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epilepsy( मिर्गी दौरा की आयुर्वेदिक दवा वनाने की विधि। जानिए मिर्गी के दौरे से जुड़ी ये खास बातें~

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Mirgi की आयुर्वेदिक दवा के रूप में प्रयोग किया जाने वाला कुछ जड़ी बूटियां जिसके ऊपर आयुर्वेदिक डॉक्टर हमेशा विश्वास करते हैं ।Mirgi रोग की दवा के रूप में जीने प्रयोग करते हैं उनमें मुख्य रूप में ब्राह्मी शंखपुष्पी गिलोय मुलेठी यह मेद्य रसायन है का ज्यादातर प्रयोग करते हैं। इसके अलावा सारस्वत चूर्ण, महा कल्याण चूर्ण भी मिर्गी में अच्छा काम करता है.

वात प्रधान Mirgi रोगियों के लिए वृहत् वात चिंतामणि रस पित्त प्रधान Mirgi के रोगियों के लिए अभ्रक भस्म स्वर्ण भस्म आदि रसायन दिए जाते हैं ।और कफ प्रधान मिर्गी के रोगियों के लिए चिंतामणि चतुर्भुज रस आदि दवाइयां दिए जाते हैं.

epilepsy के लिए घर में ही आयुर्वेदिक दवाई बनाने की विधि

 

epilepsy treatment की आयुर्वेदिक दवा बनाने के लिए आपको नीचे दिए गए कुछ जड़ी बूटियों को बाजार से कलेक्शन करके लाना है और उसी विधि से बनाना है जैसे नीचे मैं बता रहा हूं.।

 

 

 सारस्वत चूर्ण निर्माण विधि

कूट 

 अश्वगंधा 

सेंधव

 अजमोद 

काला सफेद जीरा

 पाठा

 सोंठ 

छोटी पीपली

 काली मिर्च

 बच 

शंखपुष्पी 

ब्राह्मी

इन सभी को बरोबर मात्रा में पाउडर बनाकर उस पाउडर में व्राह्मी स्वरस का 7 भावना देना है. उसके बाद तैयार हो जाता है मिर्गी नाशक दिव्य रसायन इसको आपने कफ वात प्रधान रोगियों को रोगी के शरीर उमर और बल को ध्यान में रखकर गरम पानी या सारस्वतारिष्ट अश्वगंधारिष्ट के साथ सुबह-शाम एक-एक चम्मच देना है।

 

seizure disorder की आयुर्वेदिक दवा बनाने का दूसरा फॉर्मूला

 

पिपली 

 

पिपली मूल 

 

चव्य

 

सोंठ 

 

काली मिर्च

 

 हरड़ 

 

बहेड़ा

 

 आंवला 

 

नमक 

 

सेंधा नमक 

 

 अजवाइन

 

 धनिया

 

 

जीरा

इन सभी को बराबर पाउडर बनाकर सुरक्षित रखना है यह सभी प्रकार के मिर्गी रोग में बेहतर काम करता है।

 

 

 

Mirgi को जड़ से खत्म कैसे करें?

यदि आप मिर्गी को जड़ से खत्म करना चाहते हैं तो तनाव और चिंता से दूर रहना चाहिए रात में जल्दी सोना और सुबह जल्दी उठने की विशेष आदत बनानी चाहिए वाह कारक भोजन जैसे मूंग के अलावा कोई दाल का सेवन ना करें खाने पीने को लेकर विशेष सावधानी बरतें कभी भी ज्यादा भूखे ना रहे और इतना भी ना खाए जिससे कि मिर्गी का दौरा आने का संभावना बना रहे। यह देखे कि आपके आसपास में कौन है जो मिर्गी की आयुर्वेदिक दवा खुद से बना कर देता है उनसे संपर्क करें और आप के लोगों को परीक्षण कराकर आयुर्वेदिक पद्धति से मिर्गी की आयुर्वेदिक दवा बनाकर उसके सेवन करें।

 

Mirgi के मरीज को क्या खाना चाहिए?

मिर्गी के मरीज को चाहिए कि वह मिर्गी की आयुर्वेदिक दवा खाते हुए शरीर को पोषण देने वाले विटामिन युक्त आहार का सेवन करना चाहिए जैसे गाजर चुकंदर और बथुआ के साग से सूप बनाकर निरंतर सेवन करना चाहिए इससे शरीर में नवीन खून का निर्माण होता है और रक्त संचार में सहयोगी रहता है।

 

 

Mirgi ka आयुर्वेदिक इलाज क्या है?

मिर्गी की आयुर्वेदिक दवा ढूंढ रहे हैं तो जरूर रोगी के रोग परीक्षण करा लेनी चाहिए रोग परीक्षण हो जाने के बाद मिर्गी की दवा डॉक्टर के रेट देखने ही लेना चाहिए वैसे महा कल्याण चूर्ण महा सारस्वत चूर्ण यह दो दवाई मिर्गी रोगियों के लिए उत्तम होता है लेकिन अगर पित्त प्रकृति का शरीर है तो इसका सेवन नहीं करना चाहिए।

मिर्गी का इलाज कितने साल चलता है?

मिर्गी की आयुर्वेदिक दवा खाते हुए यदि रोगी आयुर्वेदिक तरीका से जीवन यापन करता है और कोई बड़ी समस्या नहीं है तो ऐसे में रोगी को आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति महज 3 महीने में ही ठीक कर देता है पर फिर भी देखा गया है चौथे महीने से मस्तिष्क को पोषण देने वाली मिर्गी की आयुर्वेदिक दवा के साथ प्रयोग किया जा सकने वाला हस्तनिर्मित सुवर्णप्राशन लंबे समय तक दिया जाना चाहिए।

 

क्या Mirgi ka दौरा जड़ से खत्म हो जाता है?

बहुत सारे मिर्गी के रोगी के मन में अक्सर यह सवाल आता रहता है कि क्या मेरा मिर्गी का दौरा कभी खत्म हो सकता है क्या मैं नॉर्मल इंसान की तरह अपने लाइफ स्पैन कर सकता हूं लेकिन दोस्तों मैं आपको बता दूं कि मिर्गी को हम जड़ से खत्म कर सकते हैं व शर्तें इसके लिए आपको कुछ आयुर्वेदिक तौर तरीके सीखने ही होंगे जिस प्रकार से बहुत सारे ऐसे लोग हैं एक बार लग जाने के बाद कहीं ना कहीं शरीर में उसका बीज रहता ही है बेशक जीवन पर्यंत व समस्या फिर कभी दिखता भी ना हो मगर इस बात का खतरा बना रहता है कि मुझे कभी भी वह समस्या दोबारा हो सकता है ऐसे ही मिर्गी रोगियों के साथ भी समझना चाहिए आयुर्वेदिक जीवन पद्धति को सीखने के बाद रोगी को यह सिखाया जाए कि आपने अपने खान-पान और रहन-सहन को कैसे सेट करना है इसमें बहुत ज्यादा कुछ करना नहीं होता थोड़ी बहुत अपने रूल्स एंड रेगुलेशंस को सजाना होता है उसे रोगी के शारीरिक लक्षण के आधार पर ही तय किया जाता है यदि आप इस रोग से परेशान हो तो घबराने की जरूरत नहीं है आप तो हमारे संस्था से कभी भी संपर्क कर सकते हैं।

 

Mirgi की जांच कैसे होती है?

आयुर्वेदिक पद्धति के अनुसार मिर्गी के दौरे का नाड़ी परीक्षण,मूत्र परीक्षण, जिह्वा परीक्षण आदि पद्धति ग्रंथकारों ने बताया है। एलोपैथिक के हिसाब से एमआरआई, सीटी स्कैन ,इइजी और ब्लड टेस्ट के विविध डायग्नोसिस सम्मिलित है।

 

Mirgi रोग कैसे फैलता है?

मिर्गी रोग के विषय में बहुत सारे भ्रांतियां भी समाज में दिखता है कुछ लोगों का मानना है किसी के स्पर्श करने से किसी के जूठा खाने से भी मिर्गी रोग दूसरों में चला जाता है लेकिन साइंटिफिक एविडेंस के अभाव में इस बात को स्वीकार नहीं किया जा सकता बाकी जेनेटिक प्रभाव मिर्गी रोगियों में स्पष्ट दिखता है।

दौरे कितने प्रकार के होते हैं?

आयुर्वेदिक मत से मिर्गी 5 प्रकार के होते हैं कफज मिर्गी, पित्तज मिर्गी,वातज मिर्गी, रक्त मिर्गी, इसके अलावा इंटेस्टाइनल की कमी कमजोरी से भी मिर्गी होती है स्त्रियों में हिस्टीरिया भी मिर्गी का ही एक रूप है।

एलोपैथिक की दृष्टि से।

Absence epilepsy

Myoclonic epilepsy
 Atonic or drop attacks
Simple partial epilepsy

दौरे की बीमारी कैसे होती है?

मस्तिष्क में किसी गड़बड़ी के कारण बार-बार दौरे पड्ने की समस्या हो जाती है। दौरे के समय व्यक्ति का दिमागी संतुलन पूरी तरह से गड़बड़ा जाता है। और उसका शरीर लड़खड़ाने लग जाता है।

 इसका प्रभाव शरीर के किसी एक हिस्से पर देखने को मिल सकता है जैसे चेहरे हाथ या पैर पर जकडन, मुंह से झाग आना उसके बाद बेहोश हो जाना आदि सभी मिर्गी के मुख्य लक्षण है।

 

मिर्गी के टोटके

आयुर्वेदिक प्राचीन चिकित्सा पद्धति के कुछ ग्रंथों में मिर्गी के टोटके के विषय में भी जिक्र किया हुआ मिलता है।

जिसमें से ज्यादा प्रचलित यह है कि बाजार से एक मिट्टी का घड़ा सरसों का तेल पीली सरसों के दाने काली मिर्च जटामांसी लोहे का किला काला धागा को कलेक्शन करके उन सभी को सूर्य भगवान के मंत्र बोलते हुए रोगी के सिर से एंटीक्लॉक घुमाकर मिट्टी के घड़े में डाला जाता है बाद में उस घड़ा को पीपल के पेड़ के नीचे जमीन में दफनाया जाता है पुराने लोगों का ऐसी अवधारणा है कि इस टोटका के प्रभाव से मिर्गी जो कि दूसरों के द्वारा टोना टोटका करने से अगर मिर्गी का दौरा आता है और किसी प्रकार के मिर्गी की आयुर्वेदिक दवा देने से भी मिर्गी का दौरा ठीक नहीं हो रहा है तो इस टोटका को करने से दौरा बंद हो जाता है ऐसी अवधारणा बहुत सालों पहले तक सभी आयुर्वेदिक वेदों के पास हुआ करता था समय के साथ धीरे-धीरे यह प्रथा खत्म होता गया घड़े में रखने के बाद रोगी जब मिट्टी के उस धड़े को पीपल के पेड़ के नीचे दफन आता है तो उसके बीच में बोलने वाली मंत्र भी इस प्रकार से है।

ओम नमो भगवते भास्कराय मम समस्त ग्रहकृत रोग निवारणाय अपस्मार हराय स्वाहा: ।

 

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