो क्या रहा है कोई भी मशीन भी प्रॉपर बहुत सारे रोगों को पकड़ नहीं पाता विशेष करके यदि कोई मानसिक व्याधि है तो यहां नाड़ी परीक्षण ही सर्वोत्तम डायग्नोसिस प्रोसेस है।
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नाड़ी परीक्षा के बदौलत हम किसी भी महिला के प्रेगनेंसी से संबंधित जानकारी को प्राप्त कर सकते हैं।
हालांकि यह एक गूढ़ विषय है इसको जानने के लिए आपको नाड़ी परीक्षण प्रारंभ से ही सीखना होगा जो Ayushyogi Nadi Pariksha Course में संपर्क करके आप ऑनलाइन क्लास में प्रवेश कर सकते हैं। आपको मैं यह नीचे link दे रहा हूं इसमें click करके आप Direct Ayushyogi संस्थापक से बात कर सकते हैं।
बरसों से नाड़ी परीक्षण विधि एक मेहनत का फल है। बहुत लोग बिन मेहनत कीये ही नाड़ी परीक्षण करने वाला मशीन की तलाश में लगे रहते हैं जो सटीक नाड़ी परीक्षण कर सकें। बहुत सारे लोगों ने इस दिशा में खूब काम किया है। प्रचार भी खूब हुआ मशीन भी बाजार में उतारा गया लेकिन उसमें सिर्फ कफ पित्त और वात से संबंधित जानकारी ही मिल सकता है उसके अलावा बाकी धातु लेवल की बातें और आर्गन पल्स की बातें और मनोवह स्रोतस् से संबंधित जानकारी मशीन कभी नहीं दे सकता। इसके लिए आपको नाड़ी परीक्षण सीखने के लिए मेहनत तो करना ही पड़ेगा।
कुल मिलाकर नाड़ी परीक्षण यह एक आत्मज्ञान है इसको सीखने के लिए कुछ मेहनत तो करना ही पड़ेगा मशीन के ऊपर निर्भर जब तक आप रहोगे तब तक आप के सामने सफल चिकित्सक बनने के लिए कई सारे व्यवधान बना रहेगा। यदि आप वाकई में दिलचस्पी रखते हो तो एक बार इस लिंक में क्लिक करके हमारे आयुष योगी ऑनलाइन डेमो क्लास को देख लीजिए
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अच्छा लगे तो क्लास में प्रवेश करना बेहतरीन आयुर्वेद प्रचार-प्रसार हेतु आप हम सभी के लिए भगवान धन्वंतरि हौसला प्रदान करें नमस्कार।