50th'Charak Mahakasaya;- इस आर्टिकल में हम हृद्य महाकषाय,कृमीघ्न महाकषाय ,तृप्तिघ्न महाकषाय ,अर्शोघ्न महाकषाय, कुष्ठघ्न महाकषाय और कण्डुघ्न महाकषायको विस्तार से समझने जा रहे हैं। हृद्य महाकषाय सभी प्रकार के मस्तिष्क और हृदय से जुड़े हुए व्याधियों में बेहतर काम करता है ऐसे ही कोशिकाओं को दीपन कर्म करके उसके अंदर भूख को बढ़ाने वाली तृप्तिघ्न महाकषाय, बवासीर को जड़ से नष्ट करने वाली अर्शोघ्न महाकषाय, संपूर्ण त्वचा विकार को नष्ट करने वाली कुष्ठघ्न महाकषाय, खुजली पामा, विचर्चिका फोड़े फुंसी आदियोंयों को ठीक करने वाली कण्डुघ्न महाकषाय, सभी प्रकार के पेट के कीड़ों को नष्ट करने वाली कृमिघ्न महाकषाय के उपर विस्तार से चर्चा करेंगे।
चरक महाकषाय के द्वितीय वर्ग मे चार महाकषाय के बारे में वर्णन किया गया है उन में से सबसे अंतिम वाला महाकषाय है हृद्य महाकषाय।
हृद्य महाकषाय मैं जितनी भी जड़ी बूटीयां है वह तकरीबन सभी कषाय रस प्रधान है। कषाय रस वायु और पृथ्वी महाभूतों से निस्पन्न है। रुक्ष शीत और लघु गुणों से युक्त है। इसके अतिरिक्त कषाय रस विशद और विष्टम्भी गुण भी इसमें होता है। गुणों के कारण यह वात वर्धक होता है। कफ तो यह इनडायरेक्टली रूप से वायु को बढ़ाकर कम करता है साथ में रुक्ष गुण होने की वजह से भी कफ के परमाणुओं को जरूर तोड़ता है मगर शीत और स्तंभन गुणों के कारण कभी-कभी कफ प्रकृति वालों को यह दुख भी देता है। फिर भी कुल मिलाकर यह पित्त और कफ के लिए शामक कर्म करने वाला रस है। कषाय रस में शीत और स्तंभन गुण भी रहता है।
आम के छाल,आमडा़,बडहल,करोंदा,कोकम,अम्लवेत,छोटी वैर,वडी़ वैर,दाडीम,जम्वु निम्व 10 औषधियों को हृद्य महाकषाय के नाम से जाना जाता है।
चरक महाकषाय के तृतीय वर्ग का पहला महाकषाय है तृप्तिघ्न महाकषाय triptighna mahakashaya। चरक संहिता में वर्णित तृप्तिघ्न महाकषाय triptighna mahakashaya ऊपर यदि विश्लेषण किया जाए या कहें नवीन स्तर से रिसर्च किया जाए तो यकीनन बहुत सारे बड़े बड़े ब्याधियों में तृप्तिघ्न महाकषाय triptighna mahakashaya बेहतर साबित हो सकता है। triptighna mahakashaya मे तृप्ति का अर्थ होता है तृप्त होना या संतुष्ट होना आपको अंदाज लगा सकते हैं यदि आपको भूख लगी है लेकिन भोजन करने का मन नहीं है तो यह मन का तृप्ति कह सकते हैं। यही क्रियाएं जब धातुओं जाकर होने लगे तो बहुत सारे व्याधि शुरू होने में देरी नहीं लगती।
आप मधुमेह को ही ले लो यहां भी तो वही हो रहा है ब्लड सेल जो अग्नि का प्रतीक है वह खुद को तृप्त होने का महसूस करता है ऐसे में वह ग्लूकोज को एक्सेप्ट नहीं करता। यदि ग्लूकोज सेल के अंदर नहीं जाता तो ग्लाइकोजन में कैसे कन्वर्जन हो सकता है। पैसे ना होने पर शरीर में या रक्त कोशिकाओं में एनर्जी नहीं बन पाता क्योंकि एनर्जी का मुख्य कारण ही ग्लूकोज है। तृप्तिघ्न महाकषाय यहां रक्त कोशिकाओं के अंदर भूख को बढ़ाएगा यदि किसी में झूठ मूठ का भूख लगा रहता है यानी भूख तो लगती है लेकिन भोजन करने का मन नहीं करता यहां भी triptighna mahakashaya बहुत उत्तम कार्य करेगा।
मधुमेह होने पर triptighna mahakashaya और दीपनीय महाकषाय इन दोनों के जड़ी बूटियों को मिलाकर दे सकते हैं।
triptighna mahakashaya के सभी जड़ी बूटियां मुख्य रूप से दीपन पाचन करने वाले तथा शरीर में पाचक अग्नि को उत्सर्जित करने वाले। कटु रस प्रधान आयुर्वेदिक औषधियां है।
Arshoghna mahakashaya भी चरक संहिता का उत्तम आयुर्वेदिक कंपोजीशन है। Arshoghna mahakashaya बवासीर में बेहतर काम करता है लोग सिर्फ इतना ही समझते हैं मगर यदि अंशांश कल्पना किया जाए तो Arshoghna mahakashaya सभी प्रकार के कील,मस्से, यहां तक कि यह हर प्रकार के लिपोमा आदि जिसमें गांठे दिखते हैं वहां भी प्रयोग कर सकते हैं। एक बार इस Arshoghna mahakashaya आयुर्वेदिक जड़ी बूटीयों के ऊपर निगाह मार कर देख लो।
Arshoghna mahakashaya की 10 जड़ी बूटियों का नाम।
कुटज,बिल्व,चित्रक,सोंठ, अतिविशा, हरण, दारूहल्दी, बच, चव्य और धमासा।
यह सभी तिक्त और रुक्ष रस वाले द्रव्य है। यह शरीर में जहां-जहां धातु और मलों का अति संधान कार्य हो रखा है उसको तोड़ने का कार्य करेगा साथ में अग्नि वर्धक गुणों से पित्त को बढ़ाकर अपान क्षेत्रगत बवासीर जैसे व्याधि में सुख देने का कार्य भी करेगा।
Arshoghna mahakashaya कहां-कहां दे सकते हैं।
बाबासीर का इलाज
वर्ण्य महाकषाय, अर्शोघ्न महाकषाय,दाहप्रशमन महाकषाय इन तीनों में से उन औषधियों को जो रोगी के मिलाकर देने से बवासीर जड़ से नष्ट हो जाता है।
Kusthagna mahakasaya ; आज हम आधुनिक परिप्रेक्ष्य में भी आयुर्वेदिक चिकित्सा क्षेत्रों में काफी कुछ रिसर्च कर चुके हैं। इन्हीं रिसर्च के माध्यम से कुष्ठघ्न महाकषाय के विषय में बहुत सारी बातें सामने आई है उन्हीं के आधार पर मैं यहां कुष्ठघ्न महाकषाय किन-किन विधियों में किस तरह से सहयोग किया चर्चा कर रहा हूं।
Kusthagna mahakasaya क्या है इसको जानने से पहले हम कुष्ठ रोग क्या है इसको समझेंगे क्योंकि यह महाकषाय कुष्ठ रोग से तालुकात रखने वाला कंपोजीशन है।
कुष्ठ रोग एक पुरानी संक्रामक बीमारी है जो माइकोबैक्टीरियम लेप्राई , एक एसिड-फास्ट, रॉड के आकार के बेसिलस के कारण होती है। यह रोग मुख्य रूप से त्वचा, परिधीय नसों, ऊपरी श्वसन पथ के म्यूकोसा और आंखों को प्रभावित करता है। कुष्ठ रोग इलाज योग्य है और प्रारंभिक अवस्था में उपचार विकलांगता को रोक सकता है। इस तरह वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन द्वारा संपादित लेख में कुष्ठ रोग के विषय में लिखा गया है ।
कुष्ठ रोग सभी प्रकार के चर्म विकार से संबंध रखने वाला व्याधि है। लिए जहां-जहां नैक्रोसिस (फोड़ा फुंसी का घाव) होगा जहां त्वचा मे स्पर्श महसूस नहीं हो पा रहा है। विविध प्रकार के समस्याओं में हमKusthagna mahakasaya दे सकते हैं।
आयुर्वेदिक ग्रंथों में त्वचा का आश्रयास्रीत् संबंध मन के साथ होता है ऐसा बताया गया है इसका मतलब जब भी कभी त्वचा से संबंधित कोई भी व्याधि शरीर में होगा उसका प्रभाव मन में भी होगा क्योंकि इन दोनों का संबंध घनिष्ठ रहता है। इस आधार पर सूक्ष्म विवेचन करें तो हम कह सकते हे की जब भी कभी मन के विकार ग्रस्त हो जाने से यदि त्वचा में कोई व्याधि उत्पन्न हो जाती है तो यहां पर कुष्ठघ्न महाकषाय बहुत ही सुंदर काम करेगा इसके विपरीत यदि त्वचा में होने वाला व्याधि के कारण मन रोग ग्रस्त हो गया है तो यहां पर भीKusthagna mahakasaya सुंदर कार्य करेगा।
Kusthagna mahakasaya के आयुर्वेदिक जड़ी बूटियां
खदीर,हरण, आंवला,हरिद्रा, भल्लातक,सप्तपर्णी, अमलतास,करविर
यह सभी कुष्ठघ्न महाकषाय में प्रयोग किए जाने वाले आयुर्वेदिक जड़ी बूटियां है।
कुष्ठ रोग के लिए आयुर्वेदिक दवाइयां।
कुष्ठघ्न महाकषाय,कण्डुघ्न महाकषाय,बर्ण्य महाकषाय इन को मिलाकर देने से किसी भी प्रकार का कुष्ठ रोग समूल नष्ट हो जाते हैं।
चर्म विकार में आयुर्वेदिक कंपोजिशन।
कण्डुघ्न महाकषाय वर्ण्य महाकषाय,कुष्ठघ्न महाकषाय इनको मिलाकर देने से किसी भी प्रकार का त्वचा विकार समूल नष्ट हो जाते हैं।
Kandughna mahakashay त्वचा में होने वाली फोड़े-फुंसियों में तथा सभी प्रकार के चर्म रोगों में उपयोगी है। किसी भी प्रकार के अल्सर या घाउ को जल्दी से ठीक करने वाला। त्वचा में रंग को कंट्रोल करने वाला रक्त में स्थित अशुद्धियों को नष्ट करने वाला तिक्त रस प्रधान Kandughna mahakashay अति उपयोगी महा औषधि है। Kandughna mahakashay का प्रभाव लगभग बर्ण्य और संधानीय महाकषाय जैसा ही है।
Kandughna mahakashay के जड़ी बूटियां।
चंदन,जटामांसी,अमलतास,करंज, नीम, सरसों, कूटज, मुलेठी,दारूहल्दी, नगरमोरथा
यह 10 कण्डुघ्न महाकषाय सभी प्रकार के चर्म विकार को ठीक करने वाला दवाई है यहां कण्डु शब्द विशेष आता है।
क्या है कण्डु:-कण्डु का शाब्दिक अर्थ होता है खुजलाना या खुजली जो इस समस्या को ठीक करें वह कण्डुघ्न महाकषाय है। अब सूक्ष्म दृष्टि से देखा जाए कि यह कण्डु किन हालातों में किन कारणों से होता है उन सभी कारणों को कण्डुघ्न महाकषाय ठीक करता है।
शीतपित्त का आयुर्वेदिक इलाज
उदर्दप्रशमन् तथाKandughna mahakashay इन दोनों को मिलाकर नित्य सेवन करने से शीतपित्त ठीक हो जाता है
krimighna mahakashaya: कृमीघ्न का शाब्दिक अर्थ होता है क्रीमी यानी किड़ोको घ्न यानी मारना। जो शरीर के अंदर के कीड़ों को मारने वाला है उसे krimighna mahakashaya कहते हैं यह एक साधारण बात है मगर अन्शांश कल्पना करके देखें तो krimighna mahakashaya सभी प्रकार के मेदो रोगों में , शरीर में जहां भी क्लेद है उन स्थितियों में दिया जा सकता है। इसको कुष्ठ रोग तथा बिष को नाश करने के लिए भी दिया जा सकता है। वैसे krimighna mahakashaya कृमि नाशक के रूप में विशेष प्रयोग किया जा सकता है।
krimighna mahakashaya के आयुर्वेदिक जड़ी बूटियां।
बृषपर्णी,आखुपर्णी, सफेद मिर्च, शुभांगन विज, काली मरीच गण्डीर, इंसुलिन प्लांट, विडंङ्ग,निर्गूण्डी, गोखरू
मिर्गी (Epilepsy) का कारण केवल न्यूरोलॉ…
Explore an in-depth research paper on A…
Telepathy क्या होता है इस विषय में अधिक…
Top-Rated Ayurveda Doctor Near Me in Ja…
यदि आप भी भारत सरकार Skill India nsdc द…
Ayurveda Marma therapy is for balancing…
Panchakarma treatment के विषय में आज हम…
Non-BAMS students who have been working…
Ayurveda Beginners को आयुर्वेदिक विषय स…
Blood pressure जड् से खत्म होगा यदि आप …
Ayurveda online course के बारे में सोच …
Nadi Vaidya बनकर समाज में नाड़ी परीक्षण…
tapyadi loha : ताप्यादि लोह मेरा सबसे प…
Bnys (bachelor of naturopathy and yogic…
Semicarpol या Semecarpus anacardium इस …
Explore the pulse diagnosis devic…
Sinusitis is a condition in which there…
At [Ayushyogi], we believe in the trans…
मिर्गी के रोगियों को परहेज के लिए इन वि…
चरक संहिता के अनुसार आयुर्वेदिक आवरण के…
Pitta Dosa is a term used in Ayurveda t…
Epilepsy is a chronic neurological diso…
Nadi pariksha:-Guru Dronacharya ji, who…
Easy way to understand Ayurvedic slokas…
alopecia areata treatment in Hindi इन्द…
100 Epilepsy patient के ऊपर आयुर्वेदिक …
how nature affects herbs: deep relation…
If a Yoga teacher also studies Ayurveda…
Dashmularishta के अनेक फायदे आपने जरूर …
Ayurveda online course for beginners. A…
there are three doshas, Kapha, Pitta, a…
Nabaz Dekhne ka Tarika सीखने के लिए आपक…
Ayurvedic Dietician की मांग दुनिया में …
श्रावण शुक्ल पूर्णिमा को हिंदू धर्मावलं…
Indian Famous Nadi Vaidya was asked abo…
Medical astrology online course:- Do yo…
Nadi vaidya Certificate Course in Nepal…
Epilepsy Treatment संभव है। Epilepsy जि…
Mirgi ka dora:-अपस्मार चिकित्सा विधि &b…
Prakriti pariksha आयुर्वेद का महत्वपूर्…
CCAT Course (Certificate course in Ayur…
Rakta Mokshan:- Rakta mokshna चिकि…
50th,Charakokta Mahakashaya Articles 50…
Advance Nadi Pariksha Course सीखने के इ…
Diabetes Mellitus मधुमेह और प्रमेह क्या…
सभी रोगों का नामाकरण करना सम्भव नहीं हो…
Pulse diagnosis course:-To learn …
About:- pulse diagnosis course:- p…
Swedopag mahakashaya स्…
स्नेहोपग महाकषाय 50 महाकषाय मध्ये सवसे …
Dhatu Bikar विकारो धातुवैषम्यम्: &…
Shukrajanan Mahakasaya शुक्र…
Stanyajanana Rasayanam चरक संहिता…
Vishaghna Mahakashaya:- विषघ्न महाकषाय …
Kanthya Mahakashaya:- कण्ठ्य महाकषाय क्…
What is Balya Mahakashaya:-बल्य महाकषाय…
Deepaniya Mahakashaya:- दीपनीय महाकषाय …
Doot Nadi Pariksha दूत नाड़ी परीक्षण वि…
Sandhaniya Mahakashaya संधानीय महाकषाय,…
Bhedaneeya mahakasaya भेदनीय महाकषाय ले…
मिर्गी का अचूक इलाज के साथ Mirgi ke tot…
Lekhaniya Mahakashaya कफ के परमाणुओं को…
bruhaniya Mahakashaya कुपोषण नाशक मांस …
Jivniya Mahakashaya जीवनीय महाकाय …
Nadi parikcha Book Pdf: pulse dia…
Mirgi ka ilaj आयुर्वेद से करें।ऑपरेशन भ…
Panchkarm Vamana therapy आयुर्वेदिक चिक…
Indigestion Causes समय से पहले भोज…
Nadi Pariksha course:- Ayushyogi …
आइए rabies क्या है | इसका कारण लक…
Diploma in Naturopathy and Yogic Scienc…
Vedic Medical astrology द्वारा हम कैसे …
Feeble lung pulse को आयुर्वेद में कमजोर…
जब हम किसी सद्गुरु के चरणों में सरणापन…
New born baby massage oil बनाने और अलग-…
mirgi ke rogi: मिर्गी के रोगियों क…
अगस्ति या अगस्त्य (वैज्ञानिक नाम: Sesba…
भोजन के चरण बद्ध पाचन के लिए जो क्रम आय…
malkangani क्या है:- what is jyot…
अपने हेतुओं से उत्पन्न दोष या व्याधि को…
चरक संहिता को महर्षि चरक ने संस्कृत भा…
अगर आप भी Nadi pariksha online course क…
Mirgi की आयुर्वेदिक दवा के रूप में प्…
आरोग्यवर्धिनी वटी: मांसवह स्रोतस और मेद…
Sitopaladi वात वाहिनी नाड़ियों पर…
अगर हम आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से दे…
Introduction
यदि चिकित्सक के पास…