Epilepsy Treatment संभव है। Epilepsy जिसे Mirgi भी कहा जाता है इसका इलाज हो सकता है मगर यह सिर्फ आयुर्वेद में ही संभव है। epilepsy को Neurological disorder के रूप में जाना जाता है। Centre nervous system में होने वाली dis balance ही epilepsy या Seizure disorder का मुख्य कारण माना जाता है। epilepsy के संदर्भ में allopathic medical science का बहुत अधिक research हुआ है मगर वे लोग epilepsy को Neurological disorder या Brain disorder ही मानते हैं। Disease of the nervous system को समझकर यदि आप चिकित्सा की तैयारी करेंगे तो आपको जीवन पर्यंत epilepsy Treatment के लिए दौड़ते ही रहना पड़ेगा और जीवन पर्यंत epilepsy का दवाई खाते ही रहना पड़ेगा इसीलिए संभव है आज हम Seizure disorder,Brain disorder,Neurological disorder आदि नामों से डराया जाने वाला एक व्याधि जिसको आयुर्वेद में अपस्मार के नाम से जाना जाता है इसके ऊपर चर्चा करेंगे।
Epilepsy असाध्य व्याधि नहीं है । यह video अपने प्रशंसा के लिए नहीं बल्कि आपको यह बताने के लिए upload किया गया है ताकि आप epilepsy treatment को लेकर अधिक चिंतित ना हो। किसी योग्य आयुर्वेदिक चिकित्सक के शरणागत हो जाए आपका यह व्याधि ठीक होने वाला है बस इसी बात को बताने के लिए है।
यदि आपको भी मिर्गी का लक्षण दिखता है अनेक जगह चिकित्सा करके थक चुके हैं तो एक बार खुद ही इसका चिकित्सा विधि सीख लो।
कृपया इस link को click करें और लक्षणों को कागज में नोट करते हुए चलें |
Epilepsy Treatment करने वाले neuros specialist doctor बहुत सारे दवाइयों का पहाड़ रोगी के सामने रख देते हैं यदि आप ध्यान से उन दवाइयों के गुण धर्मों के ऊपर Google में search करते हैं तो सभी दवाई तकरीबन निद्रा कारक ही प्रमाणित होते हैं ।
कुल मिलाकर चाहे कोई भी allopathic doctor जितना मर्जी epilepsy का diagnosis करे चाहे M.R.I. हो या E.E.G. मैं कुछ भी दिखें prescription में आपको तकरीबन एक ही तरह का दवाई देखने को मिलेगा। कदाचित epilepsy Treatment में उनकी भी कोई गलती नहीं है क्योंकि एलोपैथिक साइंस ही एपिलेप्सी को
न्यूरो लॉजिकल डिसऑर्डर मानती है और उनके विचार में ब्रेन को शून्य कर देना ही इसका बेहतर चिकित्सा है ।
epilepsy Treatment परिणाम स्वरूप शरीर के दूसरे लक्षणों में कुछ भी दिखे जैसे देखा गया है ।
epilepsy allopathic medicine से भूख कम लगती है।epilepsy allopathic medicine से कॉन्स्टिपेशन होता है।epilepsy allopathic medicine से सुस्ती बनी रहती है।epilepsy allopathic medicine से शरीर कमजोर होना शुरू हो जाता है।
epilepsy allopathic medicine छोड़ने के बाद क्या होगा यह चिंता बनी रहती है यह भी उसी दवाई का negative परिणाम है।
इसी प्रकार के बहुत सारे epilepsy treatment and side effect के लक्षण रोगी में epilepsy treatment में प्रयोग किए जाने वाले तमाम तरह के दवाई खाने से दिखता है।
लेकिन इतने सारे नकारात्मक दूसरी लक्षण दिखने के बावजूद भी Doctor सिर्फ यही सोचते हैं की रोगी में सिर्फ मिर्गी का लक्षण (symptoms of epilepsy) नहीं दिखना चाहिए बाकी दूसरे कुछ भी होता रहे यह तो वही बात हो गई कि जिस प्रकार सरकार किसी चीज के ऊपर सब्सिडी देने की बात करती है और तुरंत दूसरे ही दिन चुपके से किसी दूसरी चीजों की रेट बढ़ा देती है पब्लिक को लगता है वाह क्या बात है सरकार ने सब्सिडी दे दिया।
यह तो सच है कि आयुर्वेद चिकित्सा विधि अग्नि देव द्वारा प्रकट किया हुआ ब्रह्मा जी द्वारा संवर्धन तथा भारद्वाज शिष्य पुनर्वसु आत्रेय ने अपने गुरु से आयुर्वेद पढ़कर अपने शिष्य अग्निवेश सहित अन्यों को आयुर्वेद सिखाया है । आयुर्वेदिक चिकित्सा के क्षेत्र में चरक संहिता सबसे प्राचीन ग्रंथ है जिसका निर्माण चरक ऋषि द्वारा हुआ था सभी पूर्व महापुरुषों का अनंतकाल तक का जो अनुभव है वह इस ग्रंथ में लिखा हुआ है। यह सभी बातें इसलिए लिखना पड़ रहा है क्योंकि मैं बताना चाहता हूं सृष्टि के प्रारंभ से अभी तक आयुर्वेद के कई रूप देखने को मिला है ।
वास्तव में शारीर भाव को संतुलित रखने का नाम ही चिकित्सा शास्त्र है और यह शास्त्र बदलते समय के साथ जैसे-जैसे नवीन खोज होता गया उन चिकित्सा शास्त्र के दिशा,रूपरंग और चिकित्सा विधि के सैद्धांतिक नाम को समय अनुकूल परिवर्तन करता गया आज जिसे हम allopathic science बोलते हैं वह भी इसी समय अनुकूल नवीन चिकित्सा शास्त्र का परिवर्तन नाम मात्र है वास्तव में वह भी शारीर भाव को संतुलित रखने का काम ही तो करता है । लेकिन कुछ अलग रूप, गुण और चिकित्सा व्यवस्थाओं के साथ। वस फर्क इतना ही है कि इससिद्धांत का निर्माण उस वक्त में हुवा जब सारा दुनिया आयुर्वेद शास्त्र से मुंह मोड़ रही थी क्योंकि उस वक्त बहुत समय से आयुर्वेद के खिलाफ नेगेटिव प्रचार किया जा रहा था। यदि सवाल यह है कि क्या एलोपैथिक चिकित्सा आयुर्वेद के सामने बौना है क्या एलोपैथिक बिल्कुल निकम्मा है तो ऐसा भी सोचना गलत है क्योंकि यह आज का रिसर्च द्वारा निकाला गया एक सिद्धांत है इस चिकित्सा में आज के लोगों की विचारों के साथ तालमेल बैठाने में सहजता है।
मेरा मानना है यदि इमरजेंसी की स्थिति है तो इसके लिए आज के समय में एलोपैथिक से बेहतर और कुछ नहीं है लेकिन बड़ा व्याधि है और इमरजेंसी कंडीशन से रोगी बाहर निकल चुका है तो आयुर्वेद का उपेक्षा नहीं करनी चाहिए क्योंकि आयुर्वेद
स्वस्थस्य स्वास्थ्यरक्षणमातुरस्य विकारप्रशमनं च।
"इस आयुर्वेद का प्रयोजन स्वस्थ व्यक्ति के स्वास्थ्य की रक्षा करना और यदि रोगी है तो उसके रोग का निवारण करना आयुर्वेद का मुख्य कर्म है।
अब आते हैं मुख्य प्रसंग epilepsy Treatment के विषय में जानने के लिए।
जैसे की हम बता चुके हैं की allopathic वाले सभी प्रकार के बेहोशी ( जिसमें मुंह से झाग भी निकलता हो) को epilepsy & Seizure symptoms (मिर्गी रोग का लक्षण) समझ कर बाकी चीजें कुछ ध्यान दिए बगैर ही epilepsy का Treatment देना शुरू करते हैं। तो हमें समझना होगा की allopathic के किस तरह के epilepsy /Seizure symptoms का diagnosis हो जाने पर हमें epilepsy Treatment से संबंधित किन बातों के ऊपर सावधानी रखना है । इस प्रकार के epilepsy /Seizure symptoms का diagnosis होने पर epilepsy allopathic treatment लेना चाहिए या नहीं इसका decide खुद से कैसे किया जाए।
यदि आपको मिर्गी का दौरा epilepsy Seizure attack आता है तो सावधानी पूर्वक नीचे लिखे गए उन बातों को ध्यान से पढ़े और खुद से डिसाइड करें कि आपने अपनी मिर्गी का लक्षण के आधार पर किस पैथिक से चिकित्सा करना है जैसे आयुर्वेद एलोपैथिक होम्योपैथिक आदि आदि।
1-यदि मिर्गी का दौरा आने पर किया जाने वाला epilepsy allopathic diagnosis M.R.I. की रिपोर्ट में सामान्य गतिविधि दिखती है या कोई भी समस्या नहीं दिखता फिर भी यदि डॉक्टर आपको कोई एलोपैथिक दवाई खाने के लिए देता है तो समझना होगा यह कोई भी दवाई हो आपके हित में नहीं है कभी-कभी डॉक्टर रोगों के कारण जाने बगैर ही लक्षणों के आधार पर दवाई दे देते हैं यकीन मानिए ऐसे दवाइयों से epilepsy ka treatment बिल्कुल भी संभव नहीं है। एम आर आई की रिपोर्ट में कुछ भी समस्या नहीं है फिर भी कभी-कभी मिर्गी का दौरा आता है तो जान लीजिए यह मस्तिष्क में ऑक्सीजन न पहुंचने की वजह से हो रहा है ऐसी कंडीशन में प्राणायाम, ध्यान, शंख बजाने का अभ्यास, कुठ नाम के लकड़ी को जलाकर उसकी खुशबू को नाक से सुनना क्योंकि यह जड़के धुआं मस्तिष्क मे स्थित मस्तुलुंग को स्राव करता है मस्तुलुंग मैं कफ या वायु के वजह से स्टीपनेस बनी हुई रहती है तो रिपोर्ट में सामान्य अवस्था दिखने पर भी मिर्गी का दौरा इसी कारण से आ सकता है।
Careful in epilepsy treatment.
2-हमारे कर्म इंद्रियां और ज्ञानेंद्रिय द्वारा प्राप्त विषयों से संतुष्ट होता है हमारा मस्तिष्क Neurological disorder या Brain disorder होने के पीछे यह भी एक कारण हो सकता है। क्योंकि विषयों का अति सेवन या अल्प सेवन मानस भावों को बिगड़ने के लिए उद्यत होते हैं। यदि सीधी भाषा में कहे तो इन कारणों से मन और बुद्धि में तनाव पैदा होता है मन और बुद्धि दिनी कारणों से मैला हो जाने के फलस्वरूप मस्तिष्क में स्थित तर्पक कफ में दोषों का संग होजाना और Neurological disorder या Brain disorder होने के साथ-साथ मिर्गी जैसा दिखने वाला लक्षण व्यक्ति में लिखता है हालांकि एलोपैथिक वाले तो इसको भी मिर्गी (epilepsy) ही कह कर निद्रा कारक दवाई देते हैं लेकिन यह व्याधि आयुर्वेदिक दृष्टि में क्षयजन्य व्याधि जिसने मनो वह स्रोतस् को दूषित किया है समझ कर आहार बिहार में सत्विकता और मानसमित्रवटकम् जैसे मन के ऊपर काम करने वाली दवाइयां दी जाती है उसके साथ साथ कुछ पंचकर्म चिकित्सा भी बताया जाता है।
Careful in epilepsy treatment.
3-Epilepsy का परीक्षण करते वक्त यदि शरीर में या ब्रेन में कीड़ा होने का संभावना दिखे तो यह कीड़ा model Epilepsy treatment से शरीर के अंदर मर सकता है मगर शरीर से बाहर समूल निकल ही नहीं सकता।
ध्यान देना जब तक यह कृमि शरीर से बाहर नहीं निकलता और दोबारा शरीर इन क्रीमीयों को बनाने के लिए असमर्थ होने की कंडीशन में रहेगा तभी जो एपिलेप्सी जैसा लक्षण आपको अभी दिख रहा है वह खत्म होगा कृमि नाशक आयुर्वेदिक चिकित्सा के अलावा यह संभव ही नहीं कि किसी दूसरे व्यवस्थाओं से कृमी को नष्ट किया जा सकता होगा आयुर्वेद ने कृमि के लिए कुष्ठ के समान चिकित्सा करने के लिए बताया है।
4-शरीर में हर तरह के रोग जब निर्माण होता है तो लक्षण के आधार पर बेहोशी हाता है। उस रोग के रहते शरीर के लिए बेहोशी होना जरूरी है । मैंने अपने जीवन काल में बहुत सारे मिर्गी के रोगियों को देखा है और हजारों रोगियों को दवाई दिया हुआ हूं इस आधार पर मैं इमानदारी से बता रहा हूं शरीर के किसी भी अंग में जब भी कभी कोई समस्या होगा तो उसका लक्षण स्वरूप मिर्गी जैसा ही दिखने वाला वेहोसी उस रोगी में दिखाई देगा ।लेकिन यह मिर्गी नहीं है यह तो उस रोग का एक लक्षण मात्र है जैसे कोई आदमी कहीं गिरने से शरीर में चोट लग गया उस दर्द से निजात पाने के लिए brain थोड़ी देर relax होना चाहता है मगर allopathic doctor इसे भी Epilepsy (मिर्गी का लक्षण) ही समझते हैं लेकिन सभी डॉक्टर ऐसा नहीं होते मगर मेरे पास इस तरह के शिकायत लेकर बहुत रोगी आए हैं। ऐसे कंडीशन में रोगी को तीन-चार साल में एक बार मिर्गी का दौरा पड़ता है ऐसे epilepsy ka symptoms को ध्यान से समझना है और सावधानी से चिकित्सा देना है ।
5. Accident आदीयों में चोट लगने के बाद उस जगह के रक्त में Epilepsy का कारण भूता दोष विकृति उत्पन्न होने में करीब-करीब डेढ़ 2 साल का वक्त लगता है यदि उससे पहले मिर्गी का दौरा आना शुरू हुआ तो उसको ऐसा नहीं समझना चाहिए कि यह उसी चोट लगने की वजह से हुआ है। ऐसे में सावधानीपूर्वक मिर्गी का दौरा आने का मुख्य कारणों के ऊपर ध्यान देना चाहिए जब तक कारण समझ में नहीं आता तब तक किसी भी तरह का चिकित्सा लेने से कोई फायदा नहीं है।
6-मिर्गी जैसा ही वेहोसी तो फैटी लीवर,स्प्लीनोमेगाली, हार्ट डिजीज, किडनी का समस्या मे भी दिखता है मगर यदि आप सिर्फ बेहोशी आता है , मुंह से झाग निकलता है आंखें टेढ़ी हो जाती है याद नहीं रहता इन लक्षणों को देखकर ही चिकित्सा करते रहे तो रोगी कभी भी ठीक हो ही नहीं सकता इसलिए एलोपैथिक वाले सिर्फ मिर्गी के यह कुछ गिने-चुने लक्षणों को ही ध्यान में रखकर उन्हीं लक्षणों के पाए जाने पर मिर्गी समझ कर Epilepsy Ka Treatment देते हैं मगर यह कभी ठीक तो होता ही नहीं है क्योंकि उन्होंने सही नब्ज को तो कभी समझा ही नहीं इसीलिए उनके नजर में Epilepsy या seizure यह असाध्य व्याधि है।
Epilepsy क्या है इसके जवाब तो मैं नहीं दे पाऊंगा क्योंकि यह एलोपैथिक डॉक्टर बेहतर बता पाएंगे मगर मैं आपको अपस्मार क्या है यह बताने में रूचि रखूंगा | Epilepsy कहकर जो उपचार दिया जाता है उसके आधार पर मैं कह सकता हूं कि यह अपस्मार का पर्यायवाची इंग्लिश शब्द तो बिल्कुल नहीं हो सकता।अपस्मार का कारण को स्पष्ट करने हेतु यह चरक संहिता का श्लोक ही पर्याप्त है। जहां मन का सबसे पहली बिगड़ना सबसे जरूरी है ऐसा बताया जाता है लेकिन Epilepsy मैं ना तो मन का कोई जिक्र है और ना ही उससे संबंधित कोई चिकित्सा आइए इस सूत्र को नजदीक से समझते हैं।
विभ्रान्तबहुदोषाणामहिताशुचिभोजनात् |
रजस्तमोभ्यां विहते सत्त्वे दोषावृते हृदि |
|चिन्ताकामभयक्रोधशोकोद्वेगादिभिस्तथा |
मनस्यभिहते नृणामपस्मारः प्रवर्तते || (च.चि. अ. 10)
अब इस श्लोक के अर्थ को समझते हैं ।
अपस्मार का कारण बताते हुए ग्रंथकार लिखते हैं।
जो व्यक्ति हानिकारक व अशुद्ध भोजन करते हैं,और उनके शरीर में दोष अधिक मात्रा में उपस्थित रहते हैं ऐसे व्यक्तियों में सत्त्वगुण पर रज और तम हावी हो जाते है और हृदय वातादि दोष से आवृत हो जाता है तथा चिन्ता, काम, भय, क्रोध, शोक और उद्वेग आदि से मन दूषित हो जाता हैं तो अपस्मार रोग की उत्पत्ति होती हैं।
हालांकि मन का दूषित होना ही एपिलेप्सी का मुख्य हेतु है ऊपर के श्लोक में पूर्ण रूप से मन का दूषित होने वाली व्यवस्थाओं के बारे में नहीं बताया गया है। आप तो यूं लगा लो जिन कर्मों से व्यवहार से मन दूषित हो सकता होगा दूषित मन का संबंध बुद्धि और इंद्रियों के साथ नहीं हो पा रहा होगा उन सभी हालातों में अपस्मार जैसे व्याधि उत्पन्न होने का पूर्वरूप तैयार हो सकता है ।मन का दूषित होने के लिए पूर्व जन्म मैं किए हुए पाप कर्मों का संस्कार भी जिम्मेदार हो सकता है, माता और पिता के तामसिक आहार-विहार तथा शारीरिक संबंध द्वारा शरीर में रज वीर्य के रूप में तामस भाव का प्रवेश होना, और गर्भ के अंदर रहते हुए यदि मां निरंतर मानसिक रूप से पिडीत होते हुए मन को दूषित करने वाले आहार विहार का सेवन करती है तो वह भी आपस में होने से संबंधित वातावरण उस बच्चे के शरीर में पैदा कर सकता है।
तस्येमानि पूर्वरूपाणि भवन्ति, तद्यथा - भ्रूव्युदासः सततमक्ष्णोर्वैकृतमशब्दश्रवणं
लालासिङ्घाणप्रस्रवणमनन्नाभिलषणमरोचकाविपाकौ हृदयग्रहः
कुक्षेराटोपो दौर्बल्यमस्थिभेदोऽङ्गमर्दो मोहस्तमसो दर्शनं मूर्च्छा भ्रमश्चाभीक्ष्णं स्वप्ने च मदनर्तनव्यधनव्यथनवेपनपतनादीनीति||६|| (च.नि.अ.8)
धमनीभिः श्रिता दोषा हृदयं पीडयन्ति हि |
सम्पीड्यमानो व्यथते मूढो भ्रान्तेन चेतसा ||
पश्यत्यसन्ति रूपाणि पतति प्रस्फुरत्यपि |
जिह्वाक्षिभ्रूः स्रवल्लालो हस्तौ पादौ च विक्षिपन्||
दोषवेगे च विगते सुप्तवत् प्रतिबुद्ध्यते | (च.चि.अ.10)
अपस्मार की सम्प्राप्ति और पूर्वरूप - दोष धमनी आश्रित होते हैं अर्थात मनवह स्रोत में आश्रित होते हैं हृदय को पीड़ित करते हैं जिससे मनुष्य ज्ञान शून्य हो जाता हैं। मन मे भ्रम हो जाने से जो रूप नहीं हैं वह रूप देखता हैं। हाथ पैर फेककर गिर जाता हैं। जिह्वा, नेत्र, भ्रू में फरकाहट होने लगती है, मुख से लार आने लगती हैं। हाथ-पैर को इधर-उधर फेकने लगता है। दोष का वेग चला जाता हैं फिर उसे ज्ञान नहीं होता कि क्या हुआ था जैसे सोके उठा हो ।
हृत्कम्पः शून्यता स्वेदो ध्यानं मूर्छा प्रमूढता ।
निद्रानाशश्च तस्मिंश्च भविष्यति भवत्यथ || (सु. उ. तं. अ. ६१) |
हृदय में कंपन होना, शुन्यता की अनुभूति होना, शरीर से पसीना आना, स्मरण नष्ट हो जाना, नींद ना आना ऐसा कुछ लक्षण दिखे तो समझना चाहिए कि अब दौरा आ सकता है।
कृपया नीचे दिए गए लिंक में क्लिक करें और इन संस्कृत श्लोकों का विस्तृत व्याख्यान पढ़े।
वातिकापस्मारलक्षणम्
कम्पते प्रदशेद्दन्तान् फेनोद्वामी श्वसित्यपि | परुषारुणकृष्णानि पश्येद्रूपाणि चानिलात् ||(च. चि. अ. १०)
पैत्तिकापस्मारलक्षणम्
पीतफेनाङ्गवक्त्राक्षः पीतासृग्रूपदर्शकः । सतृष्णोष्णानलव्याप्तलोकदर्शी च पैत्तिकः।।(च. चि. अ. १०)
श्लैष्मिकापस्मारलक्षणम्
शुक्लफेनाङ्गवक्त्राक्षः शीतहृष्टाङ्गजो गुरुः । पश्येछुक्लानि रूपाणि श्लैष्मिको मुच्यते चिरात् ||(च. चि. अ. १०) |
सान्निपातिकापस्मारलक्षणम् अपस्मारस्यासाध्यलक्षणं च सर्वैरेतैः समस्तैश्च लिङ्गैर्ज्ञेयस्त्रिदोषजः ।
अपस्मारः स चासाध्यो यः क्षीणस्यानवश्च यः ||६|| प्रतिस्फुरन्तं बहुशः क्षीणं प्रचलितभ्रुवम् । नेत्राभ्यां च विकुर्वाणमपस्मारो विनाशयेत् ||७|| (च. चि. अ. १०)
अपस्मारप्रकोपकालः
पक्षाद्वा द्वादशाहाद्वा मासाद्वा कुपिता मलाः ।
अपस्माराय कुर्वन्ति वेगं किञ्चिदथान्तरम् || (च. चि. अ. १०)
देवे वर्षत्यपि यथा भूमौ बीजानि कानिचित् ।
शरदि प्रतिरोहन्ति तथा व्याधिसमुच्छ्रयाः || (सु. उ. तं. अ. ६१) ।
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