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मिर्गी के कारण और उससे जुड़े अन्य रोग: आयुर्वेदिक दृष्टिकोण - ayushyogi

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मिर्गी (Epilepsy) का कारण केवल न्यूरोलॉजिकल समस्याएं नहीं हैं, बल्कि कई अन्य रोगों के साथ इसका गहरा संबंध हो सकता है। अक्सर बचपन में होने वाली कुछ समस्याएं आधुनिक चिकित्सा पद्धति से उसी वक्त ठीक तो हो जाते हैं लेकिन अंदर ही अंदर शारीरिक बदलाव होता जाता है रोग अपना स्वभाव और स्वरूप को परिवर्तन करता है और बढ़ती उम्र के साथ कुछ और समस्या के रूप में रोगी को परेशान करता है ऐसे बहुत सारे रोग हैं जिसका संबंध बाल्यावस्था के इस प्रकार के समस्याओं से जोड़कर देखा जा सकता है उसमें से मिर्गी भी एक है हालांकि आधुनिक शास्त्र इस बात को खंडन करता है।

आयुर्वेद में ऐसे 10-12 प्रमुख रोग बताए गए हैं, जिनकी तीव्र अवस्था (acute condition) में मिर्गी का दौरा हो सकता है। इस ब्लॉग में हम इन रोगों के कारण, लक्षण और आयुर्वेदिक उपचार के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे।

मिर्गी के मुख्य कारण

आयुर्वेद में मिर्गी को "अपस्मार" कहा गया है। इसके मुख्य कारण निम्नलिखित हो सकते हैं:  
1. त्रिदोष असंतुलन - वात, पित्त और कफ दोष का असंतुलन।  
2. अग्निमांद्य (पाचन शक्ति की कमजोरी) - दोषों का संचय मस्तिष्क में विकृति उत्पन्न करता है।  
3. मानसिक विकार - तनाव, चिंता, और अवसाद।  

 

यह प्रमुख तीन ऐसे कारण है जो अक्सर सभी रोगियों में दिखता है मगर इतना ही जानना हर रोगी और आयुर्वेद चिकित्सकों के लिए पर्याप्त नहीं है।

हमें आयुर्वेदिक ग्रथो में कुछ ऐसे प्रसंग पढ़ने को मिलता है जिसका डायरेक्ट संबंध epilepsy से तो नहीं है लेकिन उन रोगों का acute condition में अपस्मार{ epilepsy } यह लक्षण है।
इन रोगों से उत्पन्न epilepsy disease में सभी को एक समान लक्षण नहीं दिखता है हालांकि इस post में हम उन सभी के विषय में विस्तार से चर्चा करेंगे page के अंत तक बने रहिए।

 

मिर्गी से जुड़े अन्य रोग 

आइए इस विषय को विस्तार से जानने के लिए हम एक ऐसा Ayurvedic investigation tool का सहयोग प्राप्त करेंगे जहां से इन दिनों हजारों आयुर्वेद डॉक्टर Ayurvedic diagnosis के लिए विश्वास करते हैं।

इस बेहतरीन tool का नाम है AayushYogi Ayurveda investigation tool अनेक प्रकार के गंभीर बीमारियों के विषय में आयुर्वेदिक विषयक चिकित्सा से संबंधित जानकारी को प्राप्त करने के लिए इस tool का निर्माण किया गया है।

इस वीडियो में डायबिटीज के विषय में रिसर्च किया जा रहा है आप भी इसी प्रकार से अनेक रोगों का परीक्षण कर चिकित्सा पद्धति को प्राप्तकर सकते हैं।

Cause of epilepsy  के विषय में इसी website से जानकारी प्राप्त करते हैं तो सबसे पहले देखिए कौन सा रोग दिखता है|

Cause of epilepsy

search bar में epilepsy  लिखने से website में epilepsy  होने के पीछे कुछ कुछ रोगों का नाम बताया है जैसे आप देख पा रहे होंगे 

  •  १- श्रमजन्य श्वास रोग
  • २- कृमि 
  • ३- pneumonia 


Website इसी प्रकार से दूसरी भी रोगों को नीचे दिखा रहा है।
जिसकी जानकारी में एक-एक करके यहां आपको दे रहा हूं।

 

1. मिर्गी का कारण Cough कास रोग 
 

बचपन हो या जवानी कभी भी लंबे समय से यदि रोगी को कास रहता है तो उसमें  प्राण वायु से संबंधित समस्याओं के कारण मिर्गी रोग हो सकता है इससे संबंधित बाकी जानकारी आप वेबसाइट website से प्राप्त करें
Website का link यहां दिया जा रहा है इसमें click करें (Ayushyogi)

मिर्गी का कारण Cough कास रोग

2. पेट में कीड़े होने से मिर्गी होता है 

mirgi in english

बहुत सारे लोगों को पेट या brain में कीड़े होने पर भी या कीड़ी के अंडे से भी मिर्गी रोग होता है अक्सर गांव के वैद्य रोगियों के नाक में कुछ तेल डालते हैं उनका मानना है इससे मिर्गी कारक कीड़े निकल जाते है और रोग शांत होता है लेकिन सभी मिर्गी का कारण तो worm नहीं होता इसलिए सभी रोगी में यह चिकित्सा सही नहीं है।

3. मस्तिष्क ज्वर (Encephalitis): से epilepsy 
fever se mirgi rog  

में वैद्य द्रोणाचार्य हूं मेरे पास अधिकतर मिर्गी के ही रोगी आते हैं मेरे पास जितने भी रोगी आते हैं उनमें से अधिकतर लोगों को बचपन में बुखार आया हुआ रहता है और जब में उन में बुखार का चिकित्सा करता हूं तो उनका मिर्गी यह रोग जड़ से मिट जाता है।

 

4. स्वास रोग ( asthma) भी मिर्गी का कारण होता है

मिर्गी रोग क्यों होता है?

श्वास कास यह मिर्गी जैसे भयानक रोग का मूल कारण हो सकता है। यदि स्वास रोग मिर्गी का मूल कारण है । रोगी को बचपन में या अधिक उम्र तक asthama रोग हुआ है और डॉ श्वास रोग को दबाने के लिए कुछ-कुछ दवाई देते रहते हैं तो इस  परिणाम से रोगी को प्राण घातक मिर्गी रोग हो सकता है इसमें मिर्गी का नहीं आयुर्वेदिक पंचकर्म पद्धति से स्वास रोग का ही चिकित्सा विधिपूर्वक होना चाहिए साथ में मिर्गी के दौरा रोकने वाली भी कुछ उपाय होना चाहिए लेकिन संपूर्ण चिकित्सा स्वास रोग के अनुसार होना चाहिए।

 

5. Hyper acidity and epilepsy


 मिर्गी क्यों आती है?

Cause of epilepsy होने के पीछे अनेक कारणों में से एक कारण hyper acidity भी है। इसके विषय में अधिक जानकारी आप website से ही प्राप्त करें।

 

6- वातरक्त से भी मिर्गी रोग होता है

MirgiKaIlaj

शरीर में blood का pure होना बहुत जरूरी है । शरीर में अनेक कारणों से वातरक्त हो सकता है वातरक्त के संपूर्ण जानकारी आप वेबसाइट से प्राप्त करें और यह भी आप वहीं से जान सकते हैं कि वातरक्त जैसे रोग मिर्गी को कैसे तैयार कर सकता है और उसके क्या-क्या लक्षण और चिकित्सा हो सकते हैं


  7. पेट में दर्द का सम्वन्ध मिर्गी से

epilepsy kya he

कुछ epilepsy patient को हमेशा पेट में दर्द होता रहता है वह हमेशा epilepsy treatment and medicine ही खाता रहता है जबकि यह जानने का प्रयास नहीं करता कि उसके पेट में दर्द क्यों होती है और क्या इसका संबंध मिर्गी के साथ है मैंने एक ऐसा ही रोगी देखा था जिसमें आयुर्वेद ग्रंथ में वर्णित अन्नद्रवशूल का सभी लक्षण रोगी में दिख रहा था उसके साथ उसको कुछ वर्षों से मिर्गी का दौरा भी पड़ रहा था लेकिन मिर्गी दौरें का स्वरूप वैसा नहीं था जैसा ग्रंथ में बताया गया है मगर फिर भी डॉक्टर उसको सिर्फ मिर्गी का ही चिकित्सा कर रहे थे।

 

8- Mirgi ka Karan ulcer/abscess

Mirgi ka Karan ulcer

अक्सर brain में घाव होने से रक्त और प्राण का संचार में वाधा हो जाने के परिणाम स्वरूप लोगों को मिर्गी का दौरा आता है इसमें भी आयुर्वेदिक पद्धति से व्रण रोग का हीं चिकित्सा करनी चाहिए ना की सिंपल एपिलेप्सी का । आप आयुर्वेदिक ग्रंथों में देखिए व्रण रोग के acute condition में अपस्मार (epilepsy) बताया है।

आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से मिर्गी का उपचार 

तो यहां से हमने कुछ ऐसे रोगों को देखा जिसका संबंध मिर्गी के साथ रहता है । 
इसके अलावा और भी बहुत सारे रोग है जिसके कारण मिर्गी हो सकता है ।

ऐसे तमाम रोगों के बारे में संपूर्ण जानकारी आप वेबसाइट में जाकर प्राप्त कर सकते हैं।

 हम ने यह भी जाना इन अवस्थाओं में सिर्फ मिर्गी के चिकित्सा करने से कभी ठीक नहीं होता इस तरह के रोगों में ब्रेन में CT scan, MRI etc..  करने से कुछ दिखता भी नहीं है।

यहां उन लोगों का स्वतंत्र रूप से आयुर्वेदिक पद्धति द्वारा पंचकर्म विधि से चिकित्सा करनी चाहिए सिर्फ मिर्गी के लिए कुछ निद्रा कारक दवाई देने से कोई फायदा नहीं है।

 

   1. पंचकर्म चिकित्सा

सामान्य रूप से सभी प्रकार के समस्याओं में जिसके कारण से मिर्गी हो रहा है और वह लंबे समय से उस रोग से पीड़ित है तो पंचकर्म चिकित्सा बहुत जरूरी है।
 पंचकर्म के अनेक पद्धति चिकित्सा में अपनाई जाती है उनमें से योग्य पद्धति का अनुसरण करनी चाहिए।
 

  • - वमन: शरीर से विषाक्त पदार्थ निकालना।  
  • - बस्ति: वात दोष को संतुलित करना।  
  • - नस्य: नाक के माध्यम से औषधियों का प्रयोग।  

  2. औषधियां  

औषधि के लिए संबंधित रोग के दवाई के अलावा आप मस्तिष्क को संतुलित रखने वाले ऐसे कुछ दवाइयां दे सकते हैं जैसे

  • - ब्रह्मि: मस्तिष्क की शक्ति बढ़ाती है।  
  • - वचा: दौरे को रोकने में सहायक।  
  • - शंखपुष्पी: मानसिक तनाव को कम करती है।  
  • - अश्वगंधा: नसों को मजबूत करती है।  

  3. आहार और जीवनशैली
 
- आहार: ताजा, सुपाच्य और संतुलित भोजन करें।  


- योग और ध्यान:

मानसिक शांति और संतुलन के लिए योगासन और ध्यान करें।  


- परहेज:

परहेज में तो जिस रोग से  मिर्गी का दौरा आ रहा है उस रोग से संबंधित परहेज जो वेबसाइट ने बताया है का अनुपालन करना चाहिए।

अत्यधिक मसालेदार भोजन और शराब का सेवन न करें।  

निष्कर्ष

मिर्गी का उपचार केवल दवाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से इसे गहराई से समझना आवश्यक है। मिर्गी के साथ जुड़े अन्य रोगों को पहचानकर और उनका सही उपचार करके इस समस्या को जड़ से समाप्त किया जा सकता है। यदि आप मिर्गी से संबंधित अधिक जानकारी या उपचार के लिए मार्गदर्शन चाहते हैं, तो हमारी वेबसाइट ayushyogi पर संपर्क करें।  

मिर्गी और आयुर्वेदिक उपचार से जुड़े सामान्य प्रश्न (FAQs)

 

Q1: आयुर्वेद के अनुसार मिर्गी के मुख्य कारण क्या हैं?

उत्तर: आयुर्वेद के अनुसार, मिर्गी (अपस्मार) का मुख्य कारण त्रिदोष (वात, पित्त, और कफ) का असंतुलन है। इसके अलावा, पाचन शक्ति की कमजोरी (अग्निमांद्य), मानसिक तनाव, और उच्च रक्तचाप, सिर की चोट या मस्तिष्क विकार जैसे अन्य रोग भी इसके कारण हो सकते हैं।  

Q2: क्या मिर्गी का आयुर्वेदिक इलाज संभव है?  

उत्तर: आयुर्वेद मिर्गी के प्रबंधन के लिए पंचकर्म चिकित्सा, जड़ी-बूटियों (जैसे ब्राह्मी और अश्वगंधा) और जीवनशैली में बदलाव के holistic समाधान प्रदान करता है। लगातार उपचार से मिर्गी के दौरे की आवृत्ति और गंभीरता में काफी कमी लाई जा सकती है।  


Q3: आयुर्वेद में मिर्गी से जुड़े कौन-कौन से रोग बताए गए हैं? 

उत्तर: आयुर्वेद में उच्च रक्तचाप, मधुमेह, मस्तिष्क ज्वर (एन्सेफलाइटिस), अवसाद, अनिद्रा, मस्तिष्क ट्यूमर और जन्मजात विकार जैसे रोगों को मिर्गी से संबंधित बताया गया है। इन बीमारियों के इलाज से मिर्गी को प्रभावी रूप से प्रबंधित किया जा सकता है।  

Q4: मिर्गी के इलाज में पंचकर्म का क्या महत्व है?

उत्तर: पंचकर्म चिकित्सा जैसे वमन (उल्टी), बस्ति (एनिमा) और नस्य (नाक के माध्यम से औषधि) शरीर को विषमुक्त करने, दोषों को संतुलित करने और मस्तिष्क की कार्यक्षमता में सुधार करने में मदद करते हैं।  

Q5: मिर्गी के लिए आयुर्वेद में कौन से आहार की सलाह दी जाती है?

उत्तर: आयुर्वेद में ताजा, सुपाच्य और संतुलित भोजन लेने की सलाह दी जाती है। मसालेदार, तैलीय और प्रोसेस्ड फूड से बचें। बादाम, घी और हर्बल चाय जैसे मस्तिष्क पोषण वाले खाद्य पदार्थ शामिल करें।  

Q6: क्या तनाव मिर्गी को बढ़ा सकता है? आयुर्वेद इसमें कैसे मदद करता है? 

उत्तर: हां, तनाव मिर्गी का एक बड़ा कारण है। आयुर्वेद तनाव प्रबंधन के लिए ध्यान, योग, शंखपुष्पी जैसी जड़ी-बूटियों और अभ्यंग (तेल मालिश) जैसे उपचार प्रदान करता है, जो तंत्रिका तंत्र को शांत करते हैं।  

 Q7: क्या नींद और मिर्गी के बीच कोई संबंध है?

उत्तर: हां, नींद की कमी या अनिद्रा मिर्गी के दौरे का एक सामान्य कारण है। आयुर्वेद नींद की गुणवत्ता में सुधार के लिए ब्राह्मी चाय और उचित जीवनशैली अपनाने की सलाह देता है।  

Q8: मिर्गी के लिए सबसे अच्छी आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां कौन सी हैं?

उत्तर: आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों में ब्राह्मी, वचा, शंखपुष्पी, जटामांसी और अश्वगंधा मस्तिष्क स्वास्थ्य को सुधारने, तनाव कम करने और दौरे को नियंत्रित करने में प्रभावी हैं।  

Q9: क्या मिर्गी अनुवांशिक हो सकती है? आयुर्वेद में इसका क्या उपचार है? 

उत्तर: हां, मिर्गी कभी-कभी अनुवांशिक हो सकती है। आयुर्वेद दोषों को संतुलित करने, शरीर को विषमुक्त करने और तंत्रिका तंत्र को मजबूत करने पर जोर देता है, जिससे अनुवांशिक कारकों का प्रभाव कम किया जा सकता है।  

Q10: क्या मिर्गी का आयुर्वेदिक इलाज बच्चों के लिए सुरक्षित है?
 
उत्तर: आयुर्वेदिक उपचार, जिनमें हल्की जड़ी-बूटियां और थेरेपी शामिल हैं, आमतौर पर बच्चों के लिए सुरक्षित होते हैं। हालांकि, व्यक्तिगत उपचार के लिए किसी योग्य आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श करना आवश्यक है।  
 

 

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