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Dama Rog ka ilaaj in hindi.दमा (Asthma) का कारण लक्षण और घरेलु आयुर्वेदिक इलाज

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Introduction - अस्थमा क्या होता है? इसके लक्षण, निदान, और उपचार कैसे किया जाता है?

दमा जिसे अस्थमा के नाम से पहचाना जाता है इस रोग के विषय में अनेक आयुर्वेदिक ग्रंथों में जो बातें लिखी गई है उसके सारांश इस पोस्ट में हम लिखने वाले हैं।
दमा रोग का इलाज ढूंढने से पहले समझना होगा की दमा रोग किन कारणों से होता है। यानी अस्थमा किन कारणों से होता है इसका लक्षण क्या है और किस तरह से दमा यानी अस्थमा का आयुर्वेदिक घरेलू उपचार अस्थमा के रोगियों को दिया जाना चाहिए। इस पोस्ट में हम इसी विषय के ऊपर चर्चा करेंगे।
आयुर्वेद में दमा रोग के निदान स्वरूप इन बातों को लिखा है।

आहार दुष्टी

निम्न गुणवाला वस्तुओं के सेवन दमा रोग का प्रमुख कारण होता है।

गुरु विष्टम्भि, अभीष्यन्दि, शीतल रुक्ष और विदाही आहार सेवन ही दमा का प्रमुख कारण होता है।

विहार दुष्टी

गलत रहन सहन और व्यवहार भी दमा रोग को उत्पन्न करता है जैसे

शीतली स्थान मैं रहने वाले, धूल और धूए वाले स्थान में घूमने वाले, तीव्र बायु के संपर्क में अधिक रहने से, अधिक व्यायाम करने से ,अत्यधिक यात्रा , बेगावरोध, अधिक साहस के कार्य करना यह सभी दमा रोग का बिहार जन्य हेतु है।

 

 दमा रोग का कारण और लक्षण

दोष- वात/ कफ

दुष्य- प्राणवायु

अधिष्ठान-प्राणवह स्रोतस्

मूल स्थान- हृदय और महा स्रोतस्

दमा रोग का पूर्वरूप

हृदय प्रदेश में

पीड़ा,पार्श्वशुल,आध्मान,आनाह,मुखवैरस्य,शंखनिस्तोद है।

 

दमा रोग के पांच प्रकार और उसके लक्षण

दमा रोग के प्रकार और उसके लक्षणों को लिख रहा हूं कृपया इसे नोट करें

महा स्वास,- 

यह एक असाध्य व्याधि है इसमें कष्ट के साथ हाफते हुए निरंतर श्वास लेता है तो उसे महासवाद कहते हैं

उर्ध्वस्वास,

उर्ध्वस्वास से संबंधित रोगी ऊपर की ओर स्वास देर तक छोड़ता है परंतु वह अंदर को इतनी देर तक नहीं खींचता रोगी बेचैन रहता है तथा मूर्छित रहता है ।ऐसा रोगी उर्ध्वस्वास तो छोड़ता है मगर अधस्वास रूक जाता है।

 

छिन्न स्वास

छिन्नस्वास का रोगी अपनी पूरी शक्ति लगाकर रुक रुक कर ही श्वास लेता है।

तमकस्वास,

प्रतिलोम गति को प्राप्त वायु प्राण वह स्रोतों में पहुंचकर ग्रीवा तथा सिर को जकड़ ते हुए कफ का पुनः उद्धरण करके पीने से रोग को उत्पन्न करती है कफ द्वारा अवरुद्ध वायु कंठ में घूर घूर शब्द के साथ प्राण अधिष्ठान हृदयको  पीड़ित करने वाले अति तीव्र वेगो वाले स्वास रोग को उत्पन्न करती है जिसे तमक स्वास कहते हैं।

छुद्रस्वास 

रुक्षपदार्थों के अधिक सेवन करने से तथा व्यायाम करने से या परिश्रम करने से स्वास कष्ट की अनुभूति होती है उसे छुद्र स्वास कहते हैं।

दमा यानी अस्थमा कफ और बात दोष के बिगड़ते हालातों के वजह से होता है। इसीलिए इसके उपचार भी कफ और वात दोष शमन करने वाले दवाइयों के सहारे होनी चाहिए।

 

दमा यानी अस्थमा के लिए लोगों के मिलते जुलते सवाल और उसके जवाब।

अस्थमा की बीमारी में क्या नहीं खाना चाहिए?

अस्थमा आहार और विहार जन्य कारणों से होता है उनका पूर्णतया परित्याग ही इस रोग का सही इलाज है जैसे

आहार दुष्टी

गुरु विष्टम्भि, अभीष्यन्दि, शीतल रुक्ष और विदाही आहार सेवन ही दमा यानी अस्थमा का प्रमुख कारण होता है। इसीलिए इस तरह के भोजन का परित्याग करना चाहिए।

विहार दुष्टी

शीतल स्थान मैं रहने वाले, धूल और धूए वाले स्थान में घूमने वाले, तीव्र बायु के संपर्क में अधिक रहने से, अधिक व्यायाम करने से ,अत्यधिक यात्रा , बेगावरोध, अधिक साहस के कार्य करना यह सभी दमा रोग का बिहार जन्य हेतु है। इसी कारण बिहार जन्य इन कारणों को अस्थमा के रोगीयों को हमेशा त्यागना चाहिए।

 

दमा यानी अस्थमा की बीमारी कैसे ठीक होगी।

अस्थमा के रोग को ठीक करने के लिए आयुर्वेद में कफवात हर उष्ण एवं वात अनुलोमन कर्म करने के लिए बताया है।

दोषानुसार वमन विरेचन और वस्ती कर्म भी अस्थमा के रोगियों के लिए अत्यंत उपयोगी है।

 

अस्थमा के मरीज को क्या खाना चाहिए।

 

अस्थमा के मरीजों को भारंगादि क्वाथ,वासादि क्वाथ, देना उत्तम रहेगा। दशमूल कुल्थी का दाल, देवदार,पुष्कर मूल ,शिरीष का क्वाथ ,सुंठी यह सब  अस्थमा के मरीजों को दिया जा सकता है।

 

अस्थमा का पता कैसे चलता है।

 

अस्थमा को पहचानने का सरल तरीका यह है कि उस व्यक्ति को प्राणायाम के मुद्रा में रखें उन्हें कहे कि स्वास को खींचकर रोके और घड़ी देखें क्या 15 सेकंड तक वह व्यक्ति अपनी श्वास को रोक पाता है यदि हां तो इस व्यक्ति को दमा जिसे हम अस्थमा बोलते हैं वह नहीं है यदि तब तक स्वास्थ्य नहीं रोक सकता तो समझना चाहिए कि यह व्यक्ति अस्थमा से पीड़ित होने वाला है।

What are Symptoms OF Asthma ?

अस्थमा होने का लक्षण क्या है ?

जैसे कि ऊपर दमा  के पांच लक्षण बताया गया है। वही अस्थमा का प्रमुख लक्षण है। थोड़ी सी प्रयत्न से ही जोर जोर से स्वास चलने लगे तो समझना चाहिए कि रोगी को अस्थमा का प्रॉब्लम है।

अस्थमा के आयुर्वेदिक इलाज

बहुत सारे आयुर्वेदिक ग्रंथों में  प्रमुख अस्थमा के उपचार में प्रयोग किए जाने वाले आयुर्वेदिक दवाइयों के बारे में बताया है। उनमें प्रमुख स्वास्कुठार रस,स्वास्चिंतामणि रस पिप्पल्यादि लोह, श्वासारि लोह, मुक्ताद्य चूर्ण है इनका प्रयोग यदि विधि पूर्वक किया जाए तो अस्थमा में बहुत लाभ देता है।

अस्थमा का घरेलू साधारण आयुर्वेदिक उपचार

यदि आप क्लासिकल आयुर्वेदिक मेडिसिन लेना नहीं चाहते तो नीचे कुछ साधारण घरेलू दवाइयों के बारे में लिख रहा हूं इसका संकलन करके आप रोगी को दे सकते हैं।

1. यदि यह अस्थमा कफ दोष के कारण से हुआ है तो आपने आंक के पत्ते में कथ्था को ऐसे ही लगाना है जैसे पान के पत्ते में लगाया जाता है। उसके ऊपर काली मरीच के थोड़ा सा पाउडर को लगाकर मिला लीजिए और वहां थोड़ा सा टंकण भस्म भी डाल दीजिए अब इस पत्ते को थोड़ी देर धूप में सुखाकर इसको लोहे के तवे के ऊपर रखकर आग में जला देना बाद में जब यह पत्ता जलकर राख हो जाए तो उसमें शहद मिलाकर सुरक्षित रखिए रोगी को सुबह और शाम 2 काली मरीज के दाने बरोबर इस शहद को चढ़ाना है। यह अति सरल और प्रभाव कारी अस्थमा का दवाई है।

यदि आप अस्थमा रोग से संबंधित आयुर्वेदिक उपचार को सीखना चाहते हैं या इस रोग से पीड़ित हो और हमारे आयुर्वेदिक एक्सपर्ट से बात करना चाहते हैं तो होम पेज में जाकर अपॉइंटमेंट बुक करें।

 

 

 

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