Learn Ayurveda Pulse Diagnosis,Kaya Chikitsa,Medical Astrology And Other Lots Of Treditional Ayurvedic Information

Share

epilepsy( मिर्गी दौरा की आयुर्वेदिक दवा वनाने की विधि। जानिए मिर्गी के दौरे से जुड़ी ये खास बातें~

Blog Pic

मिर्गी (Epilepsy) एक जटिल न्यूरोलॉजिकल रोग है, लेकिन आयुर्वेद में इसके इलाज के लिए कई प्रभावी जड़ी-बूटियां और औषधियां बताई गई हैं। आयुर्वेदिक डॉक्टर प्राचीन काल से ही कुछ खास मेद्य रसायन (मस्तिष्क को पोषण देने वाली औषधियां) का प्रयोग करते आए हैं।

मिर्गी की आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां

  • ब्राह्मी – स्मरण शक्ति व मानसिक शांति देती है।

  • शंखपुष्पी – मस्तिष्क को शांत कर दौरे की तीव्रता कम करती है।

  • गिलोय – रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती है और मस्तिष्क को संतुलित रखती है।

  • मुलेठी – नसों को शांत करती है और मानसिक तनाव कम करती है।

इनके अलावा सारस्वत चूर्ण और महा कल्याण चूर्ण भी मिर्गी रोगियों के लिए उपयोगी माने गए हैं।

प्रकृति के अनुसार दवा

  • वात प्रधान मिर्गी – वृहत् वात चिंतामणि रस

  • पित्त प्रधान मिर्गी – अभ्रक भस्म, स्वर्ण भस्म

  • कफ प्रधान मिर्गी – चिंतामणि चतुर्भुज रस

इन औषधियों का सेवन हमेशा आयुर्वेदिक चिकित्सक की देखरेख में करना चाहिए।

 

मिर्गी (Epilepsy) क्या है?

  • आधुनिक दृष्टिकोण से: मिर्गी एक ऐसी अवस्था है जिसमें मस्तिष्क के न्यूरॉन्स बार-बार असामान्य विद्युत आवेग (Abnormal electrical impulses) उत्पन्न करते हैं। इससे रोगी को बेहोशी, शरीर में ऐंठन, झटके, आंखों से फड़कना, या झाग आने जैसे लक्षण दिखाई देते हैं।

  • आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से: मिर्गी को अपस्मार रोग कहा गया है। यह रोग मन, स्मृति और चेतना पर असर डालता है। "अप" का अर्थ है—नीचे गिरना और "स्मार" का अर्थ है—स्मृति। यानी रोगी अचानक गिर जाता है और स्मृति पर असर पड़ता है।

मिर्गी के कारण (Causes of Epilepsy)

आधुनिक चिकित्सा अनुसार:

  • जेनेटिक कारण (Genetic mutations)

  • मस्तिष्क में चोट (Head injury)

  • स्ट्रोक या ब्रेन ट्यूमर

  • संक्रमण (Infections like Meningitis, Encephalitis)

  • बचपन में मस्तिष्क का असामान्य विकास

आयुर्वेदिक दृष्टि से:

  • वात दोष की वृद्धि → न्यूरॉन्स में असंतुलन

  • पित्त दोष की वृद्धि → मस्तिष्क में सूजन और गर्मी

  • कफ दोष की वृद्धि → तंद्रा, भारीपन और दौरे

  • मानसिक कारण – अत्यधिक तनाव, भय, चिंता

epilepsy के लिए घर में ही आयुर्वेदिक दवाई बनाने की विधि

epilepsy treatment की आयुर्वेदिक दवा बनाने के लिए आपको नीचे दिए गए कुछ जड़ी बूटियों को बाजार से कलेक्शन करके लाना है और उसी विधि से बनाना है जैसे नीचे मैं बता रहा हूं.।

मिर्गी के प्रकार (Types of Epilepsy)

आयुर्वेदिक वर्गीकरण

  1. वातज मिर्गी – शरीर में कंपन, अचानक बेहोशी।

  2. पित्तज मिर्गी – आँखों से लालिमा, झाग आना।

  3. कफज मिर्गी – नींद आना, तंद्रा, भारीपन।

  4. रक्तज मिर्गी – तेज़ सिरदर्द और बेहोशी।

  5. मानसिक अपस्मार – स्त्रियों में हिस्टीरिया।

आधुनिक चिकित्सा अनुसार

  • Absence epilepsy

  • Myoclonic epilepsy

  • Atonic or Drop attacks

  • Partial seizures

  • Generalized tonic-clonic seizures

मिर्गी में प्रमुख लक्षण (Symptoms of Epilepsy)

  • अचानक गिर जाना

  • शरीर में ऐंठन या झटके लगना

  • आँखें उलट जाना

  • मुँह से झाग आना

  • कुछ समय के लिए स्मृति लोप होना

  • दौरे के बाद थकान और नींद आना

आयुर्वेदिक पद्धति से

  • नाड़ी परीक्षण – दोषों का संतुलन देखना।

  • जिह्वा परीक्षण – पित्त और कफ की स्थिति।

  • मूत्र परीक्षण – दोष और धातु की जाँच।

मिर्गी में आयुर्वेदिक दवाइयाँ और जड़ी-बूटियाँ

मेध्य रसायन (Brain tonics)

  • ब्राह्मी

  • शंखपुष्पी

  • गिलोय

  • मुलेठी

घर पर मिर्गी की दवा बनाने की विधियाँ

1. सारस्वत चूर्ण निर्माण

सामग्री: अश्वगंधा, सेंधव, अजमोद, काला-सफेद जीरा, पाठा, सोंठ, छोटी पीपली, काली मिर्च, बच, शंखपुष्पी, ब्राह्मी।

  • सबको बराबर मात्रा में पीसकर ब्राह्मी रस की 7 भावना दें।
  • रोगी को सुबह-शाम 1 चम्मच अश्वगंधारिष्ट के साथ दें।

2. Seizure disorder powder

सामग्री: पिपली, पिपली मूल, चव्य, सोंठ, काली मिर्च, हरड़, बहेड़ा, आंवला, नमक, सेंधा नमक, अजवाइन, धनिया, जीरा।

  •  सबको बराबर मात्रा में पीसकर सुरक्षित रखें।
  •  सभी प्रकार की मिर्गी में उपयोगी।

मिर्गी (Seizure Disorder) की आयुर्वेदिक दवा – दूसरा फॉर्मूला

सामग्री:
पिपली, पिपली मूल, चव्य, सोंठ, काली मिर्च, हरड़, बहेड़ा, आंवला, नमक, सेंधा नमक, अजवाइन, धनिया, जीरा – सभी बराबर मात्रा में।

विधि:
सभी को बारीक पाउडर बनाकर छान लें और एयरटाइट डिब्बे में रखें।

सेवन विधि:
सुबह-शाम 1-1 चम्मच गुनगुने पानी के साथ लें। बच्चों को आधी मात्रा दें।

लाभ:

  • दौरे की तीव्रता कम करे
  • पाचन सुधारे
  • मस्तिष्क और नसों को पोषण दे

मिर्गी के रोगी के लिए आहार (Diet in Epilepsy)

  • खाने योग्य चीजें: गाजर, चुकंदर, बथुआ का सूप, मूंग दाल, हरी सब्जियाँ।

  • बचने योग्य चीजें: मांस, तैलीय भोजन, अधिक नमक-मिर्च, शराब।

मिर्गी एक जटिल रोग है लेकिन आयुर्वेद और आधुनिक चिकित्सा का संयोजन रोगी को स्थायी लाभ दे सकता है। जहाँ आधुनिक चिकित्सा लक्षणों को नियंत्रित करती है, वहीं आयुर्वेद मूल कारण पर काम करता है।

  •  यदि आप मिर्गी की दवा ढूंढ रहे हैं, तो अपने दोष और प्रकृति के अनुसार योग्य वैद्य से परामर्श करें।

मिर्गी को जड़ से खत्म कैसे करें?

मिर्गी से छुटकारा पाने के लिए रोगी को तनाव और चिंता से दूर रहना चाहिए। समय पर सोना-जागना, हल्का और सात्विक आहार लेना बेहद जरूरी है।

  • मूंग दाल को छोड़कर अन्य दालों से परहेज करें।

  • कभी ज्यादा भूखे न रहें और न ही ज्यादा भोजन करें।

  • आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह लेकर ही दवा का सेवन करें।


मिर्गी के मरीज को क्या खाना चाहिए?

मिर्गी रोगियों के लिए पौष्टिक और विटामिन युक्त आहार फायदेमंद है।

  • गाजर, चुकंदर और बथुआ का सूप नियमित पिएं।

  • हरी सब्जियां और ताजे फल खाएं।

  • इससे नया खून बनता है और रक्त संचार बेहतर होता है।

मिर्गी का आयुर्वेदिक इलाज क्या है?

मिर्गी की दवा शुरू करने से पहले रोग परीक्षण ज़रूरी है। सामान्यतः महा कल्याण चूर्ण और महा सारस्वत चूर्ण लाभकारी माने जाते हैं। लेकिन पित्त प्रकृति वाले रोगी को इनका सेवन नहीं करना चाहिए।


मिर्गी का इलाज कितने साल चलता है?

यदि रोगी आयुर्वेदिक जीवनशैली अपनाए तो 3–4 महीने में अच्छे परिणाम दिख सकते हैं। इसके बाद लंबे समय तक सुवर्णप्राशन जैसी दवाएं मस्तिष्क को पोषण देने के लिए दी जाती हैं।


क्या मिर्गी का दौरा जड़ से खत्म हो सकता है?

आयुर्वेद के अनुसार जीवनशैली और आहार नियमों का पालन करके मिर्गी को जड़ से नियंत्रित किया जा सकता है। हालांकि शरीर में रोग का बीज छुपा रह सकता है, इसलिए सावधानी जरूरी है।


मिर्गी की जांच कैसे होती है?

  • आयुर्वेदिक पद्धति: नाड़ी परीक्षण, मूत्र परीक्षण, जिह्वा परीक्षण।

  • एलोपैथिक पद्धति: MRI, CT Scan, EEG और ब्लड टेस्ट।


मिर्गी रोग कैसे फैलता है?

मिर्गी संक्रामक रोग नहीं है। यह छूने या साथ खाने से नहीं फैलता। मुख्य कारण जेनेटिक प्रभाव और मस्तिष्क संबंधी गड़बड़ी हैं।


मिर्गी के दौरे कितने प्रकार के होते हैं?

आयुर्वेदिक दृष्टि से

  • कफज मिर्गी

  • पित्तज मिर्गी

  • वातज मिर्गी

  • रक्तज मिर्गी

  • हिस्टीरिया (विशेषकर महिलाओं में)

एलोपैथिक दृष्टि से

  • Absence Epilepsy

  • Myoclonic Epilepsy

  • Atonic or Drop Attacks

  • Simple Partial Epilepsy


दौरे की बीमारी कैसे होती है?

मस्तिष्क में असंतुलन होने से बार-बार दौरे आते हैं।
लक्षण:

  • चेहरे, हाथ-पैर में जकड़न

  • मुंह से झाग आना

  • होश खोना और गिर पड़ना


मिर्गी के टोटके (पुरानी परंपरा)

प्राचीन ग्रंथों में एक उपाय वर्णित है:

  • मिट्टी का घड़ा, सरसों का तेल, पीली सरसों, काली मिर्च, जटामांसी, लोहे की कील और काला धागा इकट्ठा करें।

  • इन वस्तुओं को रोगी के सिर से उतारकर घड़े में रखें और पीपल के पेड़ के नीचे दफना दें।

  • साथ ही यह मंत्र बोला जाता है:
    "ॐ नमो भगवते भास्कराय मम समस्त ग्रहकृत रोग निवारणाय अपस्मार हराय स्वाहा:"

 

Daivavyapashraya Chikitsa for Epilepsy, Schizophrenia, and Autism when MRI/CT Reports are Normal – By Vaidya Dronacharya Ji

आजकल बहुत से मरीज़ ऐसे मिलते हैं जिन्हे…

Ayurvedic Treatment for Mental Illness (Unmad): Causes, Symptoms & Therapy

आयुर्वेद में Mental Illnessउन्म…

शिवा शक्ति चूर्ण के प्रमुख लाभ | Benefits of Shiva Shakti Churna

शिवा शक्ति चूर्ण एक आयुर्वेदिक दवा है ज…

Jatharagni: The True Source of Energy and Health | An Ayurvedic Perspective

आयुर्वेद में jatharagni : "जठराग्न…

विरेचन कर्म की सम्पूर्ण विधि: virechan treatment in hindi

घर में ही रहकर संपूर्ण पंचकर्म विधि से …

Telepathy Kya Hota Hai? | Ayushyogi Online Telepathy Master Course

Telepathy क्या होता है इस विषय में अधिक…

India's Best One Year Ayurveda Online Certificate Course for Vaidhyas

यदि आप भी भारत सरकार Skill India nsdc द…

The Beginner's Guide to Ayurveda: Basics Understanding I Introduction to Ayurveda

Ayurveda Beginners को आयुर्वेदिक विषय स…

Ayurveda online course | free Ayurveda training program for beginner

Ayurveda online course के बारे में सोच …

Nadi Vaidya online workshop 41 days course  brochure । pulse diagnosis - Ayushyogi

Nadi Vaidya बनकर समाज में नाड़ी परीक्षण…

आयुर्वेद और आवरण | Charak Samhita on the importance of Aavaran in Ayurveda.

चरक संहिता के अनुसार आयुर्वेदिक आवरण के…

स्नेहोपग महाकषाय | Snehopag Mahakashay use in joint replacement

स्नेहोपग महाकषाय 50 महाकषाय मध्ये सवसे …

Varnya Mahakashaya & Skin Problem | natural glowing skin।

Varnya Mahakashaya वर्ण्य महाकषाय से सं…

Colon organ pulse Diagnosis easy way | How to diagnosis feeble colon pulse in hindi |

जब हम किसी सद्गुरु के चरणों में सरणापन…

Pure honey: शुद्ध शहद की पहचान और नकली शहद बनाने का तरीका

हम आपको शुद्ध शहद के आयुर्वेदिक गुणधर्म…