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व्याधिक्षमत्व बढ़ाने वाली बल्य महाकषाय |  Balya Mahakashaya use & benefits in hindi |

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What is Balya Mahakashaya:-बल्य महाकषाय क्या है और बल्य महाकषाय कहां use होता है। बल्य महाकषाय किन किन परिस्थितियों में दिया जा सकता है।  Balya Mahakashaya  में डाले जाने वाले जड़ी बूटियों का नाम और इस का विस्तृत आयुर्वेदिक गुणधर्म विवेचन इन सभी ज्ञानवर्धक विषयों को लेकर हम आपके सामने उपस्थित है। आज हम  Balya Mahakashaya  से संबंध रखने वाले सभी प्रकार के आयुर्वेदिक ग्रंथकार आचार्यों द्वारा प्रतिपादित विचारों के ऊपर विमर्श करेंगे ।

बल्य महाकषाय क्या है । What is Balya Mahakashaya ?

Balya Mahakashaya नाम से ही स्पष्ट होता है कि इस में डाले जाने वाले जड़ी बूटियां जरूर बल प्रदान करता होगा। अब यह भी जानना जरूरी है कि बल है क्या इसकी कहां कहां जरूरत होती है किन किन रूपों में शरीर बल की चाह रखता है।
इन सवालों का यदि सही जवाब मिले तो हमें यह पता चल जाएगा की  Balya Mahakashaya को चरक संहिता ग्रंथकारने वास्तव में क्यों परिकल्पना किया होगा।


बल्य महाकषाय मैं बल क्या है। Balya meaning in Ayurveda?

Balya Mahakashaya के ऊपर चर्चा करते हुए आयुर्वेद विशेषज्ञों द्वारा कुछ बातें मुझे सुनने को मिला अच्छा लगा इसीलिए इस पोस्ट में लिख रहा हूं।
शरीर में वास्तविक बल का मतलब टिशू लेवल में धारणा शक्ति की मजबूती होना बताया जाता है। वैसे तो प्रोटीन ही बल का आधार है फिर क्या ग्रंथकार प्रोटीन की आवश्यकता की पूर्ति की कामना हेतु  Balya Mahakashaya की व्याख्यान कर रहे हैं?
इसका जवाब कुछ मिलाजुला हो सकता है यह निश्चित है कि प्रोटीन ही बल का मुख्य आधार है। प्रोटीन कफ वर्गीय होता है लेकिन ग्रंथकार सिर्फ ताकत को बढ़ाना ही बल है ऐसा नहीं मानते अगर ग्रंथ कारों की विचारों को समझने का प्रयास करे तो ख्याल आता है कि शरीर में जो अन्न आहार के परमाणु बल और मेधा दोनों का निर्माण करें वह वास्तव में बल होता है। धारणा शक्ति ही वह बल है जो स्थाई रूप से शरीर का संरक्षण करता है। आज हम इसी शारीरिक बल और धारणा शक्ति के बीच होने वाली सामंजस्यता से प्राप्त बल रुपी आत्मीक उर्जा के ऊपर चर्चा करेंगे।

Balya Mahakashaya की मुख्य बातें।

  1. मांस और रक्त धातु और ग्रहणी में धारणा शक्ति को बढ़ाता है Balya Mahakashaya
  2. Hiv मे Balya Mahakashaya देना चाहिए।
  3. अस्थि धातु को वल देता है Balya Mahakashaya
  4. रूमेटाइड अर्थराइटिस मैं Balya Mahakashaya देना चाहिए ।
  5. सोरायसिस में Balya Mahakashaya देना चाहिए।
  6. व्याधिक्षमत्व वृद्धि के लिए  Balya Mahakashaya देना चाहिए ।

Balya Mahakashaya की आयुर्वेदिक जड़ी बूटियां। Ayurvedic tonic balya kalpa

ब्राह्मी,शतावरी,मासपर्णी,विदारीकंद,अश्वगंधा,सालपर्णी,रोहिणी,बला,अतिवला

 

बल्य महाकषाय की जड़ी बूटियों का आयुर्वेदिक गुणधर्म।

यहां हम बल्य महाकषाय अंतर्गत आने वाली 10 प्रकार के जड़ी बूटियों का नाम सहित उसके आयुर्वेदिक गुणधर्म के ऊपर विचार करने जा रहे हैं।

ब्राह्मी

 बल्य महाकषाय का सबसे पहला जड़ी बूटी है ब्राह्मी। याद रखिए बल सिर्फ शरीर का ही नहीं बल्कि मन और बुद्धि मे भी होनी चाहिए कोई आदमी बुद्धि और मन से बलवान नहीं है तो शरीर का बल किसी काम का नहीं होता इसीलिए बल्य महाकषाय के रूप में ब्राह्मी को सर्वोपरि महत्व दिया गया है।
देखिए जरा- ब्राह्मी के विषय में ग्रंथकार क्या लिखते हैं।
 ब्राह्मी हिमा सरा तिक्ता लधुर्मेध्या च शीतला। कषाया मधुरा स्वादुपाकाऽऽयुष्या रसायनी॥ स्वर्या स्मृतिप्रदा कुष्ठपाण्डुमेहाम्रकासजित्। विषशोथज्वरहरी……
ब्राह्मी कषाय, मधुर, तिक्त, शीत, लघु, कफवातशामक, आयुवर्धक, बुद्धिवर्धक, रसायन, स्वरवर्धक, वय:स्थापक, दीपन, सर, स्मृतिवर्धक, प्रजास्थापन, कंठशोधक तथा हृद्य होती है। यह कुष्ठ, पाण्डु, प्रमेह, शोथ, विष, ज्वर, कण्डू, प्लीहा रोग, अरुचि, श्वास, कास, मोह, उन्माद, हृदय रोग, अग्निमांद्य, विबन्ध, दौर्बल्य एवं वातरक्त नाशक होती है। इसका पञ्चाङ्ग,प्रशामक, पेशी शैथिल्य कारक, उद् बेस्ट रोधी, कर्कटार्बुदरोधी, वेदनाशामक, स्तम्भक, हृदयबलकारक, मूत्रल, मस्तिष्क बलकारक, विरेचक, वातानुलोमक, पाचन, शोथरोधी होता है। बल्य महाकषाय के रूप में कड्वा व्राह्मी इन्हीं गुणों के बदौलत व्यक्ति के शरीर में बल को देने का कार्य करेगा बल्य महाकषाय मैं यह एक ऐसा औषधि जो कि मस्तिष्क के मज्जा  धातु को बल देकर स्मरण शक्ति को बलवान करने का कार्य करेगा यह बल्य महाकषाय होकर हृदय को भी बल प्रदान करता है।
 कौंच बीज
कौंच के बीज पौष्टिक, उत्तेजक, वाजीकरण एवं वातशामक होते हैं। इसके बीजों की मज्जा का चूर्ण या पाक (वानरीवटिका) आदि बनाकर वाजीकरण के प्रयोग किया जाता है। प्राय: वाजीकरण के प्रत्येक योग में इसका उपयोग किया जाता है। कम्पवात तथा अवसाद में लाभ होता है। कौंच बल्य महाकषाय के रूप में वाजीकर तथा शरीर के नर्व सिस्टम में बल देने के लिए Balya Mahakashaya   मे रखा गया है ।

शतावरी 

शतावरी का रस मधुर और तिक्त,  गुण में यह गुरु और स्निग्ध 
शतावरी शीत वीर्य और विपाक में मधुर गुण धर्म की होती है |शुक्रजनन, शीतल , मधुर , कटु , चिकनी , शीतल , पौष्टिक , वीर्यवर्ध्दक , बलकारक , नवयौवन प्रदायक, एवं दिव्य रसायन माना गया है। शतावरी पुरुषों के काफी काम आती है लेकिन महिलाओं के लिए ये किसी वरदान से कम नहीं है। यह स्त्रियों के गर्भाशय शक्ति प्रदान करती है और माता के स्तनों में दूध बढ़ाती है । यह मस्तिष्क , नेत्र , ह्रदय , नाड़ी आदि के समस्त रोगों को दूर करके उन्हें शक्ति प्रदान करती है ।आधुनिक शोध भी शतावरी की जड़ को हृदय रोगों में प्रभावी मान चुके हैं। शतावरी घाव भरने में मदद करती है। शतावरी में मौजूद सल्फोराफेन कैंसर को रोकने में मदद करता है।यह एक प्राकृतिक मूत्रवर्धक है। शतावरी भी स्त्री बल प्रदायक बल्य महाकषाय में प्रयोग किया गया है। 

मासपर्णी 

माषपर्णी तिक्त, मधुर, शीत, रूक्ष, वातपित्तशामक, कफवर्धक, ग्राही, वृष्य, बलकारक, पुष्टिवर्धक, बृंहण, स्तन्यकारक, केशों के लिए हितकर, जीवनीय तथा शुक्रजनन होती है।
यह शोष, ज्वर, रक्तदोष, रक्तपित्त, वातरोग, क्षय, कास तथा दाहनाशक होती है।
इसका फल तिक्त, शीत, स्वादु, वाजीकर, कषाय, ज्वरघ्न तथा स्तन्यवर्धक होता है।
यह शोथ, पित्ताधिक्य, रक्तविकार, वातरक्त, त्रिदोषजज्वर, श्वसनिकाशोथ, तृष्णा, दाह, पक्षाघात, आमवात तथा तंत्रिकातंत्र विकार शामक होता है।

कौंच वीज

गुण (गुण) - गुरु (पचाने में भारी), स्निग्धा (बिखरा हुआ, तैलीय) रस (स्वाद) - मधुरा - मीठा, तिक्त - कड़वा विपाक - पाचन के बाद मधुर स्वाद रूपांतरण वीर्य - गर्म शक्ति प्रभाव - विशेष प्रभाव - वृष्य - कामोत्तेजक

इसका उपयोग कामोत्तेजक से लेकर तंत्रिका संबंधी स्थितियों तक फैला हुआ है। इसका अर्क - एल-डोपा का व्यापक रूप से पार्किंसंस रोग के उपचार में उपयोग किया जाता है।
यह व्यापक रूप से यौन और तंत्रिका संबंधी विकारों के इलाज में प्रयोग किया जाता है।नर्वस सिस्टम में धारणा शक्ति को बनाए रखने के लिए कौंच वीज अतीउपयोगी आयुर्वेदिक दवाई है।

विदारीकंद 

विदारीकंद मधुर, स्निग्ध, शीतल, शुक्रवर्धक, स्तन्यवर्धक, वृंहण, मूत्रल, बलकारक, वर्ण्य, वाजीकर, दाह प्रशमन एवं रसायन है।
यह मृदु स्नेहक, रेचक, वामक, हृद्य, परिवर्तक, निसारक एवं ज्वरघ्न है।
इसके कंद तथा पुष्प में वाजीकारक गुण देखा गया है।विदारीकंद आयुर्वेद की एक कायाकल्प औषधि है। यह मुख्य रूप से प्रजनन (reproductive) टॉनिक के रूप में उपयोग किया जाता है जो महिलाओं के लिए मासिक धर्म संबंधी विकार, रजोनिवृत्ति सिंड्रोम (menopause syndrome) और गर्भाशय की कमजोरी (uterus weakness) का इलाज करता है। यह शीतल, पौष्टिक है। यह कमजोरी को दूर करता है।
यह उद्वेष्टनरोधी, अल्पशर्कराकारक, शोथहर, ओइस्ट्रोजनजनक, प्रोजेस्ट्रानजनक एवं गर्भरोपणरोधी क्रियाशीलता प्रदर्शित करता है।

अश्वगंधा

अश्वगन्धाऽनिलश्लेष्मश्वित्रशोथक्षयापहा। बलकारका रसायनी तिक्ता कषायोष्णाऽतिशुक्रला।। 
अश्वगन्धा कषायोष्णा तिक्तावातकफापहा। विषव्रणक्षयान् हन्ति कान्तिवीर्यब्वलप्रदा॥ अश्वगन्धा कटूष्णा स्यात्तिक्ता च मदगन्धिका। बलकारका वातहरा हन्ति कासश्वासक्षयवणान्॥
अश्वागन्धाऽनिलश्लेष्मश्वित्रशोथक्षयापहा। बलकारका रसायनी तिक्ता कषायोष्णाऽतिशुक्रला।।
अर्थात अश्वगंधा कफ वातशामक, बलकारक, बृंहण, रसायन, वाजीकरण नाड़ी-बलकारक, दीपन, पुष्टिकारक, शुक्र कारक, धातु वर्धक पाचक होता है। अश्वगंधा के फल एवं बीज मूत्रल तथा निद्राकारक होते हैं।
अश्वगंधा की मूल मूत्रल, स्वेदक, रोग प्रतिरोधक क्षमता नियामक (Immunomodulator), तनावरोधी, प्रशामक, वाजीकारक तीक्ष्ण, तिक्त. आर्तववर्धक; श्वित्र, विबन्ध, अनिद्रा, मानसिक विकार, दौर्बल्य, श्रम, तनावजन्य विकार, जलशोफ, अजीर्ण, हिक्का संधिशूल, फुफ्फुसशोथ तथा उन्माद नाशक होती है।

 सालपर्णी

शालपर्णी तिक्त, मधुर, उष्ण, गुरु, त्रिदोषशामक, रसायन, वृष्य, बृंहण, विषघ्न, धातुवर्धक, स्नेहोपग तथा शोथहर होती है।
यह छर्दि, ज्वर, श्वास, अतिसार, शोष, अंगमर्द, गुल्म, क्षत, कास, कृमि, विषमज्वर, प्रमेह, अर्श, शोफ तथा संताप-नाशक होती है।
इसका पञ्चाङ्ग ज्वरघ्न, पाचक, तिक्त तथा बलकारक होता है।
इसकी मूल ज्वरघ्न, प्रतिश्यायहर, वाजीकर, कृमिघ्न, स्तम्भक, मूत्रल तथा कफनिसारक होती है।

रोहिणी 

रोहिणी मधुर, तिक्त, कषाय, कटु, शीत, लघु, रूक्ष, त्रिदोषशामक, वृष्य, सर, रुचिकारक, कण्ठशोधक, ग्राही, वर्ण्य, रसायन, बलकारक तथा भग्नसंधानकारक होती है। यह कास, श्वास, कृमि, संग्रहणी, दाह, मेदोरोग, योनिदोष व्रण तथा रक्तपित्त-नाशक है।

वला 

चारों प्रकार की बला शीतवीर्य, मधुर रसयुक्त, बलकारक, कान्तिवर्द्धक, स्निग्ध एवं ग्राही तथा वात रक्त पित्त, रक्त विकार और व्रण (घाव) को दूर करने वाली होती है।अपने गुणों के कारण यह शारीरिक दुर्बलता, यौन शक्ति की कमी, प्रमेह, शुक्रमेह, रक्तपित्त, प्रदर, व्रण, मूत्रातिसार, सोजाक, उपदंश, हृदय दौर्बल्य, कृशता (दुबलापन), वात प्रकोप के कारण गृध्रसी, सिर दर्द, अर्दित, अर्धांग आदि वात विकारों को दूर करने के लिए उपयोगी सिद्ध होती है।

अतिवला 

आयुर्वेदिक मत से कंघी यानी अतिवला- कड़वी, चरपरी और वात, किडे, जलन, तृषा, जहर, उल्टी और कलेद(पसीना) को शांत करने वाली है। यह वीर्यवर्धक, बलकारक, अवस्थास्थापक,  वातपित्त नाशक और मूत्र रोगों को दूर करने वाला है।

बल्य महाकषाय कहां प्रयोग कर सकते हैं।

मांस और रक्त धातु और ग्रहणी में धारणा शक्ति को बढ़ाता है बल्य महाकषाय।

बल्य महाकषाय मांस और रक्त धातु सहित ग्रहणी मैं धारण शक्ति को बढ़ाता है। धारणा शक्ति की कमी से ही टिशु लेवल में कई प्रकार के व्याधि उत्पन्न होते हैं।
धारणा शक्ति का मतलब मांस रक्त और intestinal part मैं वह प्राकृतिक शक्ति जिसकी वजह से वह शरीर को मजबूत रखता है और साथ में अपना काम मजबूती से करता है संग्रहणी यह व्याधि intestinal part मैं जब मलको रोकने की शक्ति कमजोर पड़ जाती है तो होता है।
मांस धातु में यदि धारणा शक्ति की कमी हो तो जो मांस धातु का प्राकृतिक कार्य है जैसे शरीर कुपोषण देना, मेद धातु एवं मल को भी पोषण देना शरीर में हड्डियों के ऊपर लेपन कार्य संपादन करना अस्थि धातु का प्राकृतिक कार्य है। यदि मांस धातु में धारण शक्ति नहीं रहा तो वह हड्डियों को मजबूती प्रदान नहीं कर सकता। ऐसे में बल्य महाकषाय मांस धातु में धारण शक्ति को बढ़ाने का कार्य करेगा। इसी तरह से रक्त धातु जो सभी प्रकार के धातुओं का क्षयवृद्धी होने में मुख्य भूमिका अदा करता है धातुओं का पूरण करता है शरीर में वर्ण का प्रसाधन करता है, प्राणियों के बल वर्ण सुख आयु का जो मूल है।ऐसे में रक्त धातु में किसी कारणवश धारणा शक्ति की कमी होने का मतलब इन सभी अवस्थाओं में कमजोरी होना है यहां पर भी बल्य महाकषाय यकीनन रक्त में धारणा शक्ति को बढ़ाएगा। यानी Balya Mahakashaya  हर धातुओं में नवीन जीवन का संचार करेगा ‌।


Hiv एड्स मे Balya Mahakashaya  देना चाहिए।

अव हम इस धारणा शक्ति के संदर्भ में सटीक से समझने हेतु एक और व्याधि के ऊपर चर्चा करेंगे ताकि आपको बल्य महाकषाय की गामित्व शक्ति और धारणा शक्ति का उदाहरण समझ में आएगा।
Hiv एड्स में क्या होता है इसको जरा ध्यान से समझते हैं ।
एचआईवी एड्स मैं एक ऐसा संक्रमण जो शरीर में किसी कारणवश प्रवेश करता है और सीधा रक्त धातु में जाकर हमला बोल देता है एचआईवी एड्स के संक्रमण ब्लड के कार्य प्रणाली को धीमा कर देता है इतना धीमा की रक्त में जो ओज है वह ही नष्ट हो जाए। रक्त ही शरीर में इम्यून सिस्टम को निर्धारित करता है एचआईवी एड्स का संक्रमण उसी ऑटो इम्यून सिस्टम को रोकने का कार्य करता है या उसको खाना शुरू कर देता है। इसको यदि सहज भाषा में कहा जाए तो हम रक्त धातु की धारणा शक्ति को कमजोर कर रहा है ऐसा कह सकते हैं।
आयुर्वेद के अनुसार एड्स एक "प्रोग्रेसिव वेस्टिंग रोग" (धीरे-धीरे शरीर को खत्म करने वाला रोग) है जो कि शरीर में आठवे धातु ओजस को खत्म करने लगता है। ओजस धातु को शरीर के सभी धातुओं का मूलतत्‍व कहा जाता है क्‍योंकि यह सभी धातुओं के उत्‍कृष्‍ट हिस्‍से से बना है और ये प्रतिरक्षा प्रणाली को सहयोग प्रदान करता है। ओजस धातु के क्षतिग्रस्‍त और कम होने पर शरीर की प्रतिरक्षा संरचना कमजोर पड़ने लगती है और ऐसे में शरीर पर कई संक्रमणों और बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। 

अस्थि धातु को वल देता है बल्य महाकषाय ।

अभी हमने मांस धातु में भी बल्य महाकषाय मांस धातु की धारणा शक्ति को बढ़ाने की वात किए थे। यदि मांस धातु कमजोर होगा तो निश्चित है कि यह अस्थि धातु को भी प्रभावित करेगा। यदि ऐसा होगा तो बल्य महाकषाय देकर उस अस्थि को बल दे सकते हैं।

रूमेटाइड अर्थराइटिस मैं बल्य महाकषाय देना चाहिए ।

रूमेटाइड अर्थराइटिस क्या है इसको जानते ही हमें बल्य महाकषाय यहां क्यों काम करेगा यह समझ में आएगा देखें रूमेटाइड अर्थराइटिस यह एक ऐसी स्थिति है, जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली अपने ही शरीर के ऊतकों पर हमला करने लग जाती है। रुमेटाइड आर्थराइटिस जोड़ों की परतों को नुकसान पहुंचाता है, जिस कारण से उनमें दर्द और सूजन होने लग जाती है।
 और अंत में इसके परिणामस्वरूप हड्डियां घिसना या जोड़ों में विकृति होने जैसी समस्याएं खड़ी हो जाती हैं। रूमेटाइड आर्थराइटिस से जुड़ी सूजन शरीर के अन्य भागों को भी नुकसान पहुंचा सकती है। गंभीर रुमेटाइड अर्थराइटिस के कारण शारीरिक विकलांगता जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं।
रूमेटाइड अर्थराइटिस के इन उपलक्षणों को समझकर लगता है यहां भी उतकों मे धारणा शक्ति की कमी ही इस व्याधि का मुख्य कारण दिखता है इसीलिए पूर्वरूप, रूप,निदान और संप्राप्त्ति आदि विचार करके बल्य महाकषाय क्या जाए तो इस व्याधि में निश्चित आराम मिलेगा।


 सोरायसिस में बल्य महाकषाय देना चाहिए।

सोरायसिस यह शरीर से जुड़ी ऑटोइम्यून बीमारी है, इसमें कोशिकाएं अधिक जमने लगती है. सोरायसिस रोग तभी होता है, जब रोग प्रतिरोधक तंत्र स्वस्थ कोशिकाओं पर हमला करता है. इससे त्वचा की कई कोशिकाएं बढ़ जाती है। इन सभी से एक बात समझ में आती है की ऑटो इम्यून सिस्टम जिसे व्याधिक्षमत्व बोल सकते हैं को मेंटेन करता है बल्य महाकषाय । यानी जब भी कभी व्याधिक्षमत्व बढ़ाने से संबंधित जिक्र होगा जब भी कभी शरीर के ऑटो इम्यून सिस्टम को मेंटेन करने की बात आएगी तो बल्य महाकषाय वहां जरूर स्मरण में आनी चाहिए।

व्याधिक्षमत्व वृद्धि के लिए बल्य महाकषाय देना चाहिए ।

कुल मिलाकर बल्य महाकषाय शरीर में व्याधिक्षमत्व को बढ़ाने का काम करता है। जिस व्याधिक्षमत्व यानी ऑटो इम्यून सिस्टम एक कमी से कई सारे गंभीर व्याधि शरीर में उत्पन्न होते हैं जो शरीर के बल और वर्ण को नष्ट करता है चाहे वह डायबिटीज हो चाय सोरायसिस हो हर तरह के व्याधि में व्याधिक्षमत्व की कमी ही लिखती है इन सभी समस्याओं में हमें बल्य महाकषाय देना चाहिए

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