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Mirgi ka ilaj: मिर्गी का इलाज आयुर्वेद से करें।ऑपरेशन भूलकर भी ना करें कई मरीज ऑपरेशन करने से पछता रहे हैं।

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Mirgi ka ilaj आयुर्वेद से करें।ऑपरेशन भूलकर भी ना करें कई मरीज Mirgi ka ilaj ऑपरेशन करने से पछता रहे हैं। Mirgi ka ilaj सिर्फ आयुर्वेद से ही संभव दिखता है।एलोपैथिक डॉक्टर के पास जाकर कृपया Mirgi ka ilaj ऑपरेशन se ना कराएं। मिर्गी का रोग है तो घबराना किस बात का.। मिर्गी क्या है। मिर्गी क्यों होता है।और अलग-अलग पेथिक के हिसाब से किस तरह से Mirgi ka ilaj होता है । इस ब्लॉक में आप Mirgi ka ilaj संपूर्ण जानकारी प्राप्त करेंगे।

  1. Mirgi ka ilaj मिर्गी का आयुर्वेदिक इलाज

  2. Mirgi ka Operation कितना सही कितना गलत।

  3. आखिर एलोपैथिक से मिर्गी क्यों ठीक नहीं होता

  4. मिर्गी के लिए बाजार में मिलने वाली सस्ती आयुर्वेदिक दवाई {Mirgi ka Dawa}

  5. मिर्गी रोग मे कहां और कैसे अग्निकर्म करें।

  6. मिर्गी के दौरे का आयुर्वेदिक इलाज { Mirgi Ka Ilaj }

  7. मिर्गी मे अप्रेशन कितना सही कितना गलत।

  8. आखिर एलोपैथिक से मिर्गी क्यों ठीक नहीं होता |

  9. मिर्गी के लिए बाजार में मिलने वाली सस्ती आयुर्वेदिक दवाई

Mirgi कितने प्रकार की होती है?

 आयुर्वेद के हिसाब से और जो मुझेMirgi ka ilaj  करते हुए खुद के अनुभव से समझ में आया उसके आधार पर मैं यहां Mirgi को 10 भागों में बांटता हु।

कफ जनित Mirgi ka lakchan

  • जहां रोगी को अक्सर सुबह उठते वक्त दौरा आता है।
  • लक्षणों के आधार पर बुद्धि का बिगड़ जाना
  • शरीर में सुस्ती
  • सिर में बोझ लगना,
  • मुंह से झाग बहुत अधिक आना,
  • भूख बार बार आना
  • चक्कर ज्यादा आना,
  • शरीर शीतल होना,आदि लक्षण देखे गए हैं। इसके लिए हमें अलग सा मिर्गी का इलाज सोचना होगा।

पित्त जनित Mirgi ka lakshan

  • जहां मिर्गी के रोगी को बेचैनी
  • घबराहट बहुत अधिक
  • गर्मी का महसूस होना
  • चेहरा और आंख का रंग लाल या पीला हो जाना
  • शरीर से पसीना अधिक आना
  • प्यास बहुत लगना
  • अत्यधिक गर्मी का महसूस करना
  • दौरा समाप्त होने के बाद पानी पीने का मन करना
  • बमन होना
  • आंखों में पीलापन होना
  • जल्दी ही दौरा खत्म हो जाना
  • दौरे के वक्त माथे में पसीना आना यह सभी पित्त दोष से संबंधित मिर्गी रोग है। इसके लिए हमें अलग सा मिर्गी का इलाज सोचना होगा।

वात जनित Mirgi ka lakshan

  • दिल का फड़कना
  • झाग का स्वाद खट्टा होना,
  • बेहोश हो जाने पर शरीर के कुछ अंग बार बार फड़कता है
  • दांत किटकिटाता है.
  • जोर-जोर से सांस लेता है।
  • दौरा समाप्त होने के बाद सिर के पिछले हिस्से में दर्द करना,
  •  कमजोरी महसूस होना
  • शरीर में थकावट महसूस होना
  •  नींद आना यह सभी स्पेसिफिक लक्षण है वात से संबंधित मिर्गी का। इसके लिए हमें अलग सा मिर्गी का इलाज सोचना होगा।

खुन के Mirgi Ka Ilaj

पित्त दोष के कारण शरीर में हमारा लिवर अचानक कुछ जहर को उत्पन्न  करना शुरू कर देता है यह जहर शरीर के लिए हानिकारक है ऐसा समझकर हमारा शरीर तुरंत उस जहर को वाहर निकलने का प्रयास कर्ता है | 

  • इस समय रोगी का चेहरा लाल होगा

  • ,नाक से खुन भी आ सकता है

  • ,वुद्धि का विगड जाना जैसे वहुत सारे लक्षण खुन के मिर्गी का लक्षण दिखते है। इसके लिए हमें अलग सा मिर्गी का इलाज सोचना होगा।

आमाशयीक Mirgi Ka Lakshan and ilaj

अमाशय के विकार ग्रस्त होने से आमाशयिक मिर्गी होता है।जिस्का लक्षण |

  • अमाशय मे हलचल

  • ,भुख के वक्त आमाशय मे चुभन और कम्पन

  • ,नाक का फुल जाना,

  • घुटन होना

  • ,पेसाब,

  • दस्त लगे

  • विर्य निकले

  • ,बमन कर्ने से दौरा मे फायदा दिखे,

  • भुख लगनेपर दौरा आये,यह सभी लक्षण आमाशयिक मिर्गी मे दिखाई देगा। इसके लिए हमें अलग सा मिर्गी का इलाज सोचना होगा।

तिल्ली का Mirgi ka ilaj

  • तिल्ली का फुल्ना
  • पेट फुल्कर पत्थर जैसा होना
  • ,पेट के उपरी हिस्से मे जलन होना
  • ,खट्टी डकार आना
  • ,वैचैनी होना यह लक्षण तिल्ली की खराब से होने वाला मिर्गी का है। इसके लिए हमें अलग सा मिर्गी का इलाज सोचना होगा।

रजस्वलागतMirgi ka ilaj

स्त्रियों मे गर्भाशय और मासिक चक्र के विगड् जाने से यह उन्हें मिर्गी रोग होता है।लक्षण स्वरूप आप

  • मिर्गी के वाद रजोधर्म का वंद होना,
  • अक्सर रजस्वला के आसपास हि पेडू, गुर्दे,और पेट के निचले हिस्से मे असहनीय दर्द के वाद दौरा आना
  • ,आस्चर्य जनक ढंग से रजस्वला का वंद होनेके कारण मिर्गी का दौरा आना ,इस्मे यह लक्षण आपको दिखाई देगा इसके लिए हमें अलग सा मिर्गी का इलाज सोचना होगा।

हाथ पैर की Mirgi ka ilaj

  • पिंडलियों मे तेज दर्द का होना,

  • ठंडी हवा हात और पैरों से तिर के गति से उपर मस्तिष्क कि और आते महसूस कर्ना,

  • मुह का रंग काला पड्जाना,

  • हात पैर के अंगुली मे एठन होना

  • ,दौरे से पहले अंगड का आंना

  • ,पेसाब जल्दी जल्दी होता है यह सारा लक्षण हाथ पैरों के मिर्गी का है। इसके लिए हमें अलग सा मिर्गी का इलाज सोचना होगा।

अमावस्या और पुर्णिमा मे होने वालाMirgi ka ilaj

इस बात को कोइ माने या नमाने पर यह सच है कि सूर्य आदि ग्रहों का प्रभाव पंचभूतों पर पड्ता ही है।सूर्य और चन्द्रमा को तो हमारा प्रत्यक्ष देवता है एसा माना जाता है।चंद्रमा और सुर्य हमारे शरीर के अन्दर विद्यमान सुसुम्नादी नाडी़यो को प्रत्यक्ष रुप से प्रभावित करते है।हमारे शरीर मे चन्द्र नाडी जो हमारे नाभि मण्डल मे  है उसे चन्द्रमा और सुर्य नाडी जो पिठ मे यानी नाभि के जस्ट पिछे है को स्वयं सुर्य देव नियन्त्रित करते है।शरीर मे औरा के डिसवैलेंस होने से चन्द्र और सूर्य का कार्य प्रणाली मे वाधा पौंचती है।चंद्रमा से पुर्णिमा और सुर्य से अमावस्या को दौरा आता है या इस्के आसपास अक्सर मिर्गी पड्ता है।

Mirgi Ka Daura Kyun Aata He. क्यों आता है |

आयुर्वेद ग्रंथकारों ने मिर्गी के लक्षण और मिर्गी होने का कुछ मुख्य कारण इस तरह से बताए हैं।
चिंता शोक आदि कारणों से कुपित हुए दोष हृदय के मनोवाही स्रोतों में पहुंचकर स्मृति का विनाश कर के मिर्गी रोग को उत्पन्न करते हैं। बुद्धि के कुंठित होने से आंखों के आगे अंधेरा छा जाता है। और रोगी अज्ञान रूपी अंधकार में प्रवेश करता है। और अचेत अवस्था में विभिन्न प्रकार के चेस्टाएं करता है।जैसे नेत्र विकृत हो जाते हैं , तथा रोगी हाथ पैर भी मारता है , मगर अज्ञानता के वजह से रोगी को कोई होश नहीं रहता। कुल मिलाकर सभी आयुर्वेदिक ग्रंथों का सार यही कहता है कि मिर्गी रोग शारीरिक व्याधि के साथ बहुत ज्यादा मानसिक व्याधि भी है। इलाज करते वक्त किसी भी चिकित्सक के लिए इस बात का हमेशा ध्यान रखना बहुत जरूरी है की शरीर के साथ-साथ रोगी का मन भी विकृत अवस्था में है।

मिर्गी के लिए आयुर्वेदिक परीक्षण के तरीके Mirgi Ka Parikshan

मिर्गी रोग के लिए अक्सर एलोपैथिक के डॉक्टर अक्सर MRI.EEG जैसे रिपोर्ट निकालने के लिए बताते हैं मगर सभी मिर्गी मस्तिष्क से संबंधित समस्या से तो नहीं होता मैंने अपने जीवन में बहुत सारे मिर्गी के रोगीयों को चिकित्सा दिया हुं मुझे ब्रेन में होने वाले किसी प्रॉब्लम के वजह से मिर्गी हुआ है ऐसे 100 में सिर्फ 18 % ही रोगी होते थे बाकी सभी दूसरे कारणों से मिर्गी को लिए घूम रहे थे। और डॉक्टर उनको भी यही परीक्षण करने का सुझाव देते थे। हालांकि अनेक कारणों से होने वाली मिर्गी के रोगियों को भी अंत में उसका नकारात्मक प्रभाव मस्तिष्क के नर्वस सिस्टम में पड़ ही जाता है। मगर प्रारंभ में जो समस्या होगा वह किसी अन्य वजहों से था ऐसे में यह तो पक्का है ऐसे लोगों को इलाज करते वक्त सिर्फ मस्तिष्का को ही नहीं देखना बल्कि उस कारण को भी देखने का प्रयास करना चाहिए जिसके कारणों से मुख्यतः इस व्यक्ति को मिर्गी का समस्या हुआ है। आयुर्वेद के आधार पर जिह्वा परीक्षण, नाड़ी परीक्षण और नेत्र परीक्षण के माध्यम से आसानी से रोगी के शरीर में होने वाला मिर्गी के प्रभाव को पहचाना जा सकता है।

मिर्गी के मरीज को क्या खाना और क्या नहीं खाना चाहिए।

किसी व्यक्ति को चाहे जिस किसी भी कारणों से मिर्गी होगा हो मगर यह पक्का है कि मिर्गी का यह रोग वायु से संबंध रखता है इसीलिए रोगी को चाहिए की मुख्यत वायु को बढ़ाने वाली वायु के भी रुक्ष और शीत गुण को बढ़ाने वाली कोई भी खाना और व्यवहार नहीं करनी चाहिए इसके विपरीत हमेशा उष्ण और स्नेहन कारक तिल का तेल,देसी गाय का घी का अधिक से अधिक सेवन करना है।

Mirgi ka Daure आने पर क्या करना चाहिए।

किसी भी आयुर्वेदिक अच्छे डॉक्टर के पास जाकर रोगी का परीक्षण पहले ही कराना जरूरी है जैसे कफ पित्त वायु आदि कौन से दोष के वजह से इनको मिर्गी का समस्या है। शरीर का प्रकृति कैसा है। इसको जानने के बाद मिर्गी के दौरे आने के बाद क्या किया जाए, यह डिसाइड करना बहुत आसान हो जाएगा रोगी का शरीर यदि वात प्रधान है तो दौरा आने के बाद कुछ गरम आयुर्वेदिक दवाई जैसे काली मिर्च पिपली तेजपत्ता लॉन्ग शोंठ और एरंड का तेल डालकर काढ़ा तैयार करें और गरमा-गरम रोगी को पिला दे क्योंकि इससे ऊपर की ओर गया हुवा वायु तुरंत अधोगामी होगा संभवत रोगी को लूज मोशन भी हो सकता है मगर तुरंत दोष भी साम्य अवस्था में आ जाएगा। यदि पित्त प्रकृति है तो दौरे के समय में सिर में शीतल कपड़े का पट्टी लगाना चाहिए रोगी का शरीर यदि कफ प्रधान है तो रोगी को जब दौरा आ जाए उस वक्त गर्म पानी में तौलिया को गर्म करके उसके हाथ और पैरों में सिकाई करनी चाहिए।

Yoga For Mirgi {Epilepsy}

Mirgi ke Ilaj के लिए आध्यात्मिक ग्रंथों का चिंतन और पठन करना और मेडिटेशन करना बहुत जरूरी है। नित्य प्रति साफ सुथरा रहना घर में सुगंधित धूप को जलाकर वातावरण को आध्यात्मिक बनाने का प्रयत्न करनी चाहिए।इससे रोगी का तमप्रवेश युक्त मन सात्विक भाग में लाने के लिए सहयोगी होगा। योगासन में हम मिर्गी के रोगी को सूर्य नमस्कार मयूरासन सप्तभ्रामरी चक्रासन करा सकते हैं।

मिर्गी के लिए आयुर्वेदिक साधारण जड़ी बूटी

वैसे तो बिन रोग परीक्षण कोई भी आयुर्वेदिक दवाई किसी भी व्यक्ति को बताए जाना बहुत कठिन है पर फिर भी प्रसंग वश जब खास जड़ी बूटी की जिक्र किया जाता है जिसको देने से अक्सर रोगी ठीक होते हैं उनमें से सबसे पहला नाम है।


Bacha For Epilepsy
 बच मस्तिष्क में स्थित कफ समूह को नष्ट करता है मस्तिष्क में ऑक्सीजन को पहुंचाने में सहयोगी होता है। मगर वात और पित्त जनित मिर्गी के रोगियों को। कमजोर व्यक्तियों को जिनका ब्रेन के नस सूख गया है ऐसे रोगियों को यह लाभ के जगह पर हानि पहुंचा सकता है।
मगर कफ दोष के कारण से होने वाला कुछ एक मिर्गी के लक्षणों में वच के 2 ग्राम पाउडर में शहद मिलाकर चाटने का निर्देश कई सारे आयुर्वेदिक ग्रंथों में मिलता है।
जटामांसी ब्राह्मी शंखपुष्पी कुष्ठ जैसे अनेक स्वतंत्र जड़ी बूटी मिर्गी रोगियों को दिया जाता है वैसे प्रचलन में तो हकीमी नुस्खे भी बहुत चलते हैं जैसे उदसलीव का जड़,उस्तखदुस,etc..

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