Learn Ayurveda Pulse Diagnosis,Kaya Chikitsa,Medical Astrology And Other Lots Of Treditional Ayurvedic Information

Share

Sitopaladi Churna के आयुर्वेदिक गुणधर्म हानि और लाभ के बारे में जाने सितोपलादि चूर्ण

Blog Pic

Sitopaladi  वात वाहिनी नाड़ियों पर कफ के द्वारा आवरण होने पर प्रयोग किया जाने वाला प्राचीन आयुर्वेदिक औषधि है। कुछ मामलों में रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के उद्देश्य से भी Sitopaladi Churna uses and benefits सितोपलादि चूर्ण का प्रयोग किया जाता है।

सितोपला तुगाक्षीरी पिप्पली वहुलात्वच।
अन्त्यादुर्ध्व द्विगुणीतं लेहयेत् क्षौद्रसर्पिसा।।
चूर्णं वा प्राशयेदेतत्छ्वासकासक्षयापहम्।
सुप्तजिह्वारोचकिनं मन्दाग्निं पार्श्वशुलिनम्।।
हस्तपादांसदाहेषु ज्वरे रक्ते तथोध्वगे।(भै.र. राजयक्ष्मा.)

 

Sitopaladi Churna के घटक द्रव्य

  • मिश्री 16 भाग
  • वंशलोचन 8 भाग
  • बड़ी पीपली 4 भाग
  • छोटी इलायची 2 भाग
  • दालचीनी 1 भाग

Sitopaladi Churna निर्माण विधि

इन सभी द्रव्यों को पृथक पृथक या एक साथ मिलाकर इमाम दस्ते में कुटकर वस्त्रपुत चूर्ण कर लेनी चाहिए। कुछ ग्रंथ कार ऐसा लिखते हैं कि सबसे पहले दालचीनी को सौ बार खरल कर लो उसके बाद छोटी इलायची को सौ बार खरल कर लो ऐसे ही क्रमश बड़ी पीपली, वंशलोचन और मिश्री के ऊपर सौ सौ बार खरल कर लो ऐसा करने पर दालचीनी के ऊपर 500 बार,छोटी इलायची के ऊपर 400 बार इसी प्रकार अंत में मिश्री के ऊपर 100 बार खरल होगा।बहुत लोगों का मान्यता है कि इस तरह से दवाई तैयार करने पर सितोपलादि चुर्ण अति महत्वपूर्ण प्रभाव कारी दवाई बन जाता है।

Sitopaladi Churna का गुणधर्म।

सितोपलादि चूर्ण सर्वत्र उपलब्ध एक आयुर्वेदिक दवाई है। शरीर में जब एलर्जी के कारण से कफ का मात्रा बढ़ जाता है तो उस कफ को समन करने के लिए सितोपलादि चूर्ण का प्रयोग किया जाता है।

 इस तरह सितोपलादि का प्रयोग कुल मिलाकर स्वसन संबंधित रोग सर्दी खांसी निमोनिया जैसे रोगों में किया जाता है। क्योंकि यह सभी रोग हमारा रोग प्रतिरोधक क्षमता के कमजोर होने के वजह से होता है ।ऐसी परिस्थिति में सितोपलादि चूर्ण का प्रयोग अति उत्तम होता है।

Sitopaladi Churna किन किन रोगों में प्रयोग किया जाता है।

सितोपलादि चूर्ण सभी प्रकार के कास,श्वास, क्षय,राज्यक्षमा जीर्ण ज्वर,अरुचि,पित्त विकार, धातुगत ज्वर, मंदाग्नि, अम्ल पित्त जीभ का स्वाद खत्म हो जाना,इन विकारों म अक्सर दिया जाने वाला आयुर्वेदिक दवाई है।

इसके अलावा हात पैर मे दाह, तृष्णा, भ्रम, इन समस्या में भी सितोपलादि चूर्ण अच्छा फायदा देता है।

Sitopaladi Churna के फायदे

सितोपलादि चूर्ण के सेवन से शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाता है। उसके वजह से शरीर एलर्जी से लड़ने में सक्षम होता है फिर कफ को नष्ट करता है। सभी प्रकार के ऊपर लिखे गए हैं रोगों में सितोपलादि चूर्ण बेफिक्र प्रयोग किया जा सकता है।
Sitopaladi Churna के हानि।

सितोपलादि चूर्ण में मिश्री की मात्रा अधिक होने के वजह से मधुमेह संबंधित रोगियों के लिए यह हानी कर सकता है। इस दवा को खाली पेट लेने से गैस्ट्रिक होने का संभावना रहता है।इसीलिए इसे भोजन करने के बाद ही लिया जाना चाहिए। सितोपलादि चूर्ण के अधिक सेवन भी कभी-कभी हानिकारक हो सकता है।

Sitopaladi churna खांसी में कैसे प्रयोग करें।

सितोपलादि चूर्ण को यदि खांसी आने पर रोगी को देना है तो इस बात को जरूर ध्यान देना यदि सूखी खांसी है तो सितोपलादि चूर्ण को घी में मिलाकर देनी चाहिए यदि बलगम वाली खांसी है तो शहद में मिलाकर देनी चाहिए रोगी में यदि अच्छा फल है कमजोरी नहीं है चक्कर नहीं आता 2 दिन में चार टाइम सितोपलादि चूर्ण को एक-एक चम्मच देने पर एक ही दिन में रोगी के खांसी को यह ठीक कर सकता है इस के अनुमान के रूप में वासावलेह का प्रयोग कर सकते हैं।

Sitopaladi Churna जुखाम में कैसे प्रयोग करें।
यदि जुखाम के प्रारंभिक अवस्था है और खांसी अभी नहीं आ रही है तो सितोपलादि चूर्ण को अपामार्ग की जड़ के कढा के साथ देनी चाहिए।

Sitopaladi Churna स्वास रोग में कैसे प्रयोग करें।

सितोपलादि चूर्ण का प्रयोग यदि आप श्वास रोग में करना चाहते हैं तो एक एरण्ड के पत्ते के ऊपर कथ्था लगाकर उसके ऊपर सितोपलादि चूर्ण को डाल देना और धूप में सुखाकर पत्ता सूख जाने पर उसको जला देना इस राख को शहद में मिलाकर चटाने से स्वास रोग में उत्तम लाभ मिलता है।

Sitopaladi Churna सीजनल एलर्जी में कैसे प्रयोग करें।

यदि आपको हमेशा जुकाम खांसी होता रहता है और उसका कारण एलर्जी है तो आप लक्ष्मी विलास रस के टेबलेट खाकर ऊपर से सितोपलादि चूर्ण मिलाया हुवा शहद को चाटना है।

India's Best One Year Ayurveda Online Certificate Course for Vaidhyas

यदि आप भी भारत सरकार Skill India nsdc द…

The Beginner's Guide to Ayurveda: Basics Understanding I Introduction to Ayurveda

Ayurveda Beginners को आयुर्वेदिक विषय स…

Ayurveda online course | free Ayurveda training program for beginner

Ayurveda online course के बारे में सोच …

Nadi Vaidya online workshop 41 days course  brochure । pulse diagnosis - Ayushyogi

Nadi Vaidya बनकर समाज में नाड़ी परीक्षण…

आयुर्वेद और आवरण | Charak Samhita on the importance of Aavaran in Ayurveda.

चरक संहिता के अनुसार आयुर्वेदिक आवरण के…

स्नेहोपग महाकषाय | Snehopag Mahakashay use in joint replacement

स्नेहोपग महाकषाय 50 महाकषाय मध्ये सवसे …

Varnya Mahakashaya & Skin Problem | natural glowing skin।

Varnya Mahakashaya वर्ण्य महाकषाय से सं…

Colon organ pulse Diagnosis easy way | How to diagnosis feeble colon pulse in hindi |

जब हम किसी सद्गुरु के चरणों में सरणापन…

Pure honey: शुद्ध शहद की पहचान और नकली शहद बनाने का तरीका

हम आपको शुद्ध शहद के आयुर्वेदिक गुणधर्म…