Doot Nadi Pariksha दूत नाड़ी परीक्षण विधि सीखने के लिए यदि आप रूचि रखते हैं तो आपके जानकारी के लिए- Doot Nadi Pariksha क्या बला है और इसकी महत्ता कितनी हद तक सही है। Doot Nadi Pariksha क्या सच में रोगी को देखें या स्पर्श किए बगैर ही रोग परीक्षण जैसे महत्वपूर्ण कार्य को कर सकता है।
क्या दूर बैठे किसी व्यक्ति के शरीर में कौन सा व्याधि है किस कारण से वह व्याधि शरीर में प्रारंभ हुआ है किस प्रकार की आयुर्वेदिक चिकित्सा रोगी को दिया जाना चाहिए इसका निर्णय ठीक-ठीक तरीका से Doot Nadi Pariksha सीखने के बाद हो पाएगा ? इन सभी सवालों का जवाब तलाशना आपके लिए जरूरी है। क्योंकि किसी सिद्धांत के ऊपर यकीन तभी किया जा सकता है जब वहां से इस प्रकार के सवालों के संतोषजनक जवाब मिल सकता है।
तो आइए आज हम दूत नाड़ी परीक्षण से संबंध रखने वाले सभी प्रकार के विचारों से रूबरू होते हैं।
Doot Nadi Pariksha के विषय में इन दिनों आयुर्वेदिक वैद्यों के अंदर घमासान मचा हुआ है। कोई कहता है दूत नाड़ी जैसा कुछ नहीं होता यह सिर्फ कपोल कल्पना मात्र है। कोई कहते हैं पहले के जमाने में साधु संत दूर बैठे अपने भक्तों से इसी दूत नाड़ी की सिद्धि से बात किया करते थे। कुछ लोग कहते हैं दूत नाड़ी वह विद्या है जिसकी बदौलत एक व्यक्ति दूर बैठे किसी शख्स के शरीर में होने वाली सभी प्रकार के शारीरिक और मानसिक व्याधि को जान सकता है। कुछ लोगों का ऐसा भी मानना है Doot Nadi Pariksha सीखा हुआ व्यक्ति दूर बैठे किसी रोगी के शरीर का हाल उसके रिश्तेदार जो नजदीक में है को देखकर अंदाज़ लगा सकता है।
अब आपने तय करना है आप इनमे से कौन सा विचार हो अंगीकृत करते हो।
मगर मैं तो इन सभी से भिन्न तरीका से Doot Nadi Pariksha को समझता हूं क्योंकि जिस प्रकार से शार्ङ्गधर संहिताकार दूत नाड़ी का विवेचन करते हैं मैं दूत नाड़ी को उसी के आधार पर समझना चाहूंगा। देखिए जरा शार्ङ्गधर संहिताकार दूत नाड़ी परीक्षण के संदर्भ में कितना स्पष्ट अपना मंतव्य प्रस्तुत करते हैं।
दूता:स्वजातयोव्यङ्गा: पटवो निर्मलाम्वरा:|
सुखिनोअश्ववृषारुढा: शुभ्रपुष्पफलैर्युता:||
सुजातय: सुचेष्टाश्च सजीवदिशि संश्रिता:|
भिषजं समये प्राप्ता रोगिण:सुखहेतवे||
यहां शार्ङ्गधर संहिताकार के दूत नाड़ी के संदर्भ में कुछ लिखने से पहले इसका भूमिका भी प्रस्तुत करते हैं। Basically उनका मानना है की पहले के समय में जब कोई व्यक्ति बीमार ग्रस्त हो जाता है ऐसा लगता है जैसे कि अभी उसकी मौत होने वाली है शरीर के लक्षण भयावह रहता है ऐसे में रोगी को उठाकर वैद्य जी के पास लेकर जाना वह भी जल्दी जल्दी से यह थोड़ा मुश्किल हो जाता है फिर एक व्यक्ति जिसे यहां दूत शब्द से संबोधन किया हुआ है को जल्दी-जल्दी वैद्य जी के घर बुलाने के लिए भेजा जाता है। जब वह वैद्य जी के पास पहुंचता है तो वह व्यक्ति जब रास्ते में आ रहा था तो उसने किन-किन चीजों को देखते हुए आया या जब वह वैद्य जी के पास जाकर अपने साथ ले जाने के लिए अनुरोध कर रहा था रोगी के परिस्थितियों के ऊपर उस व्यक्ति से चर्चा परिचर्चा कर ही रहे थे उस वक्त होने वाली शुभ और अशुभ शकुन को देखकर रोगी के बारे में भविष्यवाणी करना ही दूत नाड़ी परीक्षण है।
दूता:स्वजातयोव्यङ्गा: पटवो निर्मलाम्वरा:|
सुखिनोअश्ववृषारुढा: शुभ्रपुष्पफलैर्युता:||
सुजातय: सुचेष्टाश्च सजीवदिशि संश्रिता:|
भिषजं समये प्राप्ता रोगिण:सुखहेतवे||
इस श्लोक का शाब्दिक सूक्ष्म अर्थ यह है किरोगी के देखने से पहले ही दूत(संदेश वाहक) को देखकर रोगी की साध्य और असाध्यता के विषय में निर्णय कर लेने के लिए आचार्य सारंगधर ने दूत परीक्षा का निर्देश दिया है ।आचार्य सुश्रुत और चरक ने भी दूत परीक्षा कर निर्देश दिया है।
वैद्य को वुलाने के लिए जाते हुए दूत को यदि रास्ते में सौम्य (भेरी, मृदंगादि) वाजा बजाते हुए कोई रास्ते में मिलते हैं तो यह शुभ शकुन नहीं है। यदि अग्नि तेल आदि अमंगलकारी पदार्थ को लिए कोई आदमी उस दूत के बगल से जा रहा होता है तो इसे शुभ शकुन माना जाता है।
जैसे कि श्लोक में भी वर्णन है।
वैद्याह्वानाय दूतस्य गच्छतो रोगीण: कृते।
न शुभं सौम्यशकुनं प्रदीप्तं च सुखावहम्।।
इसके बाद Doot Nadi Pariksha के ही संदर्भ में शार्ङ्गधर संहिताकार दूसरा भी बहुत रोचक शब्दों से अपने मंतव्य को अभिव्यक्त करते हैं।
मगर वे (शार्ङ्गधर संहिताकार) यहां रोगी देखने जाते वक्त खुद वैद्य द्वारा अनुभव की हुई शुभाशुभ शकुन के बारे में वर्णन करते है। जैसे..
चिकित्सां रोगिण:कर्तुं गच्छतो भिषज:शुभम्।
यात्रेयं सौम्यशकुनं प्रोक्तं दीप्तं न शोभनम्।।
रोगी की चिकित्सा करने जाते हुए वैद्य के लिए शास्त्रोक्त यात्रा के समय के भेरी मृदंङ्गादि सौम्य शकुन मिलना यहां सुबह होते हैं किंतु आग,तैल आदि का देखना यहां अशुभ होता है।
आजकल का दूत नाड़ी परीक्षा है क्या चीज ।
What is Doot nadi parikshan.
दोस्तों इस दुनिया में विशेष करके हिंदुस्तान में बहुत सारे ऐसे महापुरुषों का जन्म हुआ है जिन्होंने अपने चमत्कृत सिद्धांत से लोगों के दिलो-दिमाग में अपना अमूल्य छाप छोड़ दिए है । कुछ ऐसी चमत्कार जिसको ना तो सुनने से यकीन होता है ना ही देखने से विश्वास किया जा सकता है मगर हकीकत में ऐसे बहुत सारे लोग इस तरह के कारनामे करते आ रहे हैं गुरु शिष्य परंपरागत आज भी कुछ लोग ऐसे बहुत सारे चमत्कृत ज्ञान को लिए समाज में लोगों की सेवा कर रहे हैं।
उनमें से तथाकथित लोग आज भी Doot Nadi Pariksha या कुछ लोग भूत नाड़ी या कुछ लोग तो द्रुत नाड़ी भी कहते देखे जाते हैं। इन लोगों का ऐसी मान्यता है कि यह विद्या वाकई में दूर बैठे किसी व्यक्ति के शरीर का हाल फोन के माध्यम से या अलग-अलग माध्यमों से रोग परीक्षण करने का दावा करते हैं। कुछ लोग तो इस Doot Nadi विद्या को सिखाने के नाम पर प्रचार-प्रसार भी करते देखे जा रहे हैं। वे लोग एक पैकेज के रूप में लोगों को Doot Nadi Pariksha सिखा रहे हैं। अब बाकी तो भगवान ही जाने की सिखाने वाला क्या सिखा रहा है और सीखने वाला कितना लाभ प्राप्त कर पा रहा है सीखने के बाद क्या वाकई में वह किसी व्यक्ति को दूर बैठे ही बताए हुए विधि से किसी दूसरे व्यक्ति के माध्यम से किसी दूसरे का रोग परीक्षण कर सकता है मेरे नजर में यह असंभव सा जान पड़ता है हालांकि दुनिया में असंभव जैसा तो कुछ नहीं है यदि वाकई में ऐसी कोई सिद्धांत हो तो यह हिंदुस्तान और विशेष करके आयुर्वेद के लिए वाकई में एक गर्व का विषय है।
आयुर्वेद अष्टविध परीक्षा का एक हिस्सा है नाड़ी परीक्षा विधि यदि आप भी नाड़ी परीक्षण करना चाहते हैं या इस विधि को सीखना चाहते हैं तो Ayushyogi से आपको कभी भी संपर्क कर सकते हैं।
Ayushyogiएक बेहतरीन platform है जहां से आप गुरु शिष्य परंपरागत चलने वाली नाड़ी परीक्षण विधि तथा द्रव्य गुण विज्ञान की कुछ विशेष जानकारी सहित रोग परीक्षण तथा आयुर्वेदिक चिकित्सा का सिद्धांत जिसे practically ज्यादातर किया जाता है जो सफल चिकित्सक बनने वालों के लिए बहुत महत्वपूर्ण formulation है उसके ऊपर ज्यादातर चर्चा परिचर्चा की जाती है।
हर रोज सायं 8:00 से 9:00 तक चलने वाली दुर्लभ गुरु शिष्य परंपरा वाला संपूर्ण नाडी़ परीक्षण विधि सीखने में 40 दिन का वक्त लगता है। जहां सभी प्रकार के रोगों के ऊपर किस प्रकार से नाड़ी परीक्षण किया जाए जैसे तमाम बिंदुओं के ऊपर विस्तृत चर्चा की जाती है यदि आप आयुर्वेद को बिल्कुल भी नहीं जानते तो भी AayushYogi class आपको basic आयुर्वेदिक ज्ञान सिखाते हुए विशेष चिकित्सा विधि तथा नाड़ी परीक्षण सिखाने के लिए प्रतिबद्ध है। मगर अभी तक दूतनाड़ी को हमने अपने क्लास में सिखाने के लिए नहीं रखे हैं क्योंकि मेरे नजर में दूत नाड़ी आज के संदर्भ में प्रामाणिक सिद्धांत नहीं है। शायद उस अंदाज से में इस विधा को नहीं जान पारहा हूं जैसे लोग बताया करते हैं यह भी कारण हो सकता है।
नाड़ी परीक्षण एक आत्मज्ञान का विषय है । हालनकी नाड़ी परीक्षण को हमने चित्रात्मक ढंग से विद्यार्थियों के सामने प्रस्तुत करने का व्यवस्था तैयार जरूर किया है। इस हेतु से नाड़ी परीक्षण अब किसी के लिए भी समझना मुश्किल नहीं है। इसको जानने के बाद विशेष करके हमारे 40 दिन की नाड़ी परीक्षण की कोर्स को पूरा करने के बाद विद्यार्थी आयुर्वेद के गूढ़ रहस्य को नाड़ी परीक्षण के मद्देनजर समझने का विशेष आनंद प्राप्त कर पा रहे हैं। हम इस सुविधा से safe diagnosis कर सकते हैं या किसी व्यक्ति के कलाई में हाथ रखकर उसके उसके व्याधि को बताना कोई खेल नहीं है ऐसा होते ही आप संबंधित व्यक्ति के विश्वास में उतर जाते हो रोगी के लिए यह बहुत ही आश्चर्यजनक अवशर रहेगा जब आप उसको उसके दुखती नब्ज में हाथ रखोगे। हम शब्द से कह नहीं पा रहे है अगर ऐसा कुछ हो सके तो आपके लिए वह पल कितना सुखमय रहेगा आयुर्वेद पुनरुत्थान के लिए ऐसी विधा को सभी के घर तक पहुंचाना हमारा परम लक्ष्य है यदि आप नाड़ी परीक्षण और आयुर्वेद सीखना चाहते हैं तो कभी भी Ayushyogi से संपर्क कर सकते हैं।
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