Ayurveda Marma therapy is for balancing the prana energy & removing the blockage of energy in your body. Marma therapy is an ancient Indian practice which focuses on the manipulation of subtle energy (prana) in the body to support the healing process.
आयुर्वेदिक मर्म चिकित्सा प्राण ऊर्जा को संतुलित करने और शरीर में ऊर्जा के अवरोध को दूर करने के लिए होती है। मर्म चिकित्सा एक प्राचीन भारतीय प्रथा है जो शरीर में सूक्ष्म ऊर्जा (प्राण) के संचालन पर केंद्रित होती है । हम इस post के माध्यम से आपको बताना चाहेंगे कि marma therepy आपके लिए कितना जरूरी है।
Ayushyogi online Marma therapy course demo video
Students will be provided with the following at the beginning of the class:
Marma therapy class अक्सर सायं 8:00 बजे से 9:00 बजे के बीच में रहता है यदि आपके पास इस समय class attend करने का time नहीं रह पाता तो अभी संपर्क करें हम आपको पुराने class का recording videos और pdf उपलब्ध करा सकते है।
Ayushyogi other Interesting and important online course
आयुर्वेद के अनेक चिकित्सा पद्धतियों में से एक है मर्म चिकित्सा पद्धति । वास्तव में शरीर में अनेक प्रकार के दृष्य तथा अदृष्य श्रोतस् रहते हैं। यह सभी श्रोतस शरीर में स्थित धातु, महाभूत,दोष तथा मलों को गति देने का कार्य करता है। यह श्रोतस आकाश महाभूत द्वारा बना हुआ है इसीलिए मन बुद्धि आदि अदृश्य शक्ति भी शरीर के अंदर अदृश्य रास्तों से निरंतर चलते रहते हैं।
शरीर के अंदर बहुत सारे छोटे बड़े joints है। आयुर्वेद ने इनमें से कुछ प्रमुख संधियों की पहचान उर्जा का भण्डारण के रुप में किया है। सुश्रुत संहिता में लिखा है कि उन संधियों में ओज स्वरुप विद्युत तरंग रहता है जिसको प्राण तत्व भी कह सकते हैं।
यह ऐसे सिंधीयां होती हैं जिसका तालुकात आसपास के मनोवह स्रोतस,दोष तथा धातु कर्म को प्रभावित करने वाला होता है।
आयुर्वेद के मुताबिक यदि व्यक्ति को कोई अंग या श्रोतस् काम न करता हो तो उसके नजदीक में स्थित विद्युत तरंग से युक्त
संधियों में खास पद्धति से healing किया जाता है जिस से सम्वन्धित स्थान में पुनः प्राण शक्ति का संचार हो सके। उसी पद्धति को मर्म चिकित्सा पद्धति कहा जाता है।
Marma therapy से हम इन रोगों में अच्छा काम कर सकते हैं। इन रोगों में चिकित्सक सम्वन्धित मर्म विंदू के उपर stimulate कर सामान्य दवाव द्वारा रोगों से छुटकारा दिलाने का प्रयास करता है।
Engaging in a Marma Therapy course can unveil numerous benefits, including:
इसके अलावा इन रोगों में मर्म चिकित्सा बेहतरीन काम करता है।इन रोगों में मर्म चिकित्सा करने के लिए आपको इन समस्याओं से संबंधित स्थान का पता लगाकर वहां के मर्म बिंदुओं के ऊपर दबाव देना पड़ेगा कभी-कभी दो-तीन बिंदुओं पर दबाव देने से एक समस्या ठीक होता है इसका भी आपको खूब ख्याल रखना होगा।
दोस्तों यह वह समस्या है जिसके ऊपर हमने कई बार marma bindu के ऊपर काम करके रोगी को रोग से निजात दिलाया है इसलिए आप भी विधिपूर्वक मर्मचिकित्सा को सीखे और बेधड़क कम करें ।
अगर दिल की बात बताऊं तो आजकल मर्म चिकित्सा को गलत परिप्रेक्ष्य में पेश किया जा रहा है।
जिस प्रकार से मर्म चिकित्सा के व्यापारी मर्म चिकित्सा के विषय में भ्रामक प्रचार कर रहे हैं इसको देखते हुए मुझे यह post लिखना नितांत जरूरी लगा.
अब हम चर्चा करेंगे कि वास्तव में मर्म चिकित्सा है क्या चीज़ और इसको सीखने का प्रयोजन क्या है? वास्तव में Marma therapy सीखने के बाद चिकित्सक को किन-किन विषयों में benefit मिल सकता है।
मर्म संधियां : यह १०७ प्रमुख मर्म संधियों को समझ कर उन सिन्धियों के आसपास होने वाली नकारात्मक गतिविधियों मे किस तरह आयुर्वेदिक पद्धति से चिकित्सा किया जाए के प्रति चिकित्सक विचार करता है। ग्रंथकारों का यहां प्रयोजन इतना ही मात्रा सीमित नहीं है की मर्म बिंदुओं के ऊपर उंगलियों से थोड़े-थोड़े दबाकर रोग ठीक करने के लिए बैठ जाओ! उनका प्रयोजन काफी बड़ा है - कहीं पर भी ( अग्निकर्म, क्षार कर्म, विद्धकर्म) यह सभी आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति का अहम हिस्सा है जिसका इस्तेमाल चिकित्सा अलग-अलग अवस्थाओं में रोग निवारण के लिए करता है। इन चिकित्सा विधि को करने से पहले चिकित्सक को जो बहुत सारे बातें सोचना पड़ता है । चिकित्सकों के लिए चिंतनीय विषयों में एक है मर्म स्थानों की पहचान करना यह मर्म बिंदु अनेक प्रकार के होते हैं जैसे
प्रभाव के आधार पर मर्म बिंदुओं को इस प्रकार से वर्णित किया है।
यह अग्नि गुण प्रदान होता है यदि यहां आघात हो तो शरीर में अग्नि असंतुलित होकर व्यक्ति को तुरंत मर सकता है इसीलिए इसको सद्यः प्राणाहर कहा गया है इसका मतलब होता है जल्दी मृत्यु देने वाला
2. कालान्तर प्राणाहर मर्म - 33 तरह का लिखा हुआ है
यह सौम्य अग्नि वाला होता है। कालान्तर प्राणाहर मर्म के ऊपर गहरा चोट लगने पर अग्नि सर्वप्रथम सौम्य अवस्था में आता है और धीरे-धीरे व्यक्ति की मृत्यु होती है।
यह वायव्य गुण वाला होता है। यहां विद्ध होजाये तो शरीर में वायु का प्रभाव बिगाड़ सकता है।
इस मर्म का आश्चर्य जनित खासियत यह है की इस मर्म के ऊपर यदि विद्ध हो जाता है तो मृत्यु तब तक नहीं होती जब तक वह पदार्थ उस मर्म स्थान में है यदि उसको वहां से निकाल दिया जाए तब इस मर्म के भयानक बिगड़ जाने से उसकी तुरंत मृत्यु होने की संभावनाएं होती है।
लोगों का मानना है की अश्वत्थामा के ललाट के स्थापिनी मर्म में जब बांण लगा तो उसकी मृत्यु नहीं हुई बल्कि जब बांण निकाला गया तो विशल्यघ्न मर्म स्थान के आघात होने से तुरंत मृत्यु हो गयी।
यह सौम्य गुणों से शरीर में स्थित रहता है ।यह स्थिर और ठंडा रहता है। इस मर्म का रक्षा स्वयं प्राण वायु करता है मान्यता है कि प्राणवायु इसका अवलंबन करता है। अक्सर वायु अपने शीत गुणों से जब बढ़ता हैं तो वैकल्यकर मर्म में अधिक दर्द और जकडा़हट होने लगता है।
यह वायवीय और ५% तक आग्नेय गुण वाला होता है। यानी की संपूर्ण वायु का गति और कर्म इस मर्म स्थान पर अधिक होता है यदि किन्हीं कारणों से वायु बढ़ जाए तो इन मर्मों के ऊपर उसका प्रभाव वेदना के रूप में स्पष्ट देखा जा सकता है।
Marma bindu का एक और प्रकरण :
इसी प्रकार रचना शरीर के आधार पर स्थान के संबंध में मर्म बिंदुओं के विषय में इस प्रकार से वर्णन आता है।
इस तरह से मर्म बिंदुओं को अनेक पद्धतियों से विभाजित किया गया है। कोई भी चिकित्सक इसी के आधार पर व्यक्ति के शरीर में शरीर रचना का परीक्षण करता है तथा उचित चिकित्सा का प्रबंध करता है।
ऊपर के सभी बातों को पढ़कर अब आपको लगा होगा कि मर्म बिंदुओं का संबंध हमारे शरीर के सभी छोटे बड़े अंगों से हैं शरीर रचना के बारे में संपूर्ण जानकारी रखना मर्म बिंदु से आसान हो सकता है।
दरसल किसी भी तरह के रोग में चिकित्सा करने से पहले शरीर विज्ञान को जानना जरूरी होता है शरीर विज्ञान के बारे में बेहतर पद्धति से बताने वाला मर्म ज्ञान होता है यह निश्चित हो गया।
अब कोई भी हो चाहे वह मर्म चिकित्सक हो , acupressure therapist हो या chiropractic treatment के माध्यम से शरीर को belence रखने का प्रयास करता हो या किसी भी प्रकार के massage therapist हो आप सबके लिए मर्म बिंदु के बारे में संपूर्ण जानकारी रखना जरूरी है।
आप चिकित्सा के किसी भी fild में हो आप के लिए मर्म चिकित्सा के विषय में गहन अध्ययन होना बहुत जरूरी है।
क्योंकि शरीर विज्ञान के बारे में समझने के लिए Ayurveda marma vigyan बेहद आसान और जल्दी समझ में आने वाला विषय है।
मर्म संधियों का सही-सही समझ रखते हुए यदि physiological treatment देते हैं तो रोगी में किसी भी प्रकार का हानी होने का संभावना नहीं रहता है। जैसे अगर कोई dr. शरीर के किसी हिस्से में operation करना चाहता है और यदि उसने मर्म बिंदुओं का खूब अध्ययन किया हुआ है तो सजगता कितनी रखनी चाहिए precaution क्या होनी चाहिए इस बात का ख्याल उसे बखूबी रहता है।
इसीलिए हर किसी को किसी भी पद्धति से कहीं से भी हो मर्म चिकित्सा के बारे में गहन अध्ययन करना चाहिए। इसी कड़ी में हम आपको बताना चाहेंगे कि विगत अनेक वर्षों से हमारे यहां मर्म चिकित्सा का सफल marma therapy training course होता है जिसके बारे में कुछ जानकारी नीचे दिया जा रहा है।
Ayushyogi अनेक वर्षों से आयुर्वेद सिद्धांत पर आधारित marma therapy online course लोगों को सीखाते आ रहा है।
Ayushyogi marma course में आप अपने घर बैठे online के माध्यम से इस विषयों को पढ़ सकते हैं साथ में Ayushyogi से एक valuable marma therapy का certificate प्राप्त कर अपने आसपास clinic खोल सकते हैं।
1. Introduction to Ayurveda
इस कोर्स में आपको सुश्रुत संहिता में वर्णित शरीर विज्ञान के बारे में जानकारी दिया जाएगा साथ में मर्म बिंदु से संबंधित दूसरी महत्वपूर्ण आयुर्वेदिक सिद्धांतों के ऊपर खास चर्चा किया जाएगा।
२. Identification of marma points:
शरीर में 107 प्रकार के मर्म बिंदु होते हैं इनको अलग-अलग तरीका से practically समझाने का प्रयास किया जाता है। जैसे उर्ध्वशाखागत मर्म,मध्य शाखागत मर्म तथा स्नायु,मांस के मर्म साथ में सीखेंगे कि मर्म के कितने बिंदु होते हैं कहां-कहां होते हैं और किस प्रकार से अलग-अलग विधि से उसको healing किया जाता है इस प्रसंग में विद्यार्थियों को अपनी अलग-अलग अंग में स्पर्श कर मर्म बिंदु का आभास कराया जाएगा।
३. Techniques and applications
इसके तहत मालिश,एक्यूप्रेशर और आवश्यक अनेक प्रकार के तेल के प्रयोग सहित मर्म बिंदुओं को उत्तेजित करने के लिए विभिन्न तकनीकों के वारे में विद्यार्थियों को सिखाया जाएगा।
४. Case studies and practical season
विश्वास ही चिकित्सा का सबसे बड़ा आधार है इसके तहत Ayushyogi विद्यार्थियों को किस प्रकार से मर्म बिंदु से में किसी भी प्रकार के रोग को ठीक कर सकता हूं यह विश्वास को build करने का तरीका तथा मर्म चिकित्सा में आत्मविश्वास और क्षमता का निर्माण करने के लिए व्यावहारिक समझ के लिए प्रेरित करता है।
1. Health Care professional:
जो लोग किसी भी प्रकार के चिकित्सकीयान क्षेत्र से जुड़े हुए हैं और इसमें प्रोग्रेस करना चाहते हैं उनके लिए मर्म चिकित्सा थेरेपी ऑनलाइन कोर्स बहुत अच्छा साबित होगा जैसे
(A) Massage therapist:
जो मसाज कर अपना व्यवसाय चलाते हैं यदि वह इस क्षेत्र में आगे बढ़ना चाहते हैं तो Ayushyogi marma therapy training course उनके लिए बहुत बेहतर साबित होगा.
(B) Yoga instructors:
यदि आप yoga में आगे बढ़ाना चाहते है और खूब सफल होना चाहते हैं तो तुरंत आपको मर्म चिकित्सा सीख लेनी चाहिए क्योंकि योग शरीर के अंदर स्थित ऊर्जा को बढ़ाने वाली क्रिया है और मर्म चिकित्सा इस ऊर्जा को active करने का चमत्कृत व्यवस्था है।
(C) Holistic practitioners:
जो लोग अनेक प्रकार के पारंपरिक उपचार का अनुसरण कर समाज या गांव में जीविका चलाते हैं उनको अपने इस चिकित्सकीय परंपरा में और संतुलित बनाए रखने के लिए या कहूं अपने ज्ञान को व्यापक बनाने के लिए यह marma course बेहद सहयोगी रहेगा।
(D) Wellness enthusiasts:
यदि आप किसी प्रकार के स्वस्थ से संबंधित व्यवसाय से तालुकात नहीं रखते हैं मगर अपने और अपने परिवार वालों के स्वास्थ्य के प्रति सजग रहना चाहते हैं तो भी आपको मर्म चिकित्सा हर पल काम आएगा क्योंकि अक्सर देखा गया है चाहे सर दर्द हो ,नजला जुखाम आंखों में दर्द हाथ पैरों में झनझनाहट पेट में दर्द इस प्रकार के छोटे-छोटे लक्षणों को मर्म थेरेपी द्वारा तुरंत ठीक किया जा सकता है।
१. व्यक्तिगत अभ्यास:
मर्म चिकित्सा सीखने के बाद आपको सर्वप्रथम तो अपने ही शरीर में मर्म बिंदुओं का निरंतर अभ्यास स्वरूप पहचान कर उसमें healing process प्रारंभ करनी चाहिए उसके बाद अपने परिवार जनों के मर्म बिंदु का निरीक्षण और प्रसादन करें।
इस क्रम में व्यक्तिगत तौर पर महाभूतों के आधार पर प्रश्न करने का आदत रखें और सतत अभ्यास करते रहे - जैसे सद्य प्राणहर मर्म अग्नि महाभूत वाला होता है इस मर्म के संदर्भ में रोगी से प्रश्न करें हीलिंग करें और उसके प्रभाव के बारे में जानने का निरंतर प्रयास करें।
२. व्यवसाय की शुरुआत:
निरंतर अभ्यास के बाद व्यवसाय के रूप में धीरे-धीरे इस काम को आगे बढ़ते जाइए हमेशा रोगी से सीखने का प्रयास करें। ध्यान रखना चिकित्सा प्रबंधन आयुर्वेदिक ग से नहीं बल्कि रोगी से ही सीखा जाता है। जैसे-जैसे प्रैक्टिस करते जाएंगे आपके अंदर skill का विकास होता जाएगा।
३. प्रशिक्षण कक्षाएं
अभ्यास करते-करते बहुत दिन के बाद दूसरों को सीखाने के लिए online या offline marma therapy class प्रारंभ करें इससे आपका reach बढ़ेगा और practice में भी काफी सुधार होगा क्योंकि दूसरों को पढ़ने से अपना experience बढ़ता है।
समग्र में marma therapy course हर किसी के लिए बेहद उपयोगी विषय है जो छोटे गांव,कस्बे से लेकर बड़े शहर में रहते हैं उन सब को यह course शारीरिक और आर्थिक रूप से benefit देता है ।
मर्म थेरेपी सीखने से जिनको नौकरी न मिलने से बड़ी कठिनियां हो रही हो उनके लिए लगभग चार-पांच महीने में ही एक अच्छा आर्थिक आय का स्रोत बन सकता है ।
इसीलिए marma chikitsa को एक आर्थिक उन्नति के दृष्टि से देखें और इसको सीखने से संबंधित विचारों को अभी से सोचना शुरू करें ।
Ayushyogi
सीखने के लिए एक अच्छा plateform है Ayushyogi जहां हमेशा आयुर्वेद के विषय में भी पढ़ाया जाता है ।
अनेक प्रकार के ज्योतिष आयुर्वेद तथा दूसरे विषय को बेहद सस्ता और सरल भाषा में पढ़ने के लिए AYUSHYOGI हमेशा प्रतिबद्ध है धन्यवाद।
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