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Narayan Churna Benefits | कब्ज, गैस, अपच, बवासीर और वात रोगों में 100% असरदार आयुर्वेदिक चूर्ण |

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Narayan churna : तन्त्रसार व सिद्धप्रयोग संग्रह प्रथम खण्ड तथा चरक संहिता उदर चिकित्सा जहां वात से chronic intestinal obstruction - जलोदर, पित्त से acute या viral या alcoholic hepatitis तथा कफ से necrotic syndrome like kidney problem से संबंधित विचार और उनकी चिकित्सा के बारे में बातें बताया गया है (सीधी भाषा में समझेतो यह सभी रोग शरीर के किसी न किसी हिस्से में पानी के जमजाने से होता है) को जड़ से ठीक करने के संबंध में नारायण चूर्ण (Narayan Churna) के बारे में व्याख्यान किया गया है। यह चुर्ण उन दुर्लभ आयुर्वेदिक चूर्णों में से एक है जो पाचन तंत्र की लगभग सभी समस्याओं पर प्रभावी रूप से काम करता है। यह चूर्ण न केवल कब्ज, गैस और अपच जैसी आम समस्याओं के लिए लाभकारी है, बल्कि सभी दांत से काटने वाले जानवर तथा जिस वनस्पति के कंद होता हैं यदि उसमें विष पाया जाता हो और वह शरीर में चला जाये तो उसको निकालने में नारायण चर्ण उपयोगी है ऐसा चरक ने बताया है।

 नारायण चूर्ण क्या है?

नारायण चूर्ण एक पारंपरिक आयुर्वेदिक फॉर्मूला है, जिसमें कई औषधीय वनस्पतियों और घटकों का संतुलित मिश्रण होता है। यह चूर्ण शरीर की अग्नि (पाचन शक्ति) को संतुलित करता है, मल मार्ग को साफ करता है।  इस चूर्ण में कुत्ते के काटे जाने से होने वाली रेबीज को भी बेअसर करने की बेमिसाल शक्ति है ऐसा चरक में वर्णन किया गया है। मैनें भी रोगी के ऊपर इसका प्रयोग किया है। यह वात और कफज दोष से संबंधित शरीर और दोष वाले व्यक्ति में दी जाती है।  ग्रंथ अध्ययन के अभाव मैं इस तरह के बहुत सारे महत्वपूर्ण दवाइयां समाज में प्रचलित नहीं है इसी को ध्यान में रखकर आज हम इस नारायण चुर्ण के बारे में संपूर्ण जानकारी आपके सामने रखने जा रहे है यदि आप इस चूर्ण का निर्माण नहीं कर सकते तो ऑनलाइन से मगाने के लिए हमसे संपर्क कर सकते हैं। Contact number 8699 175 212.

narayan churna medicine of constipation

 Narayan Churna Benefits – नारायण चूर्ण के मुख्य फायदे

1.कब्ज में राहत
नारायण चूर्ण का सबसे प्रमुख उपयोग कब्ज से छुटकारा पाने में होता है। यह आँतों की गति को सुधारता है और मल को सॉफ्ट करके सरलता से बाहर निकालता है। यदि किसी को पुरानी कब्ज की समस्या है, तो यह चूर्ण विशेष रूप से लाभकारी सिद्ध हो सकता है।

 2. गैस और पेट फूलने में फायदेमंद
यह चूर्ण वात दोष को संतुलित करता है जिससे गैस, पेट दर्द और पेट फूलने की समस्या में राहत मिलती है। भोजन के बाद गैस बनना, पेट में भारीपन रहना और डकारें आना जैसी समस्याओं में यह अत्यंत उपयोगी है।

 3. अपच और भूख न लगने की समस्या में उपयोगी
यह जठराग्नि को तेज करता है जिससे पाचन सुधरता है और भूख अच्छी लगती है। अपच, भारीपन और खट्टी डकारें जैसी समस्याओं में यह अत्यंत लाभदायक है। यह चूर्ण आंतों को सक्रिय करता है और पाचन रसों के स्राव को बढ़ाता है।

 4.  बवासीर में असरदार
नारायण चूर्ण में ऐसे घटक होते हैं जो मल को कोमल बनाते हैं, जिससे बवासीर के रोगियों को शौच में दर्द और खून बहने की समस्या में राहत मिलती है। यह सूजन को कम करता है और शौच को सुगम बनाता है।

5. वात रोगों में उपयोगी
यह वात को संतुलित करता है, जिससे गठिया, जोड़ों का दर्द, कमर दर्द और अन्य वात विकारों में आराम मिलता है। इसके सेवन से नसों और मांसपेशियों में जमे विषाक्त तत्व बाहर निकलते हैं जिससे चलने-फिरने में आसानी होती है।

6. तनाव और अनिद्रा में सहायक

वात दोष से उत्पन्न मानसिक समस्याएं जैसे तनाव, बेचैनी, और अनिद्रा में भी यह चूर्ण सहायक हो सकता है। इसके शीतल और संतुलनकारी गुण मानसिक शांति प्रदान करता है|

7रेबीज या सभी तरह के जहर में बेहद प्रभावी

अगर किसीको कुत्ता या अन्य जानवर ने दांत से काटा है तो यह दवाई पहले ही दिन से रोगी को देना चहिए

दंष्ट्राविषे मूलविषे सगरे कृत्रिमे विषे । यथार्ह स्निग्धकोष्ठेन पेयमेतद्विरेचनम् ।। चरक चिकित्सा अध्याय 13 सूत्र क्रमांक 132 ।। इति नारायणचूर्णम् ।

इस शब्द का अर्थ होता है किसी भी जानवर के दांत लग जाने पर शरीर में होने वाली जहर या किसी वनस्पति के कंद, या सभी प्रकारके बाजारू जहरीले कैमिकल टक्सिन इन सभीको यह नारायण चूर्ण प्रभावहीन बना देता है।

दवाई प्रयोग करने का तरीका 

सर्व प्रथम रोगीको स्नेह देकर फिर स्वेदन करे उसके बाद नारायण चूर्ण काम से कम 6 से 15 ग्राम अवस्थानुसार मात्रा बनकर रोगीको दे। चरक ने 10 से 15 ग्राम बताया है।

 

वीडियो दिखाने का मकसद है कि देखिए किस प्रकार आयुर्वेदिक दवाई सटीक काम करता है रोगी की आवाज सुनिए।

यदि आप भी आयुर्वेद के ऊपर यकीन करते हैं और किसी रोग से परेशान है तो तुरंत संपर्क करें 8699175212


narayan churna  

नारायण चूर्ण के प्रमुख घटक औषधियाँ:

अजवायन, हाऊबेर, धनिया, सोया, कलौंजी, कालाजीरा, पीपलामूल, अजमोद, कचूर, बच, चित्रकमूल, सफेदजीरा, सौंठ, कालीमिर्च,पीपल,हरड़, सत्यानाशी का जड़,आंवला, यवक्षार, बहेड़ा,सज्जीक्षार, पुष्करमूल, कूठ,सैंधव, समुद्रलवण, बिड्लवण, कालानमक, सांभर नमक, बायविडंग यह २९ औषधियाँ १-१ तोला, दंतीमूल ३ तोले, निसोत २ तोले, इन्द्रायण फल २. तोले, सातला (सप्तला) ४ तोले।

नारायण चूर्ण निर्माण में प्रयुक्त औषधियाँ और उनके गुणधर्म

इस चूर्ण को पारंपरिक आयुर्वेदिक पद्धति से तैयार किया जाता है। इसमें २९ से अधिक शक्तिशाली औषधियाँ सम्मिलित होती हैं, जिनका विस्तृत गुणधर्म निम्नलिखित है:


🔷 नारायण चूर्ण में प्रयुक्त औषधियाँ और उनके गुणधर्म (दोषों के अनुसार वर्गीकरण)

औषधि का नाम प्रमुख गुणधर्म मुख्य दोष प्रभाव
अजवायन पाचन सुधारे, गैस हटाए वात-कफ
हाऊबेर दर्दनाशक, वातहर वात
धनिया दाहशामक, हृदयबलवर्धक पित्त-वात
सोया पाचन सहायक, वातकफ शामक वात-कफ
कलौंजी रोग प्रतिरोधक, वातकफहर कफ-वात
कालाजीरा अग्निदीपन, श्वसन हेतु हितकारी वात-पित्त
पीपलामूल पाचन शक्ति वर्धक, वातहर वात
अजमोद स्नायु बलवर्धक वात
कचूर कफहर, मूत्रवर्धक कफ-वात
बच आमपाचक, मेधावर्धक वात
चित्रकमूल अग्निदीपन, रेचक वात-पित्त
सफेद जीरा आँतों की सूजन में उपयोगी वात-कफ
सौंठ पाचन व अग्निवर्धक वात-कफ
कालीमिर्च पाचक, रक्तशुद्धिकारी कफ-वात
पीपल कफ-वात नाशक कफ-वात
हरड़ रेचक, वातहर त्रिदोष
सत्यानाशी जड़ कृमिनाशक, शोधन वात-कफ
आंवला रसायन, रक्तवर्धक त्रिदोष
बहेड़ा पाचन सुधारक, कोष्ठशुद्धिकारी वात-कफ
यवक्षार मल शोधक, वातहर वात
सज्जीक्षार रेचक, पाचक कफ-वात
पुष्करमूल हृदय बलवर्धक, श्वास संबंधी लाभ वात-कफ
कूठ बल्य, आमपाचक वात
सैंधव अग्निवर्धक, पाचक वात-कफ
समुद्रलवण पाचक, स्वादवर्धक वात
बिड्लवण रेचक, वातहर वात
कालानमक पाचन में सहायक वात-कफ
सांभर नमक वात व कफ दोष हर वात-कफ
बायविडंग कृमिघ्न, पाचन में सहायक वात-कफ
दंतीमूल तीव्र रेचक कफ-वात
निसोत विरेचक, शुद्धिकारी वात-पित्त
इन्द्रायण फल तीव्र विरेचक वात-कफ
सप्तला मल व मूत्र शोधन में सहायक त्रिदोष

 

निर्माण विधि:

सभी औषधियों को सूखा कर निर्दिष्ट मात्रा अनुसार लेकर कूट-पीसकर महीन चूर्ण बना लिया जाता है। कुछ वैद्य सभी चूर्ण को सेहुंड के कच्चे डंडेक अंदर डालकर ऊपर से कपडमीट्टी कर धूप में सुखाते हैं उसके बाद इसको आग में अच्छी तरह जलाकर बाद में डंडल सहित पीसकर सुखाकर सुरक्षित रखते हैं उनका मानना है कि यह बेहद असर कारक होता है इससे तेज loose motion होता है।

यह चूर्ण वात, पित्त, कफ तीनों दोषों को संतुलित करता है और पाचनतंत्र की गहराई से सफाई करता है। ये सभी घटक प्राकृतिक रूप से शरीर के unwanted पानी को बाहर निकालने (जिससे जलोदर होता है)डिटॉक्स करने, पाचन सुधारने और वात दोष को शांत करने में सहायक होते हैं।

सेवन विधि और मात्रा

  • - सामान्य रूप से वयस्कों के लिए 6 से 15 ग्राम नारायण चूर्ण को गुनगुने पानी या गरम दूध के साथ रात में सोने से पहले लेना चाहिए।
  • - कब्ज की तीव्रता के अनुसार मात्रा को डॉक्टर की सलाह से कम या ज्यादा किया जा सकता है।
  • - बच्चों के लिए केवल चिकित्सकीय मार्गदर्शन में ही सेवन कराएं।

नारायण चूर्ण का रोगानुसार अनुपान

  • उदररोग में तक्र
  • गुल्म में बेर की जड़ का क्वाथ
  • आनाह (उदरवात और मल की गाँठे बंध जाना) में सुरा का मण्ड
  • वात रोगों पर प्रसना (सुरामण्ड) 
  • मलावरोध पर दही का जल
  • अर्श पर अनार दानों का रस
  • परिवर्तिका, उदर शूल, गुदा में कैंची से काटने के समान पीड़ा होने पर कोकम आमचूर (वृक्षाम्ल) का क्वाथ
  • अजीर्ण में निवाया जल
  • सर्वांगशोथ और जलोदर रोग पर राजस्थान और अन्य प्रान्तों में मिल सके वहां ऊंटनी का दूध।
  • दांत से काटने वाले ​​​​​जानवर के जहर जैसे rabies के लिए गर्म पानी के साथ ले।

सूचना-भगन्दर, पाण्डु, कास, श्वास, गलग्रह, हृद्रोग, ग्रहणी विकार, कुष्ठ, अग्निमांद्य, ज्वर, दाढ़वाले जन्तुओं के विष, मूलविष, कृत्रिम और सेन्द्रिय विष, जिनमें पचन संस्थान की श्लेष्मिक कला में क्षोभोत्पत्ति हो जाने पर पहले, कोष्ठ को स्निग्ध बनाकर विरेचन देवें।

उपयोग-नारायण चूर्ण श्रेष्ठ विरेचन औषधि है। जीर्ण मलावरोध, पाण्डु, आमविष वृद्धि, अफारा, उदावर्त, वातरोग, आमवात, भगन्दर, जलोदर, आदि सब उदररोग, कुष्ठ, जीर्णज्वर, अग्निमांद्य, विषप्रकोप, आमाशय में पित्त वृद्धि और कफप्रकोप आदि सब रोगों में यह प्रयोजित होता

नारायण चूर्ण यदि इतना प्रभावशाली है तो इसके पछे इस एक ही वनस्पति का अधिक प्रभावह है जीसका नाम है सप्तला देखिए जरा ग्रन्थों में इसके बारे में क्या लिखा है।

कैयदेव निघण्टु में वर्णित श्लोक :-

विमला सातला सारी सप्तला वर्तकी जनी |

बहुफेना चर्मकषा चर्मसाह्वासुरालिका ||

सनालिका पीतदुग्धा फेना दीप्ता रसालिका |

सातला शीतला तिक्ता तीक्ष्णा पाके कटुर्लघुः ||

हृद्याऽनिलं प्रकुरुते हरते द्रुजं कफम् |

पित्तोदावर्तकुष्ठार्शोगुल्मोदरगरं विषम् ||

आनाहकृमिशोफामारुचीरुभयशोधनी |

नारायण चुर्ण के फल श्रुति में वर्णित सम्पूर्ण वातें इस एक वनस्पति में विद्यमान है।

 सावधानियां

  • - गर्भवती महिलाएं बिना चिकित्सकीय सलाह के इसका सेवन न करें।
  • - लंबे समय तक निरंतर सेवन से पहले आयुर्वेदाचार्य से परामर्श अवश्य लें।
  • - अत्यधिक सेवन करने से शरीर की अग्नि कमजोर हो सकती है।

   क्या नारायण चूर्ण के कोई साइड इफेक्ट हैं?

सामान्यतः यह एक सुरक्षित औषधि है, लेकिन किसी भी चूर्ण की तरह अगर अधिक मात्रा में या बिना जरूरत के लिया जाए तो शरीर की प्राकृतिक अग्नि को बिगाड़ सकता है। कुछ लोगों को शुरू में दस्त जैसी समस्या हो सकती है, जो शरीर के शुद्धिकरण का भाग होती है।

   आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से नारायण चूर्ण

नारायण चूर्ण त्रिदोषों में विशेषकर वात दोष को संतुलित करता है। यह शरीर के शोधन (cleansing) की प्रक्रिया में सहायता करता है और मल-मूत्र मार्ग को साफ करता है। आयुर्वेद में इसे 'दीपन', 'पाचन', 'शोधक' अनुलोमन और 'वातहर' गुणों से युक्त माना गया है। इसके नियमित सेवन से शरीर हल्का, ऊर्जावान और मानसिक रूप से स्थिर महसूस करता है।

    किसे इसका सेवन करना चाहिए?

  • - जिन लोगों को बार-बार कब्ज होती है
  • - जिन्हें पेट फूलने और गैस की समस्या रहती है
  • - बवासीर के रोगी
  • - वात रोगों जैसे जोड़ों का दर्द, गठिया, आदि से पीड़ित व्यक्ति
  • - मानसिक तनाव, अनिद्रा या थकावट से जूझ रहे लोग
  • - जो व्यक्ति लंबे समय तक बैठने वाले कार्य करते हैं

    क्या यह चूर्ण वजन कम करने में सहायक है?

नारायण चूर्ण पाचन तंत्र को सुधारकर शरीर के मेटाबोलिज्म को बढ़ाता है। यह चयापचय क्रिया को संतुलित कर शरीर से अपशिष्ट को बाहर निकालता है, जिससे वजन कम करने में भी यह सहायक हो सकता है, खासकर उन लोगों के लिए जिनका वजन गैस, कब्ज और अपच की वजह से बढ़ा हुआ है।

    Ayushyogi की सलाह

Ayushyogi द्वारा संचालित आयुर्वेदिक सलाह एवं औषधि प्रणाली के अनुसार नारायण चूर्ण को नियमित एवं सीमित मात्रा में लेना चाहिए। हम सलाह देते हैं कि किसी भी चूर्ण का उपयोग करने से पहले अपने शरीर की प्रकृति, दोष स्थिति और रोग की गंभीरता को समझें। Ayushyogi पर उपलब्ध AI-आधारित जांच टूल के माध्यम से आप यह जान सकते हैं कि आपके लिए नारायण चूर्ण उपयोगी रहेगा या नहीं।

नारायण चूर्ण को कब प्रयोग करना चाहिए 

ध्यान देना हालांकि अजीर्ण कब्ज उदररोग गुल्म आदि इन रोगोंके सभी अवस्था में नारायण चूर्ण दिया जा सकता है। मगर विशुद्ध आयुर्वेद सिद्धांत यह बताता है कि दीपन पाचन और स्नेहन स्वेदन के बाद यदि रोगी को नारायण चूर्ण दिया जाता है तो यहां निर्विवाद रूप से शरीर में बेहतरीन काम करता है। 
क्योंकि आयुर्वेद मानता है कि आम अवस्था में कभी भी शरीर शोधन वाली दवाइयां नहीं दी जा सकती पहले आम को गला कर स्नेहित करिए उसके बाद फिर देखिए इस मेडिसिन का चमत्कार।

   निष्कर्ष

  Narayan Churna Benefits न केवल पाचन तंत्र को सुधारते हैं बल्कि शरीर से विषाक्त पदार्थों को निकाल कर वात दोष को संतुलित करने में भी मदद करते हैं। यह आयुर्वेद का एक सरल लेकिन प्रभावशाली उपचार है जो सदियों से लाखों लोगों को राहत देता आया है।

यदि आप कब्ज, गैस, अपच, बवासीर या वात रोगों से पीड़ित हैं, तो नारायण चूर्ण एक उत्कृष्ट समाधान हो सकता है – और यदि इसे आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से सही रूप में अपनाया जाए, तो यह जीवनशैली सुधार का आधार भी बन सकता है।

जानिए अपने शरीर की प्रकृति और दोषों को – और पाएँ आयुषयोगी के साथ संपूर्ण समाधान।

Ayushyogi - आपके शरीर का डिजिटल वैद्य।

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