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panchakarma (vomiting) vamana therapy at Home in hindi.  | घर में ही पंचकर्म वमन क्रिया विधिपूर्वक करने का आसान तरीका।

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Panchkarm Vamana therapy आयुर्वेदिक चिकित्सा का सबसे महत्वपूर्ण body detoxification का आधार है। वमन क्रिया द्वारा हम सर्दियों के मौसम में खाए हुए सभी गुरु और स्निग्ध पदार्थ जो शरीर के अंदर मल toxin के रूप में स्थित है को विधि पूर्वक बाहर निकलने का एक व्यवस्था है. जिसके तहत हम अगले मौसम(गर्मी ) में प्रवेश करने हेतु शरीर की तैयारी करते हैं। 

या कोई भी कफ दोष से उत्पन्न रोग में सोधन हेतु बमन क्रिया का प्रयोग करके शरीर के सभी विषाक्त पदार्थों को शरीर से विधि पूर्वक बाहर निकलते हैं। ख्याल रखना वमन विधि सिर्फ उल्टी करने वाली प्रक्रिया नहीं है|

तो फिर Vamana therapy क्या चीज है क्यों की जाती है, किसके लिए की जाती है, यह किसके लिए हानिकारक है इन सभी बातों को हम यहां विस्तार पूर्वक चर्चा करने वाले हैं।

Ayushyogi Panchkarm therapy live class:- vamana Therapy

 

पूर्वकर्म -  Vamana karma (vomiting)  बमन क्रिया या कुंजल क्रिया हेतु पूर्व तैयारी।

शोधन कर्म के तहत बमन चिकित्सा के लिए यह कुछ बातें ध्यान रखना है 

लंघन ,दीपन ,पाचन आदि द्वारा जब शरीर निरामावस्था में हो और अग्नि प्रबल हो तब रोगी को स्नेहपान देने के लिए बुलाना चाहिए।

शोधन स्नेह में  :- रात में खाए हुए अन्न डाइजेस्ट हुआ हो पेट साफ हो गया हो मगर अभी भूख ना लगा हुआ हो ऐसा समय 5:00 am के आसपास में ही होता है बस इसी समय शोधन स्नेह स्नेहपान देना चाहिए।

ऐसी अवस्था का चुनाव क्यों किया गया 

क्योंकि हम यहां बड़े हुए दोषों को शरीर से बाहर निकालना चाहते हैं। रात का खाया हुआ अगर हजम नहीं होता तो यह अजीर्ण अवस्था हो सकता है ऐसे में ऊपर से घी या तेल पीने पर रोगी को दिक्कत होगी यदि भूख लगने पर यह स्नेह दोगे तो भी वह जल्दी पाचन होने की संभावनाओं में चले जाएगा यह भी यहां अपेक्षित नहीं है यहां हम यह चाहते हैं की स्नेह लेनेंके वाद रोगी को लंबे समय तक भूख ना लगे क्योंकि यह घी या तेल को हम शरीर के छोटे-छोटे सूक्ष्म स्रोतसों तक इस रूप में पहुंचाना चाहते हैं अगर यह जल्दी पच जाता है तो हमारा काम सिद्ध नहीं होगा। 
इसीलिए शोधन स्नेह अधिक मात्रा में देने का प्रचलन है। जिस दिन Vamana karma करना है उससे 7 दिन पहले से ही इसकी तैयारी करनी होती है।

या यहां पर हम यह कह सकते हैं कि जब तक सम्यक स्नेह का लक्षण नहीं दिखता तब तक स्नेह देते रहेंगे और यह लक्षण लगभग सातवें दिन तक दीखना हर किसी में शुरू हो जाता है।

Vamana Therapy Treatment in Hindi
 

शोधन बमन चिकित्सा के लिए सम्यक स्नेह का लक्षण

  1. अग्नि दीप्त 
  2. द्रवमल
  3. पुरिष स्निग्धता
  4. त्वचा स्निग्धता (compulsory) 
  5. लाघवता 
  6. कुछ थकावट 
  7. शरीर में सिथीलता
  8. वातानुलोमन
  9. मलद्वार से चिकना पदार्थ निकलना

यह लक्षण दिखने पर समझ लो कि अब स्नेह अधिक नहीं देना है। 


Note:- ध्यान देना यदि हम आयुर्वेदिक विधि को छोड़कर मनमर्जी करते हैं बगैर लक्षण को देखे अगला काम करते हैं तो इसमें गड़बड़ी होना तय है इसीलिए लक्षणों को देखते हुए सावधानी पूर्वक वमन चिकित्सा के सभी प्रकरण को संचालन करें।

जिस दिन Vamana karma करना है उससे 7 दिन पहले से ही इसकी तैयारी करनी होती है।
यह भी ध्यान रखें कि वमन क्रिया सिर्फ कफ से संबंध रखने वाले व्याधियों के लिए ही किए जाते हैं। बमन चिकित्सा का प्रमुख आधार कफ ही है।
 कफ के स्थान में यदि थोड़े मात्रा में पित्त या वायु आया हुआ है तो उसे भी वमन द्वारा ही निकालना चाहिए।

स्नेहपान की तैयारी


First day

सबसे पहला दिन आपको Ayurvedic vamana karma vidhi हेतु  आवश्यकतानुसार लंघन दीपन पाचन आदि कर्म हो जाने के बाद।
पंचांग से शुभ दिन देखकर रोगी को अपने क्लीनिक में स्नेहपन के लिए बुला लीजिए।
जैसे कि हम ऊपर बता चुके हैं यहां शोधन की बात हो रही है तो इसके लिए रोगी को सुबह रात में खाया हुआ भोजन पचा हुआ होना चाहिए लेट्रिन पेशाब हुआ होना चाहिए मगर सुबह भूख लगा हुआ नहीं होना चाहिए ऐसी अवस्था में रोगी को बैठकर दिव्य मंत्र उच्चारण सहित 30ml( हृसीयसी मात्रा) में दोषों के आधार पर पित्त में simple घी,कफ में सोंठ,कालिमिर्च या क्षार आदि मिलाया हुआ घी या तेल, वायु में सेंधानमक मिलाकर घी या तेल देना चाहिए।

 स्नेह पिलानेसे पूर्व दोषानुसार कोमल सौम्य औषध देनी चाहिये। जिस औषधसे जाठराग्नि प्रदीप्त हो, और कोष्ठमें लघुता उत्पन्न हो जाये।

स्नेह पाचन के वक्त इस प्रकार का लक्षण दिखता है। 

उष्ण जल पीनेके उपरान्त जबतक स्नेहका पाचन हो तबतक भारी वस्त्रसे डांपकर सामनेकी वायुसे बचकर बन्द कमरेमें रहे। स्नेहके जीर्ण होनेके समय प्यास लगनेपर गरम पानी थोड़ा थोड़ा पिये । 
शिरोवेदना, भ्रम, मुखसे थूक आना, मूर्च्छा, शिथिलता, बेचैनी और थकान होनेसे स्नेह को पचता हुवा जानना चाहिये और जब शिरोवेदना आदि लक्षण शान्त हो जायें और हल्कापन प्रतीत हो तब स्नेहको पचा हुवा जानना चाहिये । स्नेहके पचजानेपर वायुकी अनुलोमता, आरोग्यता, तृष्णाकी समाप्ति और उद्गारकी शुद्धि हो जाती है। अष्टांग संग्रह

 

 यदि स्नेह जीर्ण की शंका हो तो दोबारा गर्म पानी पिला दे।
इस पानी से उद्गार का शोधन,भोजन में रुचि और शरीर में हल्कापन जरूर दिखता है।

यदि आप बमन चिकित्सा में अधिक पारंगत नहीं हो तो मेरा मानना यही है कि पहले दिन आप रोगी के बल के हिसाब से 30 या 40 ml से ही प्रारंभ करें।



2nd to 4th. day का स्नेह
Ayurvedic vamana karma vidhi हेतु पहले दिन का स्नेह कितने घंटे में digest हुआ है इसका निरीक्षण करें। 
यदि 4 घंटे से पहले ही रोगी को भूख लगती है तो अग्नि तिक्ष्ण है। 8 से 12 घंटे के आसपास में भूख लगती है तो अग्नि मध्य है ।  भूख लगने में लगभग 24 घंटा लग गया तो अग्नि मंद है ऐसा समझ कर । 4 घंटे में भूख लगे तो दूसरे दिन 60 ml, 8 से 12 घंटे में भूख लगे तो दूसरे दिन 50 ml, 24 घंटे में भूख लगे तो 40 ml उस रोगी के लिए यह स्नेह का मात्रा होता है।
अब इसी के आधार पर आप प्रतिदिन रोगी को कितने घंटे में भूख लगा इसका निरीक्षण करते हुए चार दिन तक स्नेहपान कराते जाइए।


5th day का स्नेह
इस दिन के बाद स्नेहपान बेहद सावधानी से करना है स्नेह पान का समय और मात्रा का क्रम वही रहेगा यानी भूख कितने घंटे में लगा इसको देखना है और शरीर में क्या-क्या लक्षण दिख रहा है रोगी का दिनचर्या कैसा है आदि विषयों का निरीक्षण करते हुए पांचवें छठे और सातवें दिन भी मात्रा वढाते हुए स्नेहपान करें।

  1. अग्नि दीप्त 
  2. द्रवमल
  3. पुरिष स्निग्धता
  4. त्वचा स्निग्धता (compulsory) 
  5. लाघवता 
  6. कुछ थकावट 
  7. शरीर में सिथीलता
  8. वातानुलोमन
  9. मलद्वार से चिकना पदार्थ निकलना

यह लक्षण दिखने पर अब स्नेहपान बंद करना है छठा या सातवें में से किसी एक दिन में यह लक्षण दिखता है।
यहां तक जो कुछ शरीर में होगा उसको हम यह मानेंगे कि शरीर में जितने दोष है यह घी उसे बेहद चिकन करेगा। अव बारी आती है दोषों को कोष्ट में लेकर आने की प्रक्रिया करने का।
इस प्रक्रिया का नाम है स्वेदन और मसाज । तो

7th / 8th days सुबह और शाम को अच्छी तरह से तेल लगाकर मसाज करें मसाज नीचे से ऊपर की ओर प्रेस करते हुए करना है उसके बाद स्वेदन ( steam) देनी है और रोगी को कम से कम 2 घंटे तक मोटे और गर्म कपड़े से लपेटकर बगैर पंखे में रखना है 2 घंटे के बाद गर्म पानी से नहलाना है।

इन दिनों में भोजन की व्यवस्था 

रोगी को स्नेह देने के बाद यह देखना है कि कितने घंटे के बाद उसको भूख लग रहा है और कितने मात्रा में भूख लग रहा है। भोजनविधान-जिसने कल स्नेह पीना हो, या जिसने कल स्नेह  पिया हो अथवा उसी दिन जिसने स्नेह पिया है वह द्रव,गरम, अनभिष्यन्दि (कफको न बढ़ानेवाला), बहुत स्निग्ध नहीं, थोड़ा स्निग्ध, अपथ्य या नाना जातीय भोजनोंसे न मिला भोजन मात्रामें खाये (जितना भूख लगा है उसे कम खायें)

  • भूख लगने पर रोगी को गर्म पानी से नहलाकर ताजा गर्म भोजन देना है |
  • भोजन जितना भूख लगा है उसके आधा ही देना है ।
  •  भोजन में मूंग और मसूर के अलावा कोई और दाल नहीं देना है,
  • सब्जियों में लौकी टिंडा आदि सब्जियों को बगैर अधिक मसाला डालें तैयार करना है
  • रोटी या चावल के साथ देना है
  • दिन में दो बार ही भोजन करना है
  • दिन में भोजन के सिवा और कुछ नहीं लेना है
  • दिन में सोना नहीं है बाहर के खुली हवा में जाना नहीं है
  • किसी से ज्यादा बोलना नहीं है
  • मोबाइल आदियों का इस्तेमाल नहीं करना है,

 

जिस भी व्यक्ति का स्नेहन कर्म किया गया है उसको निम्नलिखित बातो का पालन अवश्य करना चाहिए।

  • - खाने पीने की वस्तुओं को उष्ण अवस्था में प्रयोग करें।
  • - ब्रह्मचर्य पालन।
  • - रात्रि शयन परन्तु दिवा शयन निषेध
  • - वेग विधारण का निषेध।
  • - उच्च स्वर, शोक, क्रोध से बचें।
  • - शीत एवं ग्रीष्म से बचें।
  • - भारी वस्त्र ओढ़कर वायुरहित स्थान मे सोना।
  • - व्यायाम तथा प्रवात में शयन आशन का निषेध।
  • - प्यास लगने पर थोड़ा-थोड़ा गुनगुना जल पीये, स्नेह के पाचन की प्रतीक्षा करें।

 

यह बहुत सारे नियमों का पालन अगर रोगी नहीं करता है तो बमन चिकित्सा में गड़बड़ी होने की अधिक संभावनाएं होती है। शरीर को हमेशा गर्म रखने चाहिए।

 नीचे दिए गए दवाइयों को यथासंभव खरीद कर अपने पास रखें क्योंकि कल बमन यदि ना रुके तो शरीर को नुकसान पहुंचा सकता है इसलिए इन दवाइयों को कलेक्शन करके रख लो। यह सभी Ayurvedic vamana karma vidhi हेतु दवाइयां बमन (vomiting) को रोकने में सहयोगी होते हैं।

 

  1. सूतशेखर रस
  2. बोल भद्र
  3. प्रवाल पिष्टी
  4. कपूर रस 
  5. मुक्ता पिष्टी
  6. मयूर पिच्छ भस्म
  7. सेलाइन पानी


Ayurvedic vamana karma vidhi हेतु घी से सिद्ध किया हुआ एरण्ड नामक वनस्पति का डंडा इसको कल हम बमन क्रिया Vamana karma (vomiting) हो जाने के बाद जलाकर इसके धुएं को सुंघने में प्रयोग करेंगे।


final day
Ayurvedic vamana karma vidhi हेतु आज सुबह उठने के बाद लैट्रिंग पिसाब हो जाने के बाद  वमन  के लिए बैठ जाना चाहिए 

रोगीका blood pressure, nadi का परीक्षण करें और हृदय के धड़कन का निरीक्षण करें। 
रोगी को वामन चिकित्सा से होने वाली फायदाओं के बारे में अधिक से अधिक जानकारी दें और इस चिकित्सा की खूब प्रशंसा करें ताकि उसके मन में वमन के प्रति आस्था जागृत हो।

यहां ध्यान देने वाली बातें 
रोगी ने अगर लैट्रिन नहीं किया है तो सबसे पहले इसकी व्यवस्था करें यहां एक निरुह बस्ती भी दिया जा सकता है इससे बेहतर यह होगा की रात में ही कफ को उत्तेजित करने वाली भोजन जैसे दही गुड़ चावल आदि देने के बाद मुनक्का में पकाया हुआ दूध भी दिया जा सकता है यह अनुलोमान कर देगा और कफ को भी उभारने में सहयोगी होगा।

 

वमन क्रिया के लिए दिया जाने वाला सभी औषधियां ज्यादातर आग्नेय गुण वाला होते हैं।
यह दवाई शरीर के अंदर दोषों का दीपन पाचन करते हुए पूरे शरीर में फैल कर अपने उष्ण,तिक्ष्ण,सूक्ष्म,व्यवाई,विकासी आदि विशेष वीर्य से यानी अपने प्रभाव से हृदय में जाकर धमनियों द्वारा   या धमनी का अनुसरण कर स्थूल और सूक्ष्म स्रोतों में प्रविष्ट हो संपूर्ण शरीर में रहने वाले दोष समूह को अपने उष्ण होने के कारण विलीन कर देता हे।तिक्ष्ण होने के कारण दोषों का छेदन कर देता है । और वमनोपग  द्रव्य दोषों को पिघलाने का और स्नेह गुणों से आमाशय तक खींचकर लाने का कार्य करता है।

मदन फल
मदन फल को vomiting Therapy वमन क्रिया  मैं विशेष तौर पर प्रयोग किया जाता है |  क्योंकि मदन फल नामक औषधि में खास गुण मिलता है जैसे
तिक्ष्ण,व्यवाइ,विकाशी,उपर की और गति कराने वाला, बमनोपग द्रव्य के रूप में जाना जाता है।
Note:- -सूक्ष्म स्रोतसों के अंदर अपने इन्हीं गुणों के बदौलत प्रवेश करके दोषों को खींचकर मुख मार्ग से बाहर निकालने के लिए मदन फल बमन क्रिया योग्य औषधि है।

चरक बमनोपग महाकषाय ?

चरक ऋषि ने बमन Vamana /vomiting करने योग्य या वमनक्रिया Ayurvedic vamana karma vidhi में प्रयोग किया जाने वाला कुछ आयुर्वेदिक द्रव्य का नाम दिया है।
जैसे.. शहद, मुलेठी, लाल कचनार,सफेद,कचनार,कदंब,जलवेतस,बिम्वी,शणपूष्प,अंक और अपामार्ग।
यदि किसी कारणवश बमन Vamana karma vomiting या कुंजल क्रीया नहीं हो सका तो आप चरक ऋषि द्वारा प्रदत्त इन औषधियों के सेवन करके भी कुंजल क्रिया या बमन क्रिया समान ही फल प्राप्त कर सकते।
चरक ऋषि द्वारा प्रदत्त चरक बमनोपग महाकषाय कफ और रस पाचक द्रव्य है।
ज्यादातर वैद्य बमन क्रिया के लिए मदन फल पिपली का प्रयोग करते हैं। इसीलिए हम यहां मदन फल पिपली को कैसे शुद्ध करें इस विषय में अब चर्चा करेंगे।

मदन फल पिपली को शुद्ध करने का तरीका।

सर्वप्रथम मदन फल को छिलकर अंदर से काली बीज निकाल लीजिए अब उन बीजों को रात भर खट्टे दही में डाल दीजिए दूसरे दिन सुबह अच्छी तरह धोकर उस बीज में अब शहद से उसके बाद तिल तेल से फिर घी से क्रमशः भिगोकर बाद मे सुखा दीजिए। बमन Ayurvedic vamana karma vidhi में प्रयोग करने हेतु तैयार हुआ आपका मदन फल।

 

Vamana Karma Therapy in Ayurveda 

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bamana karane wali dawai 

 

बमन Vamana karma (vomiting) के लिए मुख्य औषधि निर्माण विधि।

मदन फल पिपली 12  to 15 ग्राम
बच पाउडर 6 ग्राम
सेंधा नमक 3 ग्राम
शहद 20 ग्राम
इन सभी को mix  करके एक पात्र में रखे अब नीचे दिए हुए द्रव्यों को मिलाकर काढ़ा तैयार करें।


दुसरा विधि...


  दोषों के आधार पर वमन क्रिया  (vomiting)की तैयारी।
मदन फल पिपली 10 से 15 ग्राम
मुलेठी।          -कफज में
निम का छाल    -रक्तज में
पटोलपत्र       - पित्तज मे


 मान लो कफज़ दोष है तो - मुलेठी का 100ml काढा बना कर रात में 10 से 15 ग्राम तक मदन फल पिपली जौकुट करके रात में उसी काढ़ा में डालें और ढक कर रख ले।

बमन करने वाले दिन यानी दूसरे दिन शुभ -उस काढा को अच्छी तरह मसल कर कपड़े से छान लें अब ऊपर से 5 ग्राम सेंधा नमक और 20 ग्राम शहद डालकर बमन औषधि तैयार करें।

इसी तरह से रक्तज व्याधि में - निंबछाल और पित्तज व्याधि में पटोल पत्र का काढ़ा बनाकर आगे का क्रिया संपादन करें।

note:- बुजुर्ग वैद्यों का मानना है कि यदि रोगी कमजोर है सुकुमार है अल्पबल है और वैद्य भी नया है तो यहां बच नहीं डालना चाहिए क्योंकि बच पाउडर अधिक समय तक vomiting के लिए रोगी को उत्तेजित करेगा। मगर यदि रोगी बलवान है रोग बलवान है कफ दोष और कफ प्रकृति है और सम्यक शुद्धी करना चाहते हैं तो रात में ही बचा शहद में मिलाकर चटाना चाहिए।

एक और बात है :- मदन फल पिपली का चाटन रोगी को देने से यह आंतों में चिपक जाता है और रह रहकर अधिक मात्रा में वमन को प्रेरित करेगा मगर यदि फांट बना कर दोगे तो रोगी को अधिक तकलीफ नहीं होगा लेकिन तिक्ष्ण बमन भी नहीं होगा।
चिकित्सक नेहीं देखना है कि आप क्या चाहते हो तिक्ष्ण वमन चाहते हो तो चटनी दे लघु बमन हेतु फांट दे।


 यष्टिमधु डिकोस्ट निर्माण विधि।

Ayurvedic vamana karma vidhi हेतु

  1. मुलेठी पाउडर 50 ग्राम
  2. सेंधा नमक 20 ग्राम
  3. इसको  3 लीटर पानी में डालें और उबालना शुरू करें जब पानी उबलते हुए डेढ़ लीटर तक रहे तो छानकर बमन Vamana karma (vomiting)अनुपान के लिए तैयार रखें।

note:- अनुभव से देखा गया है कि मुलेठी को उबालने से विरेचन भी होने का खतरा रहता है इसीलिए यदि हम यहां मुलेठी पाउडर का फांट बनाएंगे तो यह सबसे उत्तम रहेगा।

 

वमन क्रिया  Vamana karma (vomiting)किसके लिए ना करें |

   Ayurvedic vamana karma vidhi हेतु  यह देखना है कि कहीं ब्लड प्रेशर लो तो नहीं हो रहा है क्योंकि जब ब्लड प्रेशर लो या हाई हो जाए तो ऐसी स्थिति में हमें वमन क्रिया नहीं करानी चाहिए। इसके साथ-साथ और भी कुछ स्थिति है जहां हमें वमन क्रिया  Vamana karma (vomiting) नहीं करना चाहिए जैसे।
Ayurvedic vamana karma vidhi हेतु दुर्बल शरीर वाला, उदर रोगी,चक्कर आता हो, रुक्ष प्रकृति वाला व्यक्ति, कृश शरीर,बहुत ज्यादा मोटा शरीर,गर्भवती महिला, ह्रदय रोगी,पार्श्वशूल,प्लीहा, मंदस्वर से बोल्ने वाला, बचपन से ही रोग ग्रस्त, छोटा बच्चा और अधिक वृद्ध व्यक्ति के ऊपर बमन चिकित्सा Vamana karma (vomiting) नहीं देना चाहिए।

note:- स्नेहन के बाद रोगी को बमन देना है या विरेचन देना है इसका निश्चय करने के लिए एक आसान तरीका यह है कि वमन या विरेचन से एक रात पहले रोगी का उदर परीक्षण करके देखें यदि नाभि के नीचे दबाने पर भारीपन लगे तथा दर्द हो तो यह विरेचन के योग्य है नाभि के ऊपर दबाने पर भारीपन लगे या वहां दर्द अधिक हो तो वह वमन का योग्य है।
इसी आधार पर दूसरे दिन शोधन प्रक्रिया की तैयारी करें। ऐसा किसी आचार्य का मत है इसमें आप क्या सोचते हो यह अपने तय करना है।

यहां ग्रंथकार कहते हैं:- 
कफ यदि अपने ही स्थानमें बढ़ा हो तो वमन देना चाहिये।
कफके साथ थोड़ा पित्त मिला हो तो वमन देना चाहिये ।

 कफके स्थानमें पित्त आया हो, या वायु पहुंचजाये अथवा कफ बहुत बढ़ा हो तो वमन कराना चाहिये । 

इसी प्रकार केवल पित्त में विरेचन कराना चाहिये।
 थोड़े कफके साथ अधिक पित्त मिला हो तो विरेचन देना चाहिये ।

 वमन क्रिया Vamana karma (vomiting) की तैयारी कैसे करें।

 

समयानुसार बमन का क्रम

Ayurvedic vamana karma vidhi हेतु :- वमन वाले दिन से पहले दिन रात को जल्दी भोजन करना है तथा कफ उत्क्लेषित करने वाले चीज देकर रात में सोते वक्त सुबह पेट साफ होने वाली भी कुछ दवाइयां देकर समय से पहले ही सुला दे पर्याप्त नींद आए कोई डिस्टर्ब ना हो इसका उचित व्यवस्था करें। 
रोगी को सुबह 4:30  बजे लगभग उठा दे फ्रेश होने के बाद (रोगी को यदि पेट साफ नहीं होता है तो एक निरुह बस्ति यहां दिया जा सकता है) 

अव आगे:- लगभग 5:30 बजे भोजन के लिए पूछे अगर भूख लगी है तो कफ उत्क्लेसन के लिए खिर या खिचड़ी दे। फिर आधा घंटे के बाद मंद गर्म दूध लगातार शक्ति अनुसार डेढ़ से 2 लीटर तक पिला दे ।

फिर 20 मिनट रोगी को टहलने दे यहां रोगी को बाथरूम लगे तो फ्रेश होने के लिए बोलना है। साथ में उसको बमन से होने वाली सुखद परिणाम के बिषय में चर्चा करें।

(दूध पीने के बाद यदि उल्टी आती है तो इसको बमन में काउंट ना करें।)

अब रोगी को (यहां वैदिक मंत्र बोलते हुए) मदन फल पीपली का काढ़ा या चटनी दे।
इसके बाद 20 मिनट तक शारीरिक लक्षणों को देखते हुए वमन हेतु उत्क्लेषित होने का प्रतीक्षा करें।

यहां अब रोगी को यह लक्षण दिख सकता है 

 बमन (vomiting) होने वाला है यह कैसे पता लगेगा।

माथे में पसीना आना 
रोंगटे खड़े हो जाना
बेचैनी जैसालगा 
उल्टी आने जैसा अनुभव होना 
पेट में मरोड़ होना 

मुंह से लार निकलता हुआ दिखना चाहिए।
ऐसे अनेक लक्षण जैसे ही रोगी में दिखने लगे तब ही मुलेठी का फांट पिलाना चाहिए 
ध्यान देना यहां timing का अधिक महत्व है लक्षण को देखकर समय के साथ आगे की प्रक्रिया चलाएं जल्दी बाजी ना करें।


रोगी को कमर में हाथ रखकर उल्टी करने के लिए बोलना है। बमन होना जब शुरू हो तो एक व्यक्ति रोगी के पीठ में नीचे से ऊपर की ओर प्रेस करता है ताकि वेग अच्छी तरह से बने |

यदि मानसिक तौर पर वह खुश ना हो तो वमन क्रिया कराने का अधिक फायदा नहीं होता इसलिए बमन करने के कुछ समय पहले से ही उसके मनपसंद संगीत को भी जरूर सुना कर उसे प्रसन्न करने का प्रयत्न करना चाहिए।

ऐसा होने पर समझ में आना चाहिए की दवाई का प्रयोग अंदर सूक्ष्म स्रोतों में जाकर दोषों को पिघलाना और बाहर खींचने वाली कार्य चल रहा है।

बमन Vamana karma (vomiting) ना हो रहा हो तो क्या करें
यदि ऊपर बताए हुए विधि से दवाई खाने पर भी उल्टी नहीं होती है तो कमल के डंडा या एरण्ड के डंडे को जलाकर उसके धुयें को सुंघना चाहिए और साथ में मुंह के अंदर उंगली ले जाकर बमन करने का प्रयास करना चाहीए। यदि फिर भी बमन  (vomiting) ना हो तो ऊपर वाली मुलेठी के काढा तीन चार गिलास पी लेनी चाहिए अब तो कैसे भी हो बमन जरूर होगा।

note:- यहां फिर भी सही प्रकार से vomiting नहीं होती है तो रोगी ने स्नेहन कर्म करते वक्त अपत्थ्य आहार बिहार किया है यह पक्की बात है।


बमन  Vamana karma (vomiting) करने का सही पोजीशन।

  • सर्वप्रथम एक बार झुक कर बमन करना है उस वक्त जोर से बमन का बैग आएगा उसको नोट करना है ।
  • ध्यान देना बमन का काउंटिंग हमें तभी करना है जब बेग से आवाज करते हुए उल्टी होती है।
  • प्रयास करना है यदि स्वस्थ शरीर है यदि वोमिटिंग के बाद पल्स रेट और ब्लड प्रेशर बहुत तेजी से हाई नहीं हुआ है तो कम से कम सात आठ बार तक उल्टी का बैग आनी चाहिए।
  • वैसे तो बमनोपग द्रव्य व्यक्ति के शरीर में ब्लड प्रेशर को थोड़ा सा बड़ा ही देता है यदि थोड़ा बहुत ब्लड प्रेशर बढ़ता भी है तो उसको इग्नोर करना है मगर ज्यादा नहीं होनी चाहिए।

   Vamana के बेगों का गणना कैसे करें।
हमें यहां vomiting का बैग उसकी मात्रा और मुंह से निकलने वाली आवाज को भी ध्यान देते रहना चाहिए और नोट करते रहना चाहिए। सबसे पहले सुबह खाया दूध और गन्ने का जूस निकलेगा फिर बाद में कफ निकलेगा सबसे अंत में पीला रंग वाला पित्त निकलेगा चिकित्सक को चाहिए कि बमन तब तक कराते रहें जब तक खड़ी पित्त अच्छी तरह से ना निकल जाये।


सम्यक बमन क्रिया हुवा है या नहीं इसको जाने 
आज सुबह से ही जब हम कुछ भी खाने और पीने को देंगे उसके weight को note करते हुए जाना है।
 बमन 1 tab में करा लेना और देखना है कि जितना मात्रा में सुबह से खिलाया पिलाया है बमन के माध्यम से क्या उससे अधिक चीजें बाहर निकल रहा है यदि है तो समझ लो वमन क्रिया सफल हो रहा है।


सफल बमन क्रिया Vamana karma की पहचान

यदि वमन क्रिया सही तरीका से सफलतापूर्वक शरीर में कार्य करें तो

  • शरीर में हल्का पन
  • ह्रदय में हल्कापन
  • क्रमशः कफ पित्त और वात के निकल जाने से शरीर में लघुता
  • और कुछ Weakness जरूर दिखाई देगा।


असफल वमन क्रिया की पहचान।
बमन कराने के लिए प्रयोग किए जाने वाले दवाइयों का सहीComposition नहीं बन पाए या वमन क्रिया सही नहीं हुआ तो उसके फलस्वरूप शरीर में भारीपन होना शुरू हो जाएगा।

बमन क्रिया अति योग का लक्षण।

यदि अधिक मात्रा में बमनोंपग द्रव्यों का प्रयोग किया गया या अधिक मात्रा में बमन हुआ या अयोग्य व्यक्ति को अनजाने में बमन कराया गया तो उसके फलस्वरूप उस व्यक्ति को चक्कर आना, रक्तस्राव, मुंह से झाग निकालना, मूर्छा,वात प्रकोप आदि लक्षण दिखाई देने लग जाते हैं।


 आप के सवाल और हमारा जवाब।

 बमन क्रिया क्या होता है। What is panchakarma vomiting Therapy.

नेचुरोपैथी में इसे कुंजल क्रिया कहते हैं मगर Ayurveda panchakarma  में इसे वमन क्रिया के नाम से जाना जाता है। बमन क्रिया सभी प्रकार के कफ दोष से संबंध रखने वाले टॉक्सिंस को बाहर निकालने में उपयोगी चिकित्सा विधि है। ज्यादातर गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल और श्वसन पथ के बलगम की अधिकता को खत्म करने के लिए बमन थेरेपी दी जाती है जिससे कफ की अधिकता समाप्त हो जाती है।

वमन चिकित्सा हेतु 50औ अनुभवी आयुर्वेद डॉक्टर से पूछने पर प्रमुख tips इस प्रकार से निकाल कर आया है इसे जरूर ध्यान रखें।

  • यदि रोगी medicated घी पीने में असमर्थ है तो सामान्य घी से भी स्नेहन कर सकते हैं दूसरे घी जितना काम करता है लगभग उतना ही सामान्य घी भी करता है। 
  • स्नेहपान प्रारंभ होने के दूसरे या तीसरे दिन रोगी को गैस पास होता हुआ महसूस होगा क्योंकि स्नेहपान से वायु का अनुलोमन पक्का होता है।
  • इन तीनों दिन तक रोगी को भूख भी अच्छा लगता है मगर चौथे दिन से भूख लगना कम हो जाता है।
  • चौथे दिन किसी-किसी को लूज मोशन होता है यदि त्वचा में स्नेह ना दिखे मगर लूज मोशन हो तो प्रत्थ्याहार में कुछ गड़बड़ी समझना चाहिए।
  • ऐसे में रोगी को सामको बालूका श्वेद करके श्रोतस को खोलना चाहिए।
  • यहां यदि रोगी मानसिक रूप से रिलैक्स नहीं हो रहा है तो शिरोधारा भी दिया जा सकता है शिरोधारा देने से रोगी को अच्छा लगेगा। 
  • यदि शिरोधारा ना हो सके तो पादाभ्यंग जरूर करना चाहिए।

कुल मिलाकर रोगी को स्नेहपान देते हुए ऐसे कुछ उसके शारीरिक और मानसिक लक्षणों के आधार पर दूसरे चिकित्सा भी करना है ताकि रोगी को भी लगना चाहिए कि हां हमारे लिए कुछ हो रहा है सिर्फ घी पिलाकर 24 घंटे छोड़ नहीं रहे हैं। 

  • शोधन स्नेह के लिए रात का खाया हुआ पच जाए और सुबह भूख ना लगा हो ऐसे समय में ही स्नेह पान देना चाहिए
  • इससे आगे और पीछे भूल कर भी स्नेह ना दे 
  • स्नेहा्पान 6 या 7 दिन तक ही दे वमन के लिए एक दिन गैप रखकर उस दिन स्वेदन और अभ्यंग करें 

 वमन के  15/ 16 दिन के बाद क्रमशः विरेचन दे रहे हैं तो स्नेहपान पहले दिन 100 , दूसरे दिन 200 तीसरे दिन 400 या रोगी के अवस्था अनुसार अधिक मात्रा में बढ़ाते हुए स्नेह देना है।

यहां विरेचन हेतु स्नेहन के बाद बीच में तीन दिन का गैप रखकर सुबह शाम स्वेदन और अभ्यंग करना है और चौथे दिन विरेचन देना है। 


 

 

  1. यह लक्षण दिखने पर सम्यक स्नेह हुआ समझकर अब स्वेदन और अभ्यंग करना चाहिए।
  2. एक दिन पहले कफ को उभारने वाली आहार और बिहार देना चाहिए 
  3. यदि कफ विकार और कफ प्रकृति के रोगी हो तो उनके लिए यह आवश्यकता नहीं होती 

यह विशेष ख्याल रखना है कि वमन से पूर्वदिन शाम को 6:00pm से पहले ही भोजन देना है साथ में उसको रात में जल्दी सोने के लिए कंपलसरी बात करें नहीं तो वमन के समय में दिक्कत आएगी। सोते वक्त सुबह पेट साफ हो इसके लिए कुछ आयुर्वेदिक दवाई खिलाकर सुला देना ताकि सुबह उठते ही पेट साफ हो जाए रोगी को 4:00 बजे लगभग उठा देना है क्योंकि 6:00 बजे से बमन का प्रक्रिया निश्चित प्रारंभ करना चाहिए उसे लेट जितना करेंगे उतना वमन क्रिया में दिक्कत होगी।

वमन करने से पहले रोगी को बैठाकर मंगलाचरण पाठ जरूर करें ।
इससे रोगी के मन को आराम मिलता है जितना हम मन को प्रसन्न करते हैं उतना वमन के माध्यम से दोष उभड़ कर बाहर आता है वमन करते वक्त रोगी को मानसिक थकान या स्ट्रेस नहीं होना चाहिए। 

मदनफल पिपली को फांट बना कर देने पर जल्दी वोमिटिंग होती है यदि शहद सेंधा नमक में मिलाकर चटनी जैसा चाटते हैं तो यह लंबे समय तक उल्टी कराती है कुछ आचार्य का मानना है कि लंबे समय तक उल्टी निकालने के लिए चटनी के ही रूप में मदन फल देना चाहिए लेकिन कुछ का मनना है कि इससे रोगी को कई प्रकार के कॉम्प्लिकेशन होने का संभावना रहता है। 

मदनफल देनेके वाद जब रोगी को जी मचलना, माथे में पसीना आदि लक्षण दिखे तो अब मुलेठी फांट देना शुरू करना है।

पित्तान्तक में लक्षण
वमन करते हुए जब पित्त निकलने का समय होता है तो रोगी की स्थिति बहुत डेंजर होती है उसके मन में वैद्य के प्रति गुस्सा हो सकता है खुद को ऐसा लगता है कि अब तो मैं मरने वाला हूं जाने कहां फंस गया इस प्रकार के बहुत सारे विचार उसके मन में आता है क्योंकि जब ऐसा लक्षण आ रहा होता है तो समझ लो कि अब पित्त बाहर निकलने वाला है। 
ध्यान देना इस पित्त को निकालना ही बमन चिकित्सा का उद्देश्य है।
वमन में सबसे पहले वायु, फिर कफ और बाद में पित्त निकलता है।
इस पित्त के निकलते ही रोगी के शरीर में बहुत हल्कापन महसूस होता है। 
लोगों का यहां सवाल होता है कि पित्त को तो मलद्वार से विरेचन द्वारा निकालना चाहिए मुंह से निकालने का क्या मतलब है?

तो यहां आचार्य बोलते हैं कि इतने लंबे छोटी और बड़ी आंत में घूमाते हुए पित्त को मलद्वार से बाहर निकलने से अच्छा है आम अवस्था में रहने वाला दुष्ट पित्त को नजदीक का द्वारा मुंह से ही निकालना सही रहता है। 
क्योंकि मलद्वार से निकालते वक्त छोटी और बड़ी आंत दूषित पित्त के बहुत सारे दुष्ट अणुओं को अवशोषण कर लेता है और वह बाद में जाकर शरीर के लिए अवसाद पैदा करेगा। 
वमन करते वक्त मधु यष्टि का फांट देने का भी यही प्रयोजन है की मुलेठी पित्त में घुलकर मिलकर पित्त को वाहर निकालते हुए पित्त के उष्ण और तिक्ष्ण गुणों को कंट्रोल करता है।
अक्सर पित्त जब वमन के माध्यम से बाहर निकलता है तो इरिटेट करता है गले में जलन करता है किसी-किसी के गले में फोड़ा फुंसी घाव जैसी स्थिति भी उत्पन्न कर सकता है यह पित्त किसी किसी के मुंह से रक्त भी निकाल देता है बेसिकली यह रक्त गले में स्थित छोटे-छोटे blood vessels की रक्त कणों का समूह है इससे घबराना नहीं है। 

यदि गले में घाव जैसा हो गया है तो कुछ चीनी उसको चटा देना तुरंत ठीक हो जाएगा यदि वमन करते वक्त रक्त बाहर निकल रहा है तो यहां जहर मोहरा पिष्टी सबसे अच्छा काम करता है रक्त यदि यहां निकल रहा है तो जहर मोहरा पिष्टी रोगी को चटा दो तुरंत ठीक हो जाएगा।

पित्तान्तक के बाद जब वमन का बैग आना पूरी तरह से बंद हो जाए तो यहां लवणों तक पिलाना चाहिए लवणोंदक पीने के बाद गले में अटका हुआ थोड़े बहुत कफ निकल कर बाहर आ जाता है यदि शरीर में लवण की कमी होगी तो भी यह उसको पूरा करेगा। 
इसके बाद रोगी को थोड़ा आराम करने दो किसी किसी को आराम करने के बाद खूलकर वमन का बैग आता है।
यहां धूमपान करने की जल्दी नहीं करना चाहिए। 
वमन के बीच में भी यदि रोगी को बेचैनी बढ़ रही हो और उसको आराम करने का मन करता हो तो उसको तुरंत लेटा देना चाहिए उसको वहां जबरदस्ती मुलेठी का फांट देना नहीं चाहिए। 

वमन पूरा होने के बाद धूमपान देना चाहिए जिसमें हरिद्रा दशमूल में घी मिलकर तैयार किया हुआ होनी चाहिए। 
उसके बाद रोगी को जब तक भूख नहीं लगती है रोगी को भोजन या कुछ भी चीज बिल्कुल ना दे। 
एक बात ध्यान रखना रोगी को वमन का अतीयोग हो जाए तो कोई बात नहीं पर हिन योग नहीं होना चाहिए।
क्योंकि हिनयोग से रोगी को चर्म रोग आदि होने की अधिक संभावनाएं देखे गए हैं। 

बमन अयोगका रूक्षण

  1. बमनका न आना-या केवल औषधकाही वमनमें आना; 
  2. वेगोंका रुकजाना-या थोडा थोड़ा वेगोंका आना; 

यह अयोगका रूक्षण है। 


इस अयोगसे अरोचक, भारीपन, आध्मान, कण्डा विस्फोट, कोठ, आलस्य, शूल, प्रतिश्याय, लोमहर्षे, मुखसे प्रसेक, शोफ, शीतज्वर आदि होजाते हैं

सम्यग् योग होनेपर-

  1. ठीक समयपर क्रमसे पहले कफ, फिर पित्त और पीछे वायुकी प्रवृत्ति; 
  2. पीड़ाका बहुत अधिक न होना;
  3.  बेगोंका स्वयं रुक जाना;
  4.  फिर स्वस्थता; आरोग्यता; मनकी प्रसन्नता; 
  5. स्वर का शुद्ध होना; 
  6. अरोचकसे विपरीत रुचि; लघुता; कोष्ठका पतलापन;
  7.  मुखकी विशुद्धता होती है

वमन के बाद तीन दिन रखे इन बातों का ख्याल 

 

  1. रोगी को मोबाइल से दूर रखें 
  2. रोगी को दिन में सोने ना दे / रात में जगने ना दे 


वमन+ धूमपान के वाद

  1. गर्म पानी से हाथ पैर और मुख को धोना चाहिए और सुगंध से युक्त पान उसको खिलाना चाहिए 
  2. फिर हवा रहित मकान में रोगी को रखना है 
  3. फिर अग्नि बल को देखकर यदि रोगी को भूख लगी हो तो इसी दिन सायंकाल में भोजन दे पर दोपहर में नादे।
  4. यदि अग्निमांद्य होने से उस दिन भूख ना लगे तो अगले दिन प्रात गर्म पानी से स्नान कराकर पुराने लाल चावलों के बने rice को घी नमक और कटु रस के बिना अथवा थोड़े मात्रा में घी थोड़े नमक और थोड़े कटू रस के साथ liquid रूप में गर्म पानी के साथ सुबह और शाम को पीने को दे इसके बाद पेयादि क्रम का सेवन करें।


पेयादिक्रम - इस क्रम में आहार लेने से अग्नि प्रबल होता हैं।

प्रधान, मध्यम और अवर इन शुद्धियोंसे शुद्ध हुआ मनुष्य क्रमसे पेयादिका सेवन करे।

  •  यथा प्रधान शुद्धिसे शुद्ध हुवा मनुष्य दो अन्नकालोंमें एकदिन पेया लेवे। 
  • दूसरे दिन भोजनमें एक समय पेया और दूसरे समय विलेपी ले ।
  • तीसरे दिन भोजनके दोनों समय विलेपी ले। 
  • चौथे दिन भोजनके एक समय सोंठ-नमक आदिसे असंस्कृत यूष या मांसरस लेवे ।
  •  दूसरे भोजन समयमें सोंठ-नमक आदिसे संस्कृत यूष या मांसरस लेवे ।
  • इसप्रकार पांचवे, छठे, और सातवें दिन दोनों समय संस्कारित और असंस्कार किये यूषको लेकर सातवें दिन अपने खाभाविक भोजनपर आये । इसी प्रकार मध्यमशुद्धि तथा अवरशुद्धि वाला कैरे ॥

 बमन क्रिया के प्रकार | Types of vamana Therapy in Hindi.

नाम भिन्न-भिन्न होने पर भी वमन क्रिया तो एक ही तरह का होता है जहां हम कुछ बमन करने वाले आयुर्वेदिक दवाइयों के सहयोग से स्टमक में स्थित बलगम को बाहर निकालते हैं वैसे तो आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से देखें तो पैर के नाखून से सिर के सिखा पर्यंत सुक्ष्म स्रोतोंमें विद्यमान टॉक्सिंस को बाहर निकालने के लिए वमन क्रिया बताया गया है।

 

 बमन और कुंजल क्रिया में फर्क क्या है। Vamana vs kunjala kriya in hindi


बमन Vamana karma  यह शब्द आयुर्वेदिक ग्रंथों में लिखा गया है  और कुंजल क्रिया नेचुरोपैथी चिकित्सा का एक हिस्सा है। कुंजल क्रिया शरीफ स्टमक में विद्यमान कफ के जल महाभूत वाले परमाणु को निकालने के लिए प्रयोग किया जाता है। कुंजल क्रिया करने से हमारे शरीर के समग्र स्रोतों का शुद्धिकरण नहीं होती है। मगर ऊपर बताए हुए आयुर्वेदिक विधि से बमन कर्म करते हैं तो संपूर्ण शरीर विशुद्ध हो जाता है।

 कुंजल क्रिया कैसे किया जाता है। How is Kunjal Kriya performed?

Ayurvedic vamana karma vidhi हेतु आकंठ दुग्ध या जलपान करके मुंह में उंगली को अंदर तक प्रवेश कराया जाता है । इस क्रिया से स्टमक में विद्यमान वह पानी मुंह के माध्यम से बाहर निकल जाता है कुछ लोग यहां गर्म पानी में सेंधा नमक, हल्दी,नींबू भी डालकर कुंजल क्रिया करते हैं।


 कुंजल क्रिया कब करनी चाहिए| When should Kunjal Kriya be done?

नेचुरोपैथी चिकित्सा विधि में कुंजल क्रिया के विषय में विस्तृत चर्चा किया हुआ है उन लोगों का मानना है कि जब शरीर में कफ के मात्रा बढ़ने लगे तो कुंजल क्रिया सर्वोत्तम चिकित्सा विधि है।
कुंजल क्रिया नेचुरोपैथी चिकित्सा विधि के आधार पर शुभ के समय में करना अच्छा होता है।

सुबह उल्टी करने के 5 फायदे। 5 benefits of vomiting in the morning.

Ayurvedic vamana karma vidhi हेतु सुबह का वक्त आयुर्वेदिक दृष्टिकोण में कफ दोष से संबंध रखने वाला समय होता है। प्रातकाल शरीर में कफ बढ़ता है ऐसे में क्योंकि हम कुंजल क्रिया या वमन क्रिया कफ को निकालने के लिए ही कर रहे हैं तो ऐसे में कफ के काल में ही वमन क्रिया करें यह अच्छी बात है।

 

 कुंजल क्रिया किन किन रोगों में फायदा करता है। In which diseases is Kunjal Kriya beneficial?


देखिए यदि आपका सवाल कुंजल क्रिया के लिए है तो कुंजल क्रिया शरीफ खांसी नजला के लिए प्रयुक्त हो सकता है।
कुंजल क्रिया मंदाग्नि के रोगियों में नहीं करना चाहिए क्योंकि कुंजल क्रिया या वमन क्रिया अग्नि को मंद करता है।
यदि भूख की कमी हो खाया हुआ नहीं पच पाए तो सबसे पहले आयुर्वेदिक पंचकर्म चिकित्सा विधि के अनुसार दीपन पाचन करने वाली दवाइयों के सहारे कुछ दिन तक रहकर फिर बमन करिया करना चाहिए।

कुंजल क्रिया के बाद क्या खाना चाहिए। What to eat after Kunjal Kriya.


कुंजल क्रिया या वमन क्रिया Vamana karma (vomiting) करने के बाद अग्नि मंद पड़ जाती है मगर भूख भी लगती है ऐसे में ऐसा अन्न आहार सेवन करें जो स्वयं से अग्नि वर्धक गुण वाला हो और आपके भूख और प्यास को भी मिटाने वाला हो।
जैसे मूंग के दाल में त्रिकुटा को डालकर इसका सूप पीना चाहिए।

 कुंजल क्रिया से हानि। Loss due to kunjal kriya.

कुंजन क्रिया या बमन क्रिया Vamana karma (vomiting) यदि असावधानीपूर्वक किया जाता है तो इससे शरीर में बहुत सारे हानि होने का संभावना बन जाता है ।जैसे चक्कर आना, शरीर में वायु का बढ़ जाना,भूख की कमी होना , अग्नि का मंद पड़ जाना,शरीर सुस्त रह जाना आदि।

- पंचकर्म और वमन क्रिया। Panchakarma and Vamana Kriya.

पंचकर्म जहां पृथ्वी जल तेज वायु और आकाश से शरीर का निर्माण हुआ है।इसको जानकर पंचमहाभूत की शुद्धीकरण हेतु आयुर्वेदिक औषधियों का प्रयोग करके बमन कराया जाता है। आयुर्वेदिक पंचकर्म के आधार पर यदि हम वमन क्रिया करते हैं तो शरीर के सभी प्रकार के टॉक्सिंस समूल नष्ट हो जाते हैं।

कुंजल क्रिया और बमन क्रिया में भिन्नता क्या है।
What is the difference between Kunjal Kriya and vamana Kriya?

आयुर्वेदिक ग्रंथों के आधार पर अगर देखें तो कुंजल क्रिया से बेहतर बमन क्रिया है हालांकि इन दोनों शब्दों का अर्थ तो एक ही है लेकिन क्रियाविधि बहुत भिन्न है। जहां बमन कर्म शरीर के हर एक सूक्ष्म स्थानों में पहुंचकर वहां के दोषों को पिघलाकर तोड़कर खींचकर मुंह से बाहर निकालने के लिए बताया गया है वहीं कुंजल कर्म सिर्फ अमाशय से कफ को निकालने के लिए ही प्रयोग किया जाता है।

- वोमिटिंग रोकने के उपाय। Vomiting rokne ka upaye.

Ayurvedic vamana karma से यदि वोमीटिंग का अतियोग हो रहा है। और सावधानीपूर्वक वोमिटिंग को रोकने का प्रयास करना चाहिए हालांकि यदि हम आयुर्वेदिक दवाइयों को खिलाकर वह मीटिंग कर रहे हैं तो यहां यह भी ध्यान रखना है यदि हमने उसको रोकने का प्रयास किया तो बमन कारक आयुर्वेदिक दवाई अंदर ही पड़ा रहेगा यह भी शरीर के लिए हानिकारक ही होता है मगर उस वक्त जब वोमीटिंग हो रहा है अति योग हो जाए तो भी जान को नुकसान होने का संभावना होता है इसको जानकर कुछ चीजें हैं जिसका सेवन कराने से तत्काल वो मीटिंग रुक जाती है जैसे अमरूद का पत्ता यह मीटिंग को रोकने वाली होती है वैसे हमने वोमिटिंग रोकने के लिए जो आयुर्वेदिक दवाइयां प्रयोग की जाती है उसके जिक्र ऊपर दिया हुआ है।

वोमिटिंग रोकने वाली दवाई। Vomiting ko rokne wali Davai.

  • सूतशेखर रस
  • बोल भद्र
  • प्रवाल पिष्टी
  • कपूर रस 
  • मुक्ता पिष्टी
  • मयूर पिच्छ भस्म

सेलाइन पानी यह कुछ आयुर्वेदिक दवाई वोमिटिंग Vamana (vomiting) रोकने के लिए प्रयोग किए जाते हैं । जब आप कुंजल क्रिया करने जा रहे हो तो प्रयास करें कि इनमें से कुछ चीजें आपके पास हो।

उल्टी को रोकने के घरेलू उपाय। Home remedies to stop vomiting.
 Vamana (vomiting) के लिए कुछ घरेलू साधारण जड़ी बूटियां भी कभी-कभी कारगर काम कर जाती है जैसे अमरूद का पत्ता, आम का पत्ता सोंफ का काढा यह सभी तत्काल उल्टी Vamana (vomiting) को रोकने वाले घरेलू चीजें हैं।

बच्चों की उल्टी रोकने के घरेलू उपाय। What home remedies stop vomiting
यदि आपका सवाल यह है कि छोटे बच्चों को उल्टी आ जावे तो उसको कैसे रोका जाए तो बहुत पेट में कीड़े होने से या कफ कारक चीजों का अति सेवन से छोटे बच्चों को उल्टी होती है ऐसे में लक्षणों के आधार पर उन दोषों का शमन करें उसके बाद बच्चों को कभी उल्टी Vamana (vomiting) नहीं आएगी। वैसे तत्काल उल्टी को रोकने के लिए जन्म घुट्टी भी अच्छा काम करता है क्योंकि ज्यादातर बच्चों में पेट दर्द गैस होने के वजह से उल्टी Vamana (vomiting)हो जाती है जन्म घुट्टी यहां अच्छा काम कर सकता है।

उल्टी के लिए कौन सी दवा लेनी चाहिए। Which medicine should be taken for vomiting?
जब छोटे और बड़ों को उल्टी आने शुरू हो जाए तो ऊपर लिखे हुए कुछ आयुर्वेदिक दवाइयां साटन के रूप में देना चाहिए या नजदीक के किसी हॉस्पिटल में लेकर के जाए यदि साधारण घरेलू चिकित्सा करने के बाद भी उल्टी नहीं रुके तो अपनी तरफ से जबरदस्ती नहीं करनी चाहिए आप किसी योग्य डॉक्टर के पास लेकर के जाए।

क्या चीज खाने से उल्टी होता है। What causes vomiting after eating?
ज्यादातर एसिड को बढ़ाने वाली भोजन ही उल्टी कराने वाली होती है। मंदाग्नि मुख्यतः वोमिटिंग Vamana (vomiting) का मूल कारण है।
खाली पेट चाय पीना बिस्कुट का सेवन करना यह सभी आदतें वोमिटिंग को पैदा कर सकती है।

यात्रा करते वक्त वोमिटिंग क्यों होती है। Why does vomiting happen while travelling?
बहुधा नाड़ी परीक्षण करते वक्त देखा गया है कि जिन का रक्त धातु में कफ स्पाइक हो रही है उन्हीं को ज्यादातर यात्रा करते वक्त वह मीटिंग होती है जिनको यात्रा करते वक्त वह मीटिंग होने की शिकायत है वह तुरंत अपने रक्त धातु में स्थित टॉक्सिंस को खत्म करने के लिए कुछ आयुर्वेदिक चिकित्सा लेने का प्रयत्न करें।

उल्टी के लिए कौन सा इंजेक्शन लगाया जाता है। Which injection is given for vomiting?
जिसे उल्टी Vamana की समस्या होती है उन्हें पेरीनाल इंजेक्शन लगाया जाता है मगर यह एलोपैथिक डॉक्टर ही तय करेंगे कि आपका शरीर इस इंजेक्शन का योग्य है या नहीं।

पतंजलि मेडिसिन फॉर वोमाइटिंग। Patanjali Medicine for Vomiting.
पतंजलि ने एक आयुर्वेदिक दवाई बनाया है जिसका नाम है पतंजलि अविपत्तिकर चूर्ण कुछ लोगों का मानना है कि पतंजलि अविपत्तिकर चूर्ण भी वोमिटिंग Vamana  (vomiting) को रोकने के लिए कारगर औषधि है।

खाना खाने के बाद उल्टी होने का कारण | cause of vomiting after eating food
जब हम अनेक रस वाला भोजन करते हैं और वह रस एक आपस के विरोधी होते हैं तो पेट में एसिड बनना शुरू हो जाता है। वही एसिड उदान वायु के प्रभाव से स्टमक में आता है और फिर वोमीटिंग शुरू हो जाती है।

उल्टी रोकने की आयुर्वेदिक दवा। Ayurvedic medicine to stop vomiting.

उल्टी Vamana  (vomiting)को रोकने के लिए बहुत सारे आयुर्वेदिक क्लासिकल मेडिसिन है लेकिन सभी आयुर्वेदिक चिकित्सकों का भरोसेमंद दवाई स्वर्ण युक्त सूतशेखर रस और मयूरपिच्छ भस्म उन सभी में अति कारगर उल्टी को रोकने वाली आयुर्वेदिक औषधि है।

 

बुखार में उल्टी  (vomiting) रोकने के उपाय। Remedies to stop vomiting in fever.
बुखार होने पर यदि उल्टी आ जाए तो यह एक भयानक स्थिति हो सकता है यदि आपके घर में छोटा बच्चा है उसको बुखार आ रहा है और उस साथ में उल्टी भी आ रही है इसका मतलब उसके पेट में अग्नि मंद पड़ गया है ऐसे में उस बच्चे को सोंफ जीरा और धनिया को उबालकर थोड़ा-थोड़ा पिलाते रहना चाहिए।बुखार होने का मतलब है कि शरीर में जो रक्त धातु है उसमें पित्त का स्नेह वाला गुण की कमी और उष्ण वाला गुण की अधिकता हो जाती है। बुखार में वायु भी पित्त के उस दूषित गुणों को कंट्रोल करने के चक्कर में बढ़ जाता है वायु बढ़ने से पेट में गैस होती है और उसके कारण से उल्टी हो जाती है।

 

 


 

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