Lekhaniya Mahakashaya कफ के परमाणुओं को लेखन कर्म करने के लिए चरक ने Lekhaniya Mahakashaya के बारे में बताया है।लेखनीय महाकषाय शरीर में कहीं भी वायु के क्षीण होने या कफ के बढ़ जाने से होने वाली व्याधि पर अच्छा काम करता है। Lekhaniya Mahakashaya सभी प्रकार के hyperlipidemia,PCOD, high blood pressure, metabolism syndrome आदि आहार-विहार जनित अव्यवस्थित कारणों से होने वाली व्याधि में उत्तम कार्य करता है।
और जाने- वात,पित्त,कफ दोष से संबंधित संपूर्ण जानकारी |
आज के समय में मोटापे से ग्रस्त व्यक्ति हर प्रकार के उपचार करके थक चुके हैं उनके शरीर में मेदोवृद्धी के कारण शरीर अस्त-व्यस्त हो रखा है।
आहार-विहार के अव्यवस्थित होने के कारण समोसा बर्गर जैसे पोषक रस विहीन पदार्थों के अधिक सेवन करने से या दिन भर सोना रात में ना सोना वेफिक्र होना जैसे तमाम कफ कारक आहार बिहार से हाई कोलेस्ट्रॉल हाई ट्राइग्लिसराइड् जैसे टॉक्सिंस शरीर में पनपते हैं। ऐसे अवसर पर यदि हम लेखनीय महाकषाय Lekhaniya Mahakashaya रोगी को देते हैं तो निश्चित बड़े हुए चर्बी या सभी प्रकार के टॉक्सिंस शरीर से तुरंत कम हो जाते है।
मोटापे से ग्रस्त व्यक्ति के चर्बी को तुरंत कम कर देने वाला तथा सिरम कोलेस्ट्रॉल को कम करते हुए मधुमेह हैं जैसे तमाम मेदो वृद्धि के कारण से होने वाली व्याधियों के ऊपर लेखनीय महाकषाय Lekhaniya Mahakashaya अच्छा काम करता है।
दुनिया में हर जगह बैलेंस बनाना जरूरी होता है जैसे बाहरी भौतिक जगत में हर चीजों पर वैलेंस को बनाना जरूरी होता है वैसे ही शरीर मैं पोषण के संदर्भ में भी वैलेंस जरूरी है।
कम पोषण होना भी व्याधि को उत्पन्न करता है और अधिक पोषण शरीर में जाए तो भी व्याधि को उत्पन्न करता है।
पोषण रहित स्थिति को अपतर्पण जन्य व्याधि बोलते हैं जिस पर शरीर में कमजोरी आती है और बहुत सारे क्षयजन्य व्याधि पनपते हैं। और अधिक पोषण से होने वाले व्याधि को संतर्पण व्याधि बोलते हैं जिसमें मोटापा, डायबिटीज जैसे तमाम व्याधि होते हैं।
Lekhaniya Mahakashaya के जड़ी बूटीयां।
कटु, तिक्त, उष्ण विर्य ,कटु विपाक, रुक्ष, लघु,त्रिदोषनाशक गुणों से परीपोषित चरक ऋषि द्वारा प्रदत्त 50 महाकषाय मैं से एक महाकषाय है Lekhaniya Mahakashaya।
लेखनीय महाकषाय सभी प्रकार के शरीर के अंदर का क्लेद को किसी भी हालत में शरीर से बाहर निकालने के लिए जाना जाता है। शरीर में जिस क्लेद के रहने से मोटापा, मधुमेह,आमवात,ट्यूमर,पीसीओडी,प्रमेह जैसे कफ कारक बहुत सारे व्याधियां होता है। नीचे लेखनीय महाकषाय में प्रयोग किया जाने वाले जिस 10 प्रकार के जड़ी बूटियों के बारे में वर्णन किया गया है। यथासंभव उनके आयुर्वेदिक गुण धर्मों के साथ यहां वर्णन किया जा रहा है।
Lekhaniya Mahakashaya का सबसे पहला आयुर्वेदिक द्रव्य है नागर मोथा तो सबसे पहले नागरमोथा के ही विशेष गुणधर्म को समझते हैं।
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नागरमोथा
-शीतल चरपरा,कषाय,स्वेदोपग,मूत्रविरेचन कारक, को खाने से वमन रुक जाता है, दूध में मिलाकर पीने से आउ युक्त दस्त बंद हो जाता है, सामान्य चंदन के समान नागर मोथा में अरुचि आमातिसार, खूनी बवासीर अजीर्ण, संकोचक होने से संग्रहणी मे लाभदायक,कफ नाशक पित्त और ज्वरनाशक, श्रम को दूर करता है। कुल मिलाकर नागर मोथा शरीर से पसीना और यूरिन के माध्यम से टॉक्सिंस को बाहर निकालता है। इसीलिए नागर मोथा Lekhaniya Mahakashayaका एक प्रमुख घटक द्रव्य है।
कूट -
गर्म कड़वी तिखा, चर्बी को बढ़ाने वाली, सुगंधित, दीपन,पाचन,कामोद्दीपक, धातु परिवर्तक,कफनाशक,उत्तेजक,मासिक धर्म नियामक,व्रण सोधक, कान्ति वर्धक: दाद खुजली रक्त विकार वायु नालियों के प्रदाह वमन और वात रोगों में लाभदायक सिर दर्द उन्माद अपस्मार में भी दिया जा सकता है। Lekhaniya Mahakashaya मैं स्थित कूट नामक वनस्पति का यहां वेद नाशक कर्म के लिए बहुत महत्वपूर्ण भूमिका अदा करना पड़ रहा है। कूट का दो विशेष कार्य के ऊपर यदि आप ध्यानाकर्षण करेंगे तो सबसे पहले यह धातु परिवर्तक द्रव्य है और दूसरा कामोदीपक कांति वर्धक शक्ति वर्धक द्रव्य है लेखनिय कर्म करने वाले लेखनीय महाकषाय [Lekhaniya Mahakashaya]शरीर के संपूर्ण भाग में कफ के क्लेद को तोड़फोड़ करना शुरू करेंगे कफ शरीर में बल को मेंटेन करता है लेखनीय महाकषाय शरीर में जब कफ का अपकर्षण करेगा तो निश्चित है कि शरीर में कमजोरी भी आएगी ऐसे में कूट जैसा शरीर में वल वर्ण को बढ़ाने वाला एक द्रव्य तो जरूर होना चाहिए इसीलिए कूट का प्रयोग लेखनीय महाकषाय मे किया हुआ है वैसे कूट स्वयं से दीपन पाचन और कफ नाशक भी है यानी कूट जिस प्रकार से मुंबई स्वयं से पिघलते हुए दूसरों को प्रकाश देता है हुबहू उसी तरह कफ के दूसीत परमाणुओं को अपने दीपन पाचन गुणों से पिलाते हुए शरीर को बल और वर्ण प्रदान कर रहा है।
हरिद्रा-
उष्ण,रुक्ष,शोधन कर्मकारक,कफ वात नासक, रुधिर दोष,कोढ, खुजली प्रमेह,त्वचा विकार, घाव सूजन पांडुरोग क्रीमी बिष,पीनस अरुचि,अपचन को दूर करता है। लेखनीय महाकषाय (Lekhaniya Mahakashaya)मैं हरिद्रा सभी प्रकार के इंफेक्शन को रिपेयर करने में विशेष भूमिका अदा करेगा ।
वचा कुटकी जैसे अति तिक्ष्ण,रुक्ष द्रव्य जब शरीर में लेखन कर्म करेंगे तो हो सकता है शरीर के अंदर विषाक्त पदार्थ के परमाणु टूटेंगे और वह उत्पात मचाएंगे ऐसी स्थिति में हरिद्रा और दारूहरिद्रा तुरंत उन विषाक्त पदार्थ के परमाणुओं को शमन करने के लिए एक विशेष भूमिका अदा करेंगे।
दारूहरिद्रा
रस (स्वाद) - तिक्त, कषाय - कड़वा, कसैला
गुण (गुण) - लघु (पचाने के लिए हल्का), रूक्ष (सूखापन)
विपाक (पाचन के बाद स्वाद रूपांतरण) - कटु (तीखा)
वीर्य - गर्म शक्ति
प्रभाव पर त्रिदोष - कफ और पित्त दोष को संतुलित करता है।घाव जल्दी भरने
वाला, मधुमेह और मूत्र पथ के रोगों
में उपयोगी आंख, कान और मौखिक गुहा से संबंधित दर्द और खुजली संबंधी विकारों के उपचार में उपयोगी, सूजन रोधी,खुजली के साथ त्वचा रोगों से राहत देता है, दाद,विषाक्त
कफ को सुखाने वाली गुण, नमी से राहत मिलती है, (जैसे घाव भरने में।
इसका उपयोग मेनोरेघिया और ल्यूकोरिया में किया जाता है यह पेट के ऐंठन दर्द को दूर करने में मदद करता है। लेखनीय महाकषाय मे दारुहरिद्रा एंटीबायोटिक का कार्य करते हुए कफ के परमाणु द्वारा शरीर को दूषित होने से बचाने के कार्य करता है।
बच-
यह तेज गंध वाली ,कड़वी , गरम ,विरेचक ,अफरा, शोध ,कफ, वातज्वर पेट की गर्मी और शूल को दूर करने वाली तथा वाक शक्ति बढ़ाने वाली है|
बच का इस्तेमाल आयुर्वेद में अपस्मार , उन्माद , कृमि , स्मरण शक्ति आदि रोगों में किया जाता है | लेखनीय महाकषाय मैं वचन संज्ञा वाही स्रोतसों मे स्थित कफ के परमाणुओं को पिघलाकर शरीर के अंगप्रत्यंग में चेतना देने के लिए चेतना का प्रसस्तीकरण करता है।
अतिविशा
,रस (स्वाद) - कटु (तीखा) तिक्त (कड़वा)
गुना (गुण) - लघु (हल्कापन), रूक्ष (सूखापन)
विपाक - कटु - पाचन के बाद तीखा स्वाद रूपांतरण से गुजरता है
वीर्य - उष्ण- गर्म
प्रभाव-विषाहार-विशेष स्वास्थ्य प्रभाव-विषाक्तता से छुटकारा दिलाता है।लेखनीय महाकषाय (Lekhaniya Mahakashaya)मैं अतिविशा कोलेस्ट्रोल और ट्राइग्लिसराइड जैसे विषाक्त पदार्थों को अपने पित्त वर्धक गुणों से पाक कर्म करके समस्त स्रोतों को खोलने में अहम भूमिका निर्वहन करता है।
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कुटकी-कुटकी कड़वी रूखी शीतल हल्की दीपन हृदय को पुष्ट करने वाली ज्वरनाशक मृदु विवेचक भूख को बढ़ाने वाली पेट के कीड़ों को खत्म करने वाली मूत्र रोग दमा हिचकी रक्त के रोग जलन कुष्ठ रोग पीलिया में लाभदायक होता है। कुट्की अनुलोमक द्रव्य है।जिस बुखार में कब्ज होता है वहां कुटकी उत्तम कार्य करता है।
पीलिया रोग के लिए भी यह उत्तम दवाई है अजीर्ण रोग से पैदा हुए दमा रोग में भी मिश्री के साथ दिया जा सकता है।Lekhaniya Mahakashaya मैं कुटकी का भी बहुत बड़ा महत्व है यह अपने भेदन और सारक कर्म से अपक्व मल और कफ के परमाणुओं को जबरदस्ती धक्का मार के शरीर से बाहर निकालने में अहम भूमिका निर्वहन करता है।
चित्रक
आयुर्वेद के अनुसार, यह दीपन (भूख बढ़ाने वाला) और पाचन(पाचन) गुणों के कारण पाचन तंत्र को बेहतर बनाने में मदद करता है। यह एथेरोस्क्लेरोसिस को प्रबंधित करने में भी मदद करता है क्योंकि यह धमनियों में वसायुक्त पदार्थों के जमाव को रोकता है और शरीर में रक्त के प्रवाह को बनाए रखता है।लेखनीय महाकषाय Lekhaniya Mahakashayaमे चित्रक का सबसे अधिक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। क्योंकि कफ के विशेष परमाणुओं को दीपन पाचन करके धमनियों के अंदर स्थित वसा को पिघलने और नवीन वसा निर्माण होने की प्रक्रिया को रोकने के लिए चित्रक ही यहां विशेष भूमिका निर्वहन कर रहा है।
करञ्ज वीज
कं जलं रंजयति इति करंज यानी जो अपने रंग से पानी को भी रंग दे वह करंज है। करंज के पत्ते कफ और वायु नाशक कृमि ववासीर तथा शोथ नाशक होता है। करञ्ज मल भेदक, कटु पाकी,उष्णविर्य,लघु तथा कुष्ठनाशक है। लेखनीय महाकषाय Lekhaniya Mahakashaya मे करंज मेद और शोथ नाशन के कार्य करता है।
हेमवती वच
हेमवती बच याददाश्त और बुद्धि को बढ़ाता है। यह पेट की पाचन शक्ति को बढ़ाता है। आयु को बढ़ाता है। यह शरीर में सुदृढ़ और शक्तिशाली वीर्य को बढ़ाता है। यह कफ, वात और भूत-प्रेत की बाधा को दूर करता है तथा पेट के कीड़ों को खत्म करता है। लेखनीय महाकषाय मे हेमवती वच इंसान के अग्नि धरा कला और मज्जा धातु के बीच संबंध को सुदृढ़ कर्ता है।
यह 10 जड़ी बूटियां (Lekhaniya Mahakashaya)लेखनीय महाकषाय के अंतर्गत आते है।
इन सभी प्रकार के जड़ी बूटियों का एक साथ विश्लेषण करने पर हम यह कह सकते हैं की संपूर्ण (Lekhaniya Mahakashaya)लेखनीय महाकषाय मैं प्रयोग किए हुए 10 जड़ी बूटियों में कुछ ऐसा विशेष गुण उत्पन्न होगा जोकि शरीर में क्लेद को नष्ट करते हुए दीपन पाचन शक्ति द्वारा तथा कुटकी के लेखनिय और सारक गुण अतिविशा के विसनाशक और नागर मोथा के शरीर से पसीना या मूत्र का आती प्रवृत्त करा कर शरीर के क्लेद को जबरदस्ती बाहर निकालने का अथक प्रयास समूचा रूप से Lekhaniya Mahakashaya)लेखनीय महाकषाय को एक कफ नाशक मोटापा को कम करने वाला विशेष करके कहे तो सभी प्रकार के वृद्धि कर्मों को रोक कर उसको हल्का करने के लिए बड़े सूझबूझ से बनाया है।
रक्त में आम की स्थिति ही Hyperlipidemia है।आम यानी आपके द्वारा किया हुआ भोजन का अपक्व रस जो धातुओं में प्रवेश कर जाता है और सभी धातुओं को कफ के मंद,शीत, गुरु आदि गुणों से प्रभावित करता है।
कोलेस्ट्रोल, ट्राइग्लिसराइड्स आदि Hyperlipidemia का ही हिस्सा है।
Hyperlipidemia जैसी समस्या पर रोगी को लघु आहार में रखना चाहिए साथ में कफ नाशक आयुर्वेदिक औषधियों का सेवन कराते हुए लंबे समय तक लेखनीय महाकषाय के द्रव्यों को गोमूत्र में सिद्ध करके रोगी को खिलाना चाहिए।
Fibroid भी आयुर्वेद के नजरिया से देखे तो एक प्रकार का गुल्म जैसा व्याधि है।Fibroid मैं भी लेखनीय महाकषाय का एस्ट्रेक अगर मिल जाता है तो लेखनीय महाकषाय Fibroid मैं अपने लेखन गुणों से Fibroid के गांठ को तोड़कर सफाई कर देता है।
PCOD का मतलब एलोपैथिक चिकित्सा विधि के नजरिया से देखें तो यह हारमोंसनल डिसबैलेंस है। मगर यदि आयुर्वेद ग्रंथों के आधार पर पीसीओडी के ऊपर विचार करते हैं तो यह भी असंतुलन आहार बिहार का ही परिणाम दिखता है।
लेखनीय महाकषाय यहां पर भी अपने विशेष लेखनिय गुणों से ओवरी मैं स्थित पीसीओडी के सिस्ट को तोड़ने का कार्य करता है। हालांकि पीसीओडी में ज्यादातर उत्तर बस्ती का प्रचलन है। मगर लेखनीय महाकषाय रसायन द्रव्य से शाधित पीछा बस्ती यहां अधिक लाभ दे सकता है। महिलाओं को पीसीओडी होने पर लेखनीय महाकषाय का काढ़ा बनाकर के भी दे सकते हैं।
रक्त में वसा ही ट्राइग्लिसराइड है। अन्न आहार के अपक्व रस ही रक्तमें जाकर ट्राइग्लिसराइड का रूप ले लेता है।
यहां भी लेखनीय महाकषाय पाउडर रुप मे लेनेसें उत्तम लाभ मिलता है।
यदि आप मोटापा से ग्रस्त हो शरीर में चर्बी ज्यादा बढ़ी हुई है तो आप लेखनीय महाकषाय के सूक्ष्म चूर्ण से शरीर पर घर्षण कर सकते हैं ।
वैसे ज्यादातर वैद्य मेदोहर क्रिया के लिए लेखनीय महाकषाय के 10 महाद्रव्यों से साधित सिद्ध तेल से शरीर में खूब मसाज करने के लिए बताते हैं।
मेदोरोग का इलाज
मेदोरोग मे आप सोथहर महाकषाय और लेखनीय महाकषाय दे सकते हैं।
[ High blood pressure का इलाज
High blood pressure को maintain करने के लिए आप
जिवनीय महाकषाय+लेखनीय महाकषाय+विरेचनोपग महाकषाय दे सकते हैं।
Pcod के लिए इलाज
यहां आप लेखनीय महाकषाय+भेदनीय महाकषाय+मूत्रविरजनीय महाकषाय दे सकते हैं।
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